लेखिका: सिमरनप्रीत (Simranpreet Buttar)
यदि आप कहीं जा रहे हों तो वहाँ पहुंचने के लिये आपके लिये क्या जानना सबसे महत्वपूर्ण क्या होगा ? उस स्थल का पता! खगोलभौतिकी मे हमे किसी भी पिंड की जानकारी ज्ञात करने के लिये, उस पिंड पर अपने उपकरणो को फ़ोकस करने के लिये हमे उस पिंड की स्थिति की जानकारी चाहीये। पृथ्वी पर किसी भी जगह की स्थिति जानने के निये हमे दो भौगोलिक निर्देशांक चाहीये होते है, जिन्हे हम अक्षांश(latitude) और देशांतर (longitude) निर्देशांक (coordinates)कहते है। अक्षांश(latitude) और देशांतर (longitude) निर्देशांक से हम पृथ्वी की सतह पर के किसी भी स्थल तक पहुंच सकते है। लेकिन यदि हमे गहन अंतरिक्ष मे किसी पिंड की स्तिथी जाननी हो तो ? इसके लिये हमे खगोलिय निर्देशांक प्रणाली(celestial coordinate) चाहीये।
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पृथ्वी पर हम अक्षांश और देशांतर से हम शहर, कस्बा और पर्वत जैसे स्थलो को खोज लेते है। इसी तरह से अंतरिक्ष मे किसी पिंड को खोजने के लिये खगोलिय निर्देशांक प्रणाली प्रयुक्त होती है। खगोलीय निर्देशांक प्रणाली खगोलशास्त्र और खगोलभौतिकी मे कई स्थानो पर प्रयोग की जाती है। ’मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics of Astrophysics)’ शृंखला के सांतवे लेख मे हम भिन्न खगोलीय निर्देशांक प्रणालीयों के बारे मे जानेंगे।
खगोलीय गोला(Celestial Sphere) क्या है ?
खगोलीय निर्देशांक प्रणाली को समझने से पहले हमे खगोलीय गोला(Celestial Sphere) समझना होगा। जब भी हम उपर अंतरिक्ष मे देखते है तो सारे खगोलीय पिंड किसी विशालकाय काल्पनिक गोले की आंतरिक सतह पर दिखाई देते है, इस काल्पनिक गोले के केंद्र मे हम होते है। यह किसी प्लेनेटेरियम के डोम की छत पर चिपके कृत्रिम तारों के जैसे ही दिखाई देता है। यह विशाल काल्पनिक गोला ही खगोलीय गोला है।
अब आप निरीक्षक के उपर और नीचे की दिशा मे एक सीधी रेखा खींचे। यह रेखा इस खगोलीय गोले से दो बिंदुओं पर मिलेगी। निरीक्षक के सर के उपर वाला बिंदु शिरोबिंदु(Zenith) तथा नीचे वाला बिंदु अधोबिंदु(Nadir) कहलाता है। शिरोबिंदु और अधोबिंदु को जोड़ने वाली रेखा पर लंबवत प्रतल खगोलीय गोले को एक वृत्त के रूप मे काटता है, यह महाकाय वृत्त खगोलीय क्षितिज( Celestial horizon)कहलाता है)
अब निरीक्षक को पार करती हुई पृथ्वी के घूर्णन अक्ष(rotational axis) के समांतर एक रेखा खींचीये, यह रेखा भी खगोलीय गोले से दो बिंदुओं पर मिलेगी। क्षितिज के उपर वाला कटाव बिंदु उत्तरी खगोलीय बिंदु(North Celestial point) तथा नीचे वाला दक्षिणी खगोलीय बिंदु कहलाता है। दोनो बिंदुओ को अपने ध्रुव पर समाविष्ट करने वला महा वृत्त खगोलीय विषुवत(celestial equator) कहलाता है। पृथ्वी के विषुवत का प्रतल(plane) तथा खगोलीय विषुवत का प्रतल समान है। शिरोबिंदु, अधोबिंदु तथा खगोलीय ध्रुवों से गुजरने वाला महाकाय वृत्त मध्याह्न(Meridian) वृत्त कहलाता है।
संपूर्ण वर्ष मे सूर्य के आभासी पथ के द्वारा बनने वाला महाकाय वृत्त क्रांतिवृत्त(ecliptic) कहलाता है। क्रांतिवृत्त विषुवत को दो बिंदुओ पर काटता है जिसे विषुव बिंदु(equinoctial) कहते है। जब सूर्य उत्तर से दक्षिण की ओर जाते हुये विषुवत को जिस बिंदु पर काटता है उसे मेष की प्रथम बिंदु(First Point of Aries) कहते है। विषुवत को काटने वाला दूसर बिंदु तुला का प्रथम बिंदु (First point of Libra)कहते है।
तीन भिन्न खगोलीय निर्देशांक प्रणालीयाँ
अब हम तीन भिन्न निर्देशांक प्रणाली समझने की स्थिति मे हैं।
क्षैतिज निर्देशांक प्रणाली(उन्नतांश तथा दिगंश (Altitude and Azimuth))
मान लिजिये शिरोबिंदु Z है तथा A किसी तारे की स्तिथि है। अब यदि हम एक वृत्त ZAX बनाये तब खगोलीय गोले मे इस तारे की स्थिति को हम चाप(arc) NX, चाप ZA या चाप ZA तथा कोण NZA से परिभाषित कर सकते है। महा वृत्त ZAX का चाप AX उस तारे की क्षितिज से कोणीय दूरी(angular distance) दिखा रहा है जिसे हम उन्नतांश((Altitude) कहते है। चाप ZA उस तारे की शिरोबिंदु दूरी (Zenith distance) है। चाप NX जो उत्तरी बिंदु और तारे को समाये हुये महावृत के नीचे है, या कोण NZA जो कि मध्याह्न(Meridian) तथा मह वृत्त के मध्य है, तारे का दिगंश(Azimuth) कहलाता है। इसे उत्तरी बिंदु से पूर्व की ओर या पश्चिम की ओर मापा जाता है।
विषुवतीय प्रणाली(दायाँ आरोहण तथा दिक्पात (Right Ascension and Declination))
यदि हम तारे को पार करते हुये एक महावृत्त PAM बनाये तो उस तारे की स्तिथि को हम चाप PA, कोण QPA या चाप QM या कोण QPA से परिभाषित कर सकते है। चाप PA को तारे का उत्तरी ध्रुव दूरी कहते है, साथ मे चाप AM से उस तारे की विषुवत से कोणीय दूरी मिलती है जिसे उस तारे का दिक्पात(Declination) कहते है।
दिक्पात(Declination) का मूल्य धनात्मक या ऋणात्मक हो सकता है जो कि क्रमश: उस तारे विषुवत के उत्तर या दक्षिण पर होने पर निर्भर है। महावृत्त PAM उस तारे का दिक्पात(Declination) वृत्त कहलाता है। उस तारे का दायाँ आरोहण(R.A.) विषुवत चाप YM है जोकि मेष के प्रथम बिंदु तथा दिक्पात वृत्त के अधोबिंदु पर है।
मेष का प्रथम बिंदु की दैनिक गति और तारे की दैनिक गति समान होती है, इसलिये दैनिक गति मे तारे का RA और दिक्पात परिवर्तित नही होता है।
क्रांतिवृत्त प्रणाली (खगोलीय अक्षांश(latitude) और देशांतर (longitude) निर्देशांक)
यदि क्रांतिवृत्त के ध्रुव और तारे के द्वारा महावृत्त बनाया जाये तो उस तारे की क्रांतिवृत्त से इस महावृत्त के साथ मापी जाने वाली कोणीय दूरी उस तारे का खगोलीय अक्षांश होगी। क्रांतिवृत्त पर मेष के प्रथम बिंदु और महावृत्त के अधोबिंदु के मध्य के चाप को खगोलीय देशांतर (longitude) निर्देशांक कहते है। दैनिक गति के दौरान किसी तारे का खगोलीय अक्षांश(latitude) और देशांतर (longitude) परिवर्तित नही होता है। किसी तारे का खगोलीय अक्षांश तारे की विषुवत के उत्तर मे या दक्षिण मे होने के आधार पर धनात्मक या ऋणात्मक हो सकता है। जबकि देशांतर शून्य से 360 डीग्री के मध्य हो सकता है, यह मापन पूर्व की ओर होता है।
लेखिका का संदेश
आशा है कि इस लेख ने खगोलीय निर्देशांक के बारे मे मूलभूत जानकारी उपलब्ध कराई होगी। यह लेख समझने मे थोड़ा कठीन हो सकता है लेकिन खगोलशास्त्र के लिये अत्यावश्यक है।
मूल लेख : THE THREE TYPES OF CELESTIAL COORDINATE SYSTEMS.
इस शृंखला मे इससे पहले : स्टीफ़न का नियम और उसका खगोलभौतिकी मे महत्व
लेखक परिचय
सिमरनप्रीत (Simranpreet Buttar)
संपादक और लेखक : द सिक्रेट्स आफ़ युनिवर्स(‘The secrets of the universe’)
लेखिका भौतिकी मे परास्नातक कर रही है। उनकी रुचि ब्रह्मांड विज्ञान, कंडेस्ड मैटर भौतिकी तथा क्वांटम मेकेनिक्स मे है।
Editor at The Secrets of the Universe, She is a science student pursuing Master’s in Physics from India. Her interests include Cosmology, Condensed Matter Physics and Quantum Mechanics
from विज्ञान विश्व http://bit.ly/2DImyjI
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