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Thursday 27 December 2018

सर आर्थर स्टेनली एडिंगटन(Sir Arthur Stanley Eddington).

सर आर्थर स्टेनली एडिंगटन(Sir Arthur Stanley Eddington).

सर आर्थर स्टेनली एडिंगटन(Sir Arthur Stanley Eddington).

अल्बर्ट आइंस्टीन ! यह नाम आज किसी परिचय का मोहताज नही है। आइंस्टीन द्वारा प्रतिपादित सापेक्षवाद सिद्धान्त आज आधुनिक भौतिकी का आधार स्तंभ माना जाता है। आज यह सिद्धान्त हमलोग भलीभांति समझते है और दूसरों को भी समझा सकते है लेकिन क्या यह सिद्धान्त को समझना शुरुआती दिनों में भी इतना ही सरल था ? जवाब है – नही !

शुरुआती दिनों में सापेक्षवाद सिद्धान्त को समझना सामान्य मनुष्यों को तो छोड़िए वैज्ञानिको के लिए भी बड़ा कठिन कार्य था।

एक प्रसिद्ध भौतिकविज्ञानी और विज्ञान प्रस्तोता का कथन है

“वो महान है जो जटिल यंत्र बनाये, जटिल सिद्धान्त दे परन्तु उससे भी ज्यादा महान वो है जो जटिल को सरल बना दे।”

हम उस महान व्यक्ति को तो हमेशा याद करते है जिन्होंने सापेक्षवाद सिद्धान्त हमे दिया लेकिन उस व्यक्ति को याद नही करते जिसने सापेक्षवाद सिद्धान्त को सामान्य लोगो से लेकर वैज्ञानिको के लिए भी सरलतम रूप में प्रस्तुत किया।

वह महान व्यक्ति था सर आर्थर स्टेनली एडिंगटन(Sir Arthur Stanley Eddington). एक प्रतिभाशाली खगोलविज्ञानी, भौतिकविज्ञानी और एक बेहतरीन गणितज्ञ। आइंस्टीन इस बात को जानते थे इसलिए उन्होंने कहा भी है

“जो सिद्धान्त को पुर्णतः समझता है वही अच्छी तरह सिद्धान्त को समझा सकता है।”

28 दिसम्बर को आर्थर एडींगटन का जन्मदिन है। उनका जन्म 28 दिसंबर 1882 तथा मृत्यु 22 नवंबर 1944 को हुई थी।

इस सिद्धांत की गूढ़ता के बारे में एक घटना विख्यात है। सापेक्षता सिद्धांत को पूरी तरह समझने वाले शुरुआती व्यक्तियों में सर आर्थर एंडिग्टन का नाम विशिष्ट माना जाता है। उनके बारे में एक भौतिक-विज्ञानी ने तो यहाँ तक कह दिया था-

‘‘सर आर्थर! आप संसार के उन तीन महानतम व्यक्तियों में से एक हैं जो सापेक्षता सिद्धांत को समझते हैं।’’ यह बात सुनकर सर आर्थर कुछ परेशान हो गये। तब उस भौतिक-विज्ञानी ने कहा- ‘‘इतना संकोच करने की क्या आवश्यकता है सर ?’’ इस पर सर आर्थर ने कहा-‘‘संकोच की बात तो नही है किन्तु मैं स्वयं सोच रहा था कि तीसरा व्यक्ति कौन हो सकता है ?’’

आर्थर एडिंगटन से सापेक्षवाद सिद्धान्त को सामान्य लोगो को उनकी भाषा मे समझाया और सापेक्षवाद पर सरल भाषा मे कई लेख लिखे। सरल रूप में उन्होंने ही सापेक्षवाद को इतना लोकप्रिय सिद्धान्त बनाया उनकी लिखी पुस्तक “Space, Time and Gravitation: An Outline of the General Relativity Theory” आज भी सापेक्षवाद की सर्वश्रेष्ठ पुस्तकों में गिनी जाती है।

29 मई 1919 में एक पूर्ण सूर्यग्रहण लगा था उस समय आइंस्टीन की उम्र लगभग 40 साल थी। आइंस्टीन ने सूर्यग्रहण की उस घटना को धन्यवाद दिया साथ मे आर्थर एडिंगटन को भी क्योंकि उस व्यक्ति और उस घटना ने आइंस्टीन को रातों रात सेलेब्रिटी बना दिया था। वह व्यक्ति था आर्थर एडिंगटन। आर्थर एडिंगटन द्वारा सूर्यग्रहण के समय किये एक प्रयोग से यह पता चला कि दूर की सितारों से आनेवाली प्रकाश किरणों को सूर्य की गुरुत्वाकर्षण द्वारा वक्रीत किया जाता है। यह वक्रता उतनी ही है जितनी सामान्य सापेक्षवाद के अनुसार अनुमानित हैं। उस घटना ने सामान्य सापेक्षवाद सिद्धान्त को गुरुत्वाकर्षण का सबसे प्रमुख सिद्धान्त बना दिया।

आर्थर एडिंगटन ने सूर्य ग्रहण के दौरान तारों की स्थिति में विचलन देखा था यह विचलन सामान्य सापेक्षवाद सिद्धान्त को प्रमाणित करता था।
एडिंगटन को विश्वास था की अब आइंस्टीन को नोबेल पुरस्कार सापेक्षवाद सिद्धान्त के लिए मिलने वाला है। लेकिन नोबेल कमेटी ने सापेक्षवाद सिद्धान्त को प्रमाणित होने पर भी नोबेल पुरस्कार देना जरूरी नही समझा। बहुतों को और स्वयं आइंस्टीन को यह लगा जैसे कमेटी ने उनका तिरस्कार किया है। क्या वाकई आइंस्टीन के सिद्धांत प्रामाणिक नहीं थे? समस्या यह थी कि एडिंगटन द्वारा किए गए प्रेक्षण परिष्कृत नहीं थे और उन्होंने बहुत सारे डेटा को अनुपयोगी मानकर अपने निष्कर्षों में शामिल नहीं किया था।

लेकिन अन्ततः 1921 में आइंस्टीन को नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया। जब नोबल कमेटी की पुरस्कार घोषणा में यह लिखा गया था कि आइंस्टीन को यह पुरस्कार

“सैद्धांतिक भौतिकी को उनके योगदान तथा विशेषकर प्रकाश-विद्युत प्रभाव के लिए दिया जा रहा है”।

माना जाता है कि “सैद्धांतिक भौतिकी को उनके योगदान” लिखकर कमेटी ने एक तरह से उनकी सापेक्षता की खोज के गौरव को स्वीकार कर लिया था। लेकिन कमेटी ने एक स्थान पर यह भी लिख दिया कि “यह पुरस्कार सापेक्षता और गुरुत्व संबंधी आपकी स्थापनाओं को ध्यान में रखकर नहीं दिया जा रहा है क्योंकि उनकी पुष्टि होनी बाकी है”।

आर्थर एडींगटन की शिक्षा मैनचेस्टर विश्वविदयालय तथा कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कालेज मे हुई थी।

उन्हे निम्नलिखित खोजो के लिये भी जाना जाता है।

  • एडींगटन सीमा( Eddington limit)
  • एडींगटन संख्या( Eddington number)
  • एडींगटन -डिरैक संख्या(Eddington–Dirac number)
  • एडींगटन -फ़िंकेल्स्टाइन निर्देशांक(Eddington–Finkelstein coordinates)

सम्मान

  • रायल सोसाइटी का रायल पदक (Royal Society Royal Medal) (1928)
  • स्मिथ पुरस्कार (Smith’s Prize) (1907)
  • RAS स्वर्ण पदक(Gold Medal) (1924)
  • हेनरी ड्रेपर पदक(Henry Draper Medal) (1924)
  • ब्रुस पदक(Bruce Medal) (1924)
  • नाइट्स बैचलर(Knights Bachelor) (1930)
  • आर्डर आफ़ मेरीट(Order of Merit) (1938)


from विज्ञान विश्व http://bit.ly/2TdoTrV
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