वायेजर 2 से प्राप्त संकेत बता रहे हैं कि नासा का यह अंतरिक्ष यान सौर मंडल की सीमा पर है। वह सौर मंडल के विशाल बुलबुले के अंतिम छोर पर पहुंच चुका है;जिसे हेलिओस्फीयर कहते है। वायेजर 2 जल्दी ही हमारे सौर मंडल से बाहर चला जायेगा
वायेजर 2 और उसके जुड़वां यान वायेजर 1 को 1977 मे प्रक्षेपित किया गया था। 2012 मे वायेजर 1 सौर मंडल की इस सीमा को पार कर चुका है।
वायेजर 2 ने अपने आसपास कास्मिक किरणो की उपस्थिति मे बढ़ोत्तरी देखी है, ये कास्मिक किरणे सौर मंडल के बाहर अंतरतारकीय(interstellar) माध्यम मे पाई जाती है। नासा के अनुसार यह संकेत है कि 41 वर्ष पहले प्रक्षेपित अंतरिक्ष यान वायेजर 2 अब सौर मंडल के बाहर जाने के लिये तैयार है।
सौर मंडल के बाहर जाने के बाद वायेजर 1 के बाद यह दूसरी मानव निर्मित वस्तु होगी जो सौर मंडल की सीमाओ को पार कर चुकी होगी। वायेजर 1 ने इसी तरह की स्थिति का सामना 2012 मे किया था जब उसने कास्मिक किरणो मे इसी तरह की बढोत्तरी देखी थी। वर्तमान मे वायेजर 2 पृथ्वी से 2.8 अरब किमी दूरी पर है।
वायेजर 1 पृथ्वी से 5 सितंबर 1977 को अपने साथी यान वायेजर 2(20 अगस्त 1977) से कुछ दिनो बाद अपनी इस अंतहीन यात्रा पर रवाना हुआ था। इस यान का प्राथमिक उद्देश्य गुरु, शनि, युरेनस और नेपच्युन का अध्यन था जो उसने 1989 मे ही पूरा कर लिया था। उसके पश्चात उसने गहन अंतरिक्ष मे छलांग लगाई थी।
1977 मे जब इन दोनो वायेजर को छोड़ा गया था तब उनका उद्देश्य बृहस्पति, शनि, युरेनस और नेप्चयुन की यात्रा मात्र था। उस समय मानव के पास कुल 20 वर्ष अंतरिक्ष अनुभव था, कोई उम्मीद नहीं थी कि यह अभियान 40 वर्ष से अधिक तक चलेगा, वह भी अपने मूल अभियान को पूरा करने के पश्चात। लेकिन इस अभियान के अभियंताओ को कोई आश्चर्य नहीं हुआ, उन्होंने इसे आवश्यकता से अधिक ही बनाया था।
परिभाषायें
- सौर वायु (Solar Wind): सूर्य की सतह से उत्सर्जित आवेशीत कणो की धारा
- हेलिओस्फीयर(Heliosphere): समस्त सौर मंडल को समाहित करने वाला सौर वायु से निर्मित बुलबुला।
- टर्मीनेशन शाक (Termination Shock): वह क्षेत्र जहाँ पर सूर्य द्वारा उत्सर्जित कणों की गति धीमी पडने लगती और अंतरिक्ष के कणो से टकराव प्रारंभ होता है।
- हीलीयोसीथ(Heliosheth) : वह क्षेत्र जहाँ पर सौर वायु खगोलीय पदार्थ से टकराकर एक तुफान जैसी स्थिती उत्पन्न करती है।
- हीलीयोपाज(Heliopause) : सौर वायु और खगोलीय माध्यम के मध्य की सीमा जहाँ पर दोनो पदार्थो का दबाव समान होता है।
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