लेखक : ऋषभ
इस शृंखला के दूसरे लेख मे हमने देखा कि किस तरह से किसी खगोलभौतिक वैज्ञानिक के लिये विद्युत चुंबकीय वर्णक्रम(Electromagnetic Spectrum) ब्रह्माण्ड के रहस्यो को समझने के लिये एक महत्वपूर्ण और उपयोगी उपकरण है। किसी भी खगोलीय पिंड के वर्णक्रम से हम बहुत सी बहुतसी महत्वपूर्ण जानकारी निकाल सकते है। उदाहरण के लिये यदि हम किसी तारे के वर्णक्रम का अध्ययन कर हम उसके तापमान, सतह पर गुरुत्वाकर्षण, तत्वों की उपलब्धता, घनत्व, विकास का चरण और इस जैसी अनेक जानकारी प्राप्त कर सकते है। स्पेक्ट्रोस्कोपी तकनीक हमे उस पिंड के आकाशगंगा मे विचरण के बारे मे भी जानकारी देती है। ’मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics of Astrophysics)’ शृंखला के पांचवे लेख मे हम तीन तरह के लाल विचलन(Redshifts) और उनके खगोल विज्ञान मे महत्व को समझेंगे।
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तरंगदैर्ध्य और आवृत्ति (Wavelength And Frequency)
हम विद्युत चुंबकीय वर्णक्रम को देख चुके है उसे भलीभांति समझते है। किसी प्रकाश के स्रोत को लिजिये। वह सूर्य हो सकता है या आपके टेबललैंप का बल्ब। इस प्रकाश का एक विशिष्ट रंग है। प्रकाश के हर रंग के साथ तीन चीजे जुड़ी है, तरंगदैर्ध्य, आवृत्ति तथा ऊर्जा।
सबसे पहले हम तरंगदैर्ध्य तथा आवृत्ति को समझते है। प्रकाश को नीचे दिये गये चित्र से समझीये:
लाल रेखा के उपर का भाग शीर्ष (crests)तथा नीचे का भाग गर्त (troughs) कहलाता है। किसी तरंग के दो लगातार शीर्ष के मध्य की क्षैतिज दूरी तरंगदैर्ध्य (Wavelength) कहलाती है। किसी शीर्ष या गर्त की अधिकतम लंब दूरी तरंग का आयाम(amplitude ) कहलाती है। एक शिर्ष तथा उससे लगा हुआ गर्त मिलकर एक तरंग चक्र(wave-cycle) बनाते है। किसी तरंग की आवृत्ति एक सेकंड मे बनने वाली तरंग (wave-cycle) की संख्या को कहते है। उदाहरण के लिये यदि हम चित्र मे दिखाई गई तीन भिन्न तरंग (एक उपर और उसके नीचे की दो तरंग) को देखे तो हम कह सकते है कि
- पहली तरंग का तरंगदैर्ध्य सबसे अधिक है क्योंकि उसके दो लगातार शीर्ष या गर्त के मध्य अधिकतम क्षैतिज दूरी है।
- तीसरी तरंग की आवृत्ति सर्वाधिक है क्योंकि एक सेकंड मे सर्वाधिक तरंगचक्र बन रहे है।
- तरंगदैर्ध्य जितनी अधिक होगी आवृत्ति उतनी कम होगी। तरंगदैर्ध्य तथा आवृत्ति विलोमानुपात (inverse) मे होते है।
हम विद्युतचुंबकीय वर्णक्रम के दृश्य भाग को देखते है। दृश्य प्रकाश का तरंगदैर्ध्य 400 nm (1 nm = 10-9 m) से 800 nm के मध्य होता है। 400 nm पर बैंगनी रंग तथा 800 nm पर लाल रंग होता है।
लाल विचलन क्या है (What Is Redshift)?
मान लिजिये की स्रोत किसी मोनोक्रोमेटीक स्रोत के जैसे एक विशिष्ट रंग के प्रकाश का एक विशिष्ट आवृत्ति पर उत्सर्जन करता है। इसका अर्थ यह नही है कि निरीक्षण की गई तरंगदैर्ध्य उत्सर्जित की गई तरंगदैर्ध्य के समान हो। यदि निरीक्षण की गई तरंगदैर्ध्य अधिक हो तो उसे लाल विचलन कहते है, यदि वह कम हो तो वह नीला विचलन(Blueshift) कहलाता है।
उपर दिये गये चित्र मे मध्य का वर्णक्रम प्रकाश स्रोत द्वारा वास्तविक रूप से उत्सर्जित है। यदि हम उपर के वर्णक्रम मे गहरी अवशोषण रेखाओं (dark absorption lines) को देखें तो हम पायेगे कि इनसे संबधित रेखाये लाल रंग की ओर विचलीत हो गई है। जबकि नीचले वर्णक्रम मे वह नीले रंग की ओर विचलीत हुई है। यह प्रभाव भले ही दृश्यप्रकाश से संबधित ना हो, तरंगदैर्ध्य मे बढोत्तरी/कमी हमेशा लाल/निला विचलन कहलाती है। लाल/नीला विचलन कई खगोलभौतिकीय प्रक्रियाओं से उत्पन्न होता है। खगोल भौतिकी मे लाल विचलन को z से दर्शाया जाता है। इसका साधारण समीकरण : 1+z = निरीक्षित तरंगदैर्ध्य /वास्तविक तरंगदैर्ध्य । z का धनात्मक मूल्य लालविचलन और ऋणात्मक मूल्य नीला विचलन दर्शाता है।
लाल विचलन की व्याख्या
आप सोच रहे होंगे कि इस विचलन मे मानक संदर्भ(standard reference) क्या है ? हम लाल विचलन को ज्ञात करने के लिये किस संदर्भ वर्णक्रम से तुलना कर रहे है ? यह एक अच्छा और महत्वपूर्ण प्रश्न है। हर तत्व का अपना हस्ताक्षर वर्णक्रम होता है। ब्रह्मांड मे सर्वाधिक पाया जाने वाला तत्व हायड्रोजन है। इसलिये यदि हम किसी दूरस्थ आकाशगंगा के हायड्रोजन वर्णक्रम को देखते है और यदि उस वर्णक्रम की रेखाये हमारी प्रयोगशाला के वर्णक्रम से मेल खाती है तो इसका अर्थ है कि लाल विचलन नही हओ। लेकिन यदि ये रेखाये लाल रंग की ओर एक निश्चित दूरी पर है तब उसमे लालविचलन है और वह स्रोत हमसे दूर जा रहा है।
अब हम तीन प्रकार के लाल विचलन को देखते है और उसके खगोलभौतिकी मे महत्व को समझते है।
लालविचलन के प्रकार (Types of Redshifts)
1. सापेक्षीय लाल विचलन (Relativistic Redshift) या डाप्लर प्रभाव (Doppler Effect)
हम सभी ध्वनि तरंगो मे डाप्लर प्रभाव से परिचित है। यदि ध्वनि स्रोत हमारी ओर आ रहा है तो उसकी आवृत्ति बढ़ती है, जबकी दूर जाने पर वह घटती है। खगोलभौतिकी मे भी डाप्लर प्रभाव समान है लेकिन यह प्रकाश से संबधित है। ब्रहांड मे हर पिंड सापेक्षिय गति कर रहा है। तारे और आकाशगंगाये एक दुसरे के सापेक्ष गतिमान है। यदि किसी तारे/आकाशगंगा के वर्णक्रम मे लाल विचलन है, इसका अर्थ है कि वह हम से दूर जा रहा है। सापेक्षिय डाप्लर प्रभाव के सूत्र से हम उस तारे या आकाशगंगा के हमसे दूर जाने की गति की गणना कर सकते है। जब हमने अपनी पड़ोसी आकाशगंगा देव्यानी(एंड्रोमीडा) के वर्णक्रम को देखा तो पाया कि उसमे नीलाविचलन है। यह आकाशगंगा हमारी आकाशगंगा मंदाकीनी(milky way) की ओर 140 किमी/घंटा की गति से आ रही है। अगले पांच अरब वर्ष पश्चात ये दोनो आकाशगंगा एक दूसरे मे विलिन होकर एक बड़ी आकाशगंगा बनायेंगी।
2. गुरुत्विय लाल विचलन (Gravitational Redshift)
इसतरह का लाल विचलन साधारण सापेक्षतावाद का परिणाम है। गुरुत्विय लाल विचलन के अनुसार जब फ़ोटान कम गुरुत्विय विभव वाले क्षेत्र से उच्च विभव वाले क्षेत्र मे यात्रा करता है तो उसकी ऊर्जा मे कमी होती है। यदि कोई तारा अपनी सतह एक विशिष्ट तरंगदैर्ध्य वाले प्रकाश का उत्सर्जन करता है और हम उस तारे के वर्णक्रम का उसकी सतह से दूर अध्ययन करते है तो उसमे लाल विचलन मिलेगा। उस तारे के गुरुत्वाकर्षण से बच निकलने के प्रयास मे उस फोटान की ऊर्जा कम हुई है जिसका अर्थ है तरंगदैर्ध्य मे बढ़ोत्तरी। समझ मे नही आया ? इसे किसी बच्चे द्वारा सीढीयों को चढ़ने से थकने के जैसा मान लिजिये। ध्यान दिजिये कि फ़ोटान की ऊर्जा कम हो रही है, उसकी आवृत्ति भी कम होगी लेकिन तरंगदैर्ध्य बढ़ेगी।
गुरुत्विय लाल विचलन की मात्रा, उस पिंड के घनत्व पर निर्भर है। घने पिंड जैसे श्वेत वामन(white dwarfs) तथा न्युट्रान तारों मे सामान्य तारों जैसे सूर्य की तुलना मे अधिक लाल विचलन होता है। ब्लैक होल(श्याम विवर) का गुरुत्विय लाल विचलन अनंत(infinite) होता है। इस तरह का लालविचलन दर्शाता है कि फोटान का द्रव्यमान होता है जोकि स्थिर द्रव्यमान (rest mass) नही है, बल्कि गुरुत्विय द्रव्यमान(gravitational mass)। यह आइंस्टाइन के साधारण सापेक्षतावाद सिद्धांत(Einstein’s General Relativity)का एक शास्त्रीय प्रायोगिक प्रमाण है।
3. ब्रह्मांडीय लाल विचलन( Cosmological Redshift)
ब्रह्मांडीय लाल विचलन वास्तविकता मे अंतरिक्ष के सतत विस्तार का परिणाम है। 1920 एडवीन हब्बल ने पाया था कि जो आकाशगंगा सूदूर अंतरिक्ष मे हमसे जितनी दूर है उतनी तेजी से हम से दूर जा रही है। इसे हब्बल का नियम कहते है। यह एक निरीक्षण किया हुआ नियम है और ब्रह्मांड के सतत विस्तार को प्रमाणित करता है। अंतरिक्ष अपने आप मे अपना विस्तार कर रहा है। यह एक तथ्य है कि दूरस्थ आकाशगंगाओं के वर्णक्रम ने ही हमे ब्रह्मांड के सतत विस्तार का प्रमाण दिया है, इस वर्णक्रम मे अत्याधिक लाल विचलन पाया गया है।
लेकिन हमे यह ध्यान रखना चाहिये कि स्थानीय डाप्लर लाल विचलन और ब्रह्मांडीय लाल विचलन मे अंतर है। दो आकाशगंगाओ मे मध्य सापेक्ष गति से ब्रह्मांडीय लाल विचलन उत्पन्न नही होगा। फोटान मे लाल विचलन उनके द्वारा सतत विस्तार कर रहे खगोलीय काल-अंतराल मे यात्रा से उत्पन्न हो रहा है। इस सतत विस्तार से दो एक दूसरे से दूर जा रही आकाशगंगाये प्रकाशगति से भी तेज एक दूसरे से दूर हो सकती है। लेकिन इसका अर्थ यह नही है कि वे विशेष सापेक्षतावाद(special relativity) का उल्लंघन कर रही है।
संक्षेप मे
इस शृंखला मे पहले : खगोलीय दूरी मापन : खगोलीय इकाई(AU), प्रकाशवर्ष(Ly) और पारसेक(Parsec)
लेखक का संदेश
आशा है कि इस लेख ने तीन तरह के लाल विचलन के मध्य अंतर स्पष्ट कर दिया होगा। सभी खगोलभौतिक वैज्ञानिक बनने वाले के लिये मेरा एक संदेश है, खगोलभौतिकी फ़ैंसी विज्ञान जैसे समय यात्रा, श्वेत विवर(white holes), वर्महोल या ब्लैक होल से यात्रा जैसा ही नही है। वास्तविक चित्र काफ़ी भिन्न है। खगोलभौतिकी एक ऐसा विषय है जिसमे आप ब्रह्मांड की किसी विशेष गतिविधि/प्रक्रिया को समझने के लिये भौतिकी के नियमो का प्रयोग करते है। यदि आप एक खगोल वैज्ञानिक बनना चाहते है तो सबसे पहले आप भौतिकी और गणित पर ध्यान केंद्रित किजिये। इस क्षेत्र मे सफ़लता के लिये स्पेक्ट्रोस्कोपी(Spectroscopy), विद्युतगतिकी(Electrodynamics), सांख्यकिय यांत्रिकी( Statistical Mechanics), सापेक्षतावाद(Theory of Relativity), प्रकाशिकी(Optics) तथा क्वांटम यात्रीकी (Quantum Mechanics) महत्वपूर्ण है। गगनचुंबी इमारत की नींव मजबूत होनी चाहीये।
मूल लेख : THREE TYPES OF REDSHIFTS & THEIR IMPORTANCE IN ASTROPHYSICS.
लेखक परिचय
लेखक : ऋषभ
लेखक The Secrets of the Universe (https://secretsofuniverse.in/) के संस्थापक तथा व्यवस्थापक है। वे भौतिकी मे परास्नातक के छात्र है। उनकी रूची खगोलभौतिकी, सापेक्षतावाद, क्वांटम यांत्रिकी तथा विद्युतगतिकी मे है।
Admin and Founder of The Secrets of the Universe, He is a science student pursuing Master’s in Physics from India. He loves to study and write about Stellar Astrophysics, Relativity, Quantum Mechanics and Electrodynamics.
from विज्ञान विश्व http://bit.ly/2Ps4G14
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