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Friday 19 April 2019

विद्युत चुंबकीय (EM SPECTRUM) क्या है और वह खगोलभौतिकी (ASTROPHYSICS) मे महत्वपूर्ण उपकरण क्यों है ?

लेखिका याशिका घई(Yashika Ghai)

कितना अद्भुत है कि हम खूबसूरत तारों , ग्रहों, चंद्रमा और सूर्य से लाखों करोड़ो किलोमीटर दूर रहते हुये भी उनके विषय मे बहुत कुछ जानते और समझते है। यह लेख मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics of Astrophysics)’ शृंखला का द्वितीय लेख है। इस लेख मे हम खगोलभौतिकी के अध्ययन के सबसे महत्वपूर्ण उपकरण के बारे मे बुनियादी जानकारी देगें। इस उपकरण का नाम है विद्युतचुंबकीय वर्णक्रम(Electromagnetic spectrum)। अब हम जानने का प्रयास करते है कि विद्युत चुंबकीय वर्णक्रम(Electromagnetic spectrum) क्या है और इसका खगोल भौतिकी मे क्या महत्व है?

विद्युत चुंबकीय वर्णक्रम(The Electromagnetic (EM) spectrum)

बचपन से ही हमे विद्युत चुंबकीय वर्ण क्रम के सिद्धांत का परिचय दे दिया जाता है। इसे हमने सीधे इंद्रधनुष के रूप मे देखा होता है या इसे अपने प्राथमिक स्कूल मे पढ़ा होता है। लेकिन इंद्रधनुष विशाल विद्युत चुंबकीय वर्णक्रम का एक नन्हा सा दृश्य हिस्सा है। अब हम विद्युत चुंबकीय वर्णक्रम को संपूर्ण रूप से देखते है।

दृश्य प्रकाश के रंग और विद्युत चुंबकिय विकिरण

दृश्य प्रकाश के रंग और विद्युत चुंबकिय विकिरण

विद्युत चुंबकीय विकिरण (Electromagnetic Radiation)

विकिरण या रेडीएशन ऊर्जा का एक प्रकार है तरंग और कणो के रूप मे यात्रा करता है और अपनी इस यात्रा मे विस्तृत(फ़ैलते) होते जाता है। विद्युत चुंबकीय विकिरण को शून्य द्रव्यमान वाले कण फोटान की धारा के रूप मे परिभाषित किया जा सकता है। हर फोटान एक विशिष्ट मात्रा मे ऊर्जा रखता है और वह एक तरंग के रूप मे प्रकाशगति से यात्रा करता है।

सूर्य, तारो या घर मे लगी ट्युबलाईट/बल्ब से हमारे घर तक आने वाला प्रकाश दृश्य विद्युत चुंबकीय विकिरण का उदाहरण है। किसी रेडीयो स्टेशन से निकलने वाली रेडीयो तरंगे जो संचार का एक सशक्त माध्यम है विद्युत चुंबकीय विकिरण है। खाना बनाने या उसे गरम करने मे प्रयुक्त माइक्रोवेव तरंग भी विद्युत चुंबकीय विकिरण है। पराबैंगनी तरंग(Ultraviolet waves) जिनसे त्वचा कैंसर हो सकता है भी विद्युत चुंबकीय विकिरण है। हमारे रोजमर्रा के जीवन मे विद्युत चुंबकीय वर्णक्रम के कई भाग जैसे अवरक्त किरणे(infrared), एक्सरे, गामा किरण का प्रयोग होता है। जब हम ठंड लगती है और हम सूर्य से उष्णता प्राप्त करने का प्रयास करते है तब है सौर विद्युतचुंबकीय वर्णक्रम के अवरक्त भाग से उष्णता प्राप्त कर रहे होते है। जब हमारी हड्डीयों मे कोई चोट लगती है तो उसकी जांच और स्थिति की जानकारी के लिये हम एक्सरे का प्रयोग करते है।

विद्युत चुंबकीय विकिरण (आकार और तापमान की तुलना)

विद्युत चुंबकीय विकिरण (आकार और तापमान की तुलना)

हम विद्युत चुंबकीय वर्णक्रम के विभिन्न भागो का वर्गीकरण कैसे करते है ?

विभिन्न प्रकार के विकिरण की परिभाषा उनके वाहक फोटान की ऊर्जा के के अनुसार दी जाती है। रेडीयो तरंग के फोटान की ऊर्जा कम होती है, माइक्रोवेव के फोटानो की ऊर्जा रेडीयो तरंग के फोटानो से अधिक होती है, अवरक्त तरंगो के फोटान की और अधिक। इस ऊर्जा के बढ़ते अनुक्रम मे दृश्य प्रकास, पराबैंगनी, एक्स रे और सबसे शक्तिशाली गामा किरणे आती है।

विद्युत चुंबकीय वर्णक्रम का खगोलभौतिकी मे महत्व

भिन्न तरंगदैधर्य वाले क्षेत्रो के विकिरण खगोलभौतिकी के पिंडो मे होने वाली भिन्न भिन्न भौतिकीय प्रतिक्रियाओं का परिणाम होते है। हम ब्रह्मांड के दूरी वाले क्षेत्रो का अध्ययन इन विद्युत चुंबकीय विकिरणो की जांच और विश्लेषण से कर सकते हैं।

किसी तारे द्वारा उत्सर्जित विद्युत चुंबकीय विकिरण विद्युत चुंबकीय वर्णक्रम के एक बड़े भाग मे कई क्षेत्रो मे फ़ैला होता है। इस क्षेत्रो के विश्लेषण और अध्ययन से हम उस तारे की संरचना, आकार और अन्य गुणधर्मो को जान सकते है।

कुछ सरल तत्वो का वर्णक्रम

खगोलभौतिकी वैज्ञानिक स्पेक्ट्रोस्कोपी(spectroscopy) उपकरण के प्रयोग से तारे और ग्रह की रासायनिक संरचना का पता लगाते है, इस अध्ययन मे उस तारे द्वारा उत्सर्जित विद्युत चुंबकीय विकिरण के तरंगदैधर्य को देखा जाता है। हमने पिछले लेख मे देखा है कि वोल्लास्टन और फ़्राउनहोफ़र द्वारा सौर वर्णक्रम मे पाई जाने वाली गहरी रेखाओं ने खगोलभौतिकी को जन्म दिया था।

हब्बल अंतरिक्ष वेधशाला

हब्बल अंतरिक्ष वेधशाला

हब्बल अंतरिक्ष वेधशाला तथा वायेजर अंतरिक्ष अण्वेषण यान अंतरिक्ष मे शोध करते है और इन उपकरणो द्वारा दूरस्थ खगोलिय पिंडो के अध्ययन मे पृथ्वी द्वारा उत्पन्न विद्युत चुंबकीय विकिरण आड़े नही आता है। इन उपकरण हमारी आकाशगंगा और ब्रह्माण्ड के दूरस्थ भागो से आते विद्युत चुंबकीय वर्णक्रम के अध्ययन मे अत्याधिक संवेदी और सटीक निरीक्षण परिणाम प्राप्त होता है।

किसी खगोलवैज्ञानिक के हाथो मे ब्रह्मांड के रहस्यो को अनावृत्त करने के लिये विद्युत चुंबकीय वर्णक्रम सबसे महत्वपूर्ण उपकरण है। वर्णक्रम के अध्ययन से अत्याधिक मात्रा मे सूचना प्राप्त होती है। उदाहरण के लिये खगोलीय वर्णक्रम से हम उसकी रासायनिक संरचना, तापमान, द्रव्यमान , आकार, दूरी और घनत्व को जान सकते है। इसके साथ ही हम उस तारे की हमसे सापेक्ष गति की भी गणना कर सकते है। रेडीयो खगोलशास्त्र(Radio Astronomy) इस विषय की एक मुख्य शाखा और लोकप्रिय शाखा है। रेडीयो वर्णक्रम(Radio Spectrum) के अध्ययन से वैज्ञानिक अत्यधिक दूरी पर स्थित पिंडों जैसे ब्लैक होल, क्वासर और आकाशगंगाओ का अध्ययन करते है।

लेखिका का संदेश

मै प्लाज्मा भौतिक शास्त्री हुं और मै अंतरिक्ष तथा खगोलभौतिकीय प्लाज्मा की विभिन्न तरंगो जैसे अल्फ़वेन(alfven) तरंग का अध्ययन करती हुं। अल्फ़वेन तरंग को सौर कोरोना के अनियमित रूप से उष्ण होने के लिये उत्तरदायी माना जाता है। उपग्रहों और अंतरिक्ष यान द्वारा प्लाज्मा तरंगे का निरीक्षण होता रहता है जोकि अंतरिक्ष और खगोल भौतिकीय पिंडो द्वारा मूलभूत प्लाज्मा गतिविधियों के अध्ययन के लिये अत्यधिक रूचिकर है। आशा है कि इस लेख से आपको खगोल भौतिकी मे प्रयुक्त होने वाले इस सरल से लेकिन अत्यधिक महत्वपूर्ण उपकरण को समझने मे मदद मिली होगी।

इस शृंखला मे इससे पहले : खगोल भौतिकी(ASTROPHYSICS) क्या है और वह खगोलशास्त्र(ASTRONOMY) तथा ब्रह्माण्डविज्ञान(COSMOLOGY) से कैसे भिन्न है?

मूल लेख : WHAT IS EM SPECTRUM & WHY IT’S THE MOST IMPORTANT TOOL IN ASTROPHYSICS?

लेखक परिचय

याशिका घई(Yashika Ghai)
संपादक और लेखक : द सिक्रेट्स आफ़ युनिवर्स(‘The secrets of the universe’)

लेखिका ने गुरुनानक देव विश्वविद्यालय अमृतसर से सैद्धांतिक प्लाज्मा भौतिकी(theoretical plasma physics) मे पी एच डी किया है, जिसके अंतर्गत उहोने अंतरिक्ष तथा खगोलभौतिकीय प्लाज्मा मे तरंग तथा अरैखिक संरचनाओं का अध्ययन किया है। लेखिका विज्ञान तथा शोध मे अपना करीयर बनाना चाहती है।

Yashika is an editor and author at ‘The secrets of the universe’. She did her Ph.D. from Guru Nanak Dev University, Amritsar in the field of theoretical plasma physics where she studied waves and nonlinear structures in space and astrophysical plasmas. She wish to pursue a career in science and research.



from विज्ञान विश्व http://bit.ly/2VbjJkY
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