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Thursday 29 November 2018

परग्रही जीवन भाग 6 : जल – जीवन का विलायक

जल

जल

वर्तमान मे जीवन के विलायक के रूप मे केवल जल ही ज्ञात है। अब हम देखते है जल की ऐसी कौनसी विशेषताये है जो उसे जीवन का विलायक बनाये हुये है, कैसे वह आदर्श जैव विलायक के रूप मे सभी आवश्यक शर्तो को पूरा करता है। यह हमे अन्य विलायको के आदर्श जीवन के विलायक के रूप मे  तुलना करने के लिये बेंचमार्क का कार्य भी करेगा।

सर्वत्र व्याप्त जल : जल समस्त ब्रह्मांड मे सबसे अधिक उपलब्ध अणु है। इसकी उपलब्धता इतनी है कि अधिकतर ग्रहो मे यह बड़ी मात्रा मे पाया जाना चाहिये, विरोधाभाष यह है कि यह द्रव रूप मे दुर्लभ है। पृथ्वी पर अकाबनिक द्रवो मे केवल जल ही प्राकृतिक रूप से द्रव अवस्था मे  प्रचुर मात्रा मे उपलब्ध है।

जल एक सार्वत्रिक विलायक : जल सबसे अधिक प्रभावी विलायक है। इसे इसी गुण के कारण सार्वत्रिक विलायक ही कहते है। एक विलायक के रूप मे इसकी सफ़लता का कारण इसके अणु का अत्याधिक द्विध्रुवी(polarized) होना है, जिससे इसमे अन्य ध्रुविकृत अणु तथा लवण (Salt)भी घुल जाते है। अध्रुविकृत  कार्बनिक अणु जैसे तैलीय अणु ऐसे विशिष्ट वर्ह के अणु है जो साधारणत: जल मे नही घुलते है। लेकिन जल की इस सीमा के भी लाभ है जोकि हायड्रोफ़ोबिक प्रभाव उत्पन्न करता है। इस गूण की चर्चा हम आगे करेंगे।

जल एक सार्वत्रिक विलायक

जल एक सार्वत्रिक विलायक

एक बड़ी सीमा मे द्रव अवस्था : साधारण अवस्थाओं मे शुद्ध जल एक बड़ी सीमा मे द्रव अवस्था मे होता है 0-100°C/32-212°F। यदि इसमे साधारण लवण मिला दे तो उसका हिंमांक बिंदु कम होकर -23°C/-10°F तक पहुंच जाता है। यदि हम दबाव को वायुमंडलीय दबाव का 215 गुणा कर दे तो इसका बाष्पीकरण बिंदु 374°C/706°F पहुंच जाता है। इसका अर्थ है कि जल के द्रव अवस्था मे रहने की संभवत तापमान सीमा 397°C/716°F है।

जल का सबसे अधिक जलविरोधी(hydrophobic) प्रभाव है: जल का सबसे अधिक जलविरोधी प्रभाव होने से वह पृथ्वी पर जीवन मे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, यह प्रभाव कोशीकाओं के मजबूत मेम्ब्रेन के निर्माण और रखरखाव के लिये अत्यावश्यक है। इस प्रभाव की भूमिका प्रोटीन की तहों के निर्माण के भी आवश्यक है, इन तहो के निर्माण से प्रोटीन त्रीआयामी आकार बना पाता है जिससे प्रोटीन एक निश्चित आकार मे रहकर अपने कार्य ठीक तरह से कर पाता है। प्रोटीन के तैलीय अमिनो अम्ल पानी से बचाव के लिये प्राकृतिक रूप से मध्य से मुड़ जाते है जबकि अन्य अमिनो अम्ल बाहर की ओर मुड़ते है।

जल के अन्य बहुत से विशिष्ट गुणधर्म है : जल के सबसे महत्वपूर्ण गुणो मे से एक यह है कि उससे कई विशिष्ट गुण साधारण सीमा से इस तरह बाहर है कि वे जीवन के लिये लाभदायी हो जाते है। जल का पारद्युतिक स्थिरांक(dielectric constant) अत्याधिक उच्च है जो कि जीवन के लिये उपयुक्त विलायको के लिये अत्याधिक महत्वपूर्ण होता है; इसके अतिरिक्त बहुत कम विलायक ही जल की उष्मीय गुणो के आसपास पहुंच पाते है, ये  गुण तापमान और उष्मा के प्रभाव को नियंत्रित करते है। जल की अत्याधिक उच्च उष्माधारिता(Hear Capacity),  द्रवण की गुप्त उष्मा(heat of fusion) , वाष्पन की गुप्त ऊष्मा(heat of vaporization) तथा उष्मा संवहन क्षमता  है। साथ ही कुछ अन्य महत्वपूर्ण गुणो मे अत्याधिक पृष्ठ तनाव, कम श्यानता तथा उच्च विसरण है।

जल कार्बनिक रसायन के लिये आदर्श है। हम देख चुके है कि कार्बन अकेला तत्व है जो जैव रसायन के लिये आदर्श है। कार्बनिक रसायन प्रक्रियाओं के लिये जल सबसे अधिक उपयुक्त विलायक है। यह दो महत्वपूर्ण कारणो से होता है, कार्बन  जल के दोनो तरह के परमाणुओं आक्सीजन और हायड्रोजन दोनो से मजबूत रासायनिक बंधन बनाता है। कार्बन और हायड्रोजन के मध्य का बंधन साधारण पदार्थो मे पाया जाने  वाला सबसे अधिक मजबूत बंधन है। दूसरा साधारण दबाव मे जल के द्रव अवस्था मे रहने वाली तापमान सीमा ( (0-100°C or 32-212°F)इतनी है कि कार्बन रसायन प्रक्रियाये आसानी से हो जाती है। कार्बन प्रक्रियाये इससे कम तापमान मे अन्य विलायको मे भी संभव है लेकिन वे धीमी होती है और उससे जैविक विकास बहुत धीमा हो जायेगा। इसके विपरीत उच्च तापमान पर यह प्रक्रिया संभव नही होंगी क्योंकि कार्बनिक यौगिक 200°C/392°F तापमान पर टूटने लगते है। जल के द्रव अवस्था मे रहने वाली सीमा कार्बनिक रसायन के लिये आदर्श है।

 

सारांश मे जल विलक्षण द्रव है। विलायक के रूप मे उसकी बराबरी मे कोई नही है। एक तरह से यह मानकर चल सकते हैं कि जल जीवन के लिये ही बना है।

 

अब तक हमने देखा है कि जल के गुणधर्म किस तरह जीवन के लिये आवश्यक है। लेकिन यह गुण ही जीवन के लिये महत्वपूर्ण नही है। जल की भूमिका समस्त ग्रह के पर्यावरण नियंत्रण मे भी महत्वपूर्ण भूमिका है जिससे जीवन संभव होता है। इसमे से कुछ महत्वपूर्ण गुण है

  1. झील, नदीयों और ध्रुविय क्षेत्रो को हीमीकृत होने से बचाना
  2. वैश्विक तापमान का नियंत्रण तथा तीव्र मौसमी बदलाव से बचाव
  3. भूगर्भीय संरचनाओं मे भूकटाव, नदी, घाटी निर्माण और मिट्टी के स्थानांतरण मे सहायता
  4. लवण और खनीजो के वैश्विक स्थानांतरण मे सहायता
  5. भूप्लेटो के स्थानांतरण मे सहायता
  6. जलीय जीवन को सहायता
  7. प्राणी और मानव के शारीरीक तापमान पसीने के द्वारा शीतलन और नियंत्रण

यह सभी कारक महत्वपूर्ण है क्योंकि सभी जीवित प्राणी अपने वातावरण पर अत्याधिक निर्भर होते है। इसके स्थानापन्न विलायक पर चर्चा की जा सकती है, उसकी तुलना जल से करनी होगी। पृथ्वी पर जीवन के लिये जल की भूमिका चंहुओर है जिसमे जीवन के लिये अनुकुल वातावरण, मौसम का निर्माण और नियंत्रण का भी समावेश होता है। अन्य कोई द्रव इन गुणो मे जल के आसपास भी नही पहुंचता है।

 

जल की कमीयाँ

जल एक आदर्श विलायक है और उसमे कई अद्भुत गुण है लेकिन कुछ वैज्ञानिको के अनुसार वह पृथ्वी पर भी हर परिस्थिति मे आदर्श नही है। अब हम जल की इन कमीयों की चर्चा करेंगे।

  • जल हिमीकृत होने पर कोशीकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है। जल का एक विचित्र गुण है, जब वह हिमीकृत होता है तो वह फ़ैलता है। यह झीलो, नदीयो तथा आर्कटीक सागर को हिमीकृत होने पर ठोस होने से बचाता है लेकिन इसका अर्थ यह भी है कि जल कोशिका के अंदर हिमीकृत होने पर कोशीकाओं की मेम्ब्रेन को तोड़ देता है और कोशिका मृत हो जाती है। यह अन्य विलायकों पर आधारित जीवन पर लागु नही होगा क्योंकि वे हिमीकृत होने पर संकुचित होते है, जल के जैसे फ़ैलते नही है। सामान्यत: जल के हिमीकरण से होने वाली हानि अधिक नही होती है क्योंकि बहुत से पौधो और प्राणीयों ने जल के हिमीकरण के दौरान होनेवाले फ़ैलाव से बचने के उपाय खोज लिये है। उदाहरण के कुछ प्राणी प्राकृतिक हिमीकरण रोधी रसायन उत्पन्न करते है जो तापमान के जल के हिमीकरण बिंदु से नीचे जाने के बावजूद उनके शरीर के अंदर जल के हिमीकरण को रोक देते है।
  • जल प्रतिक्रियाशील है और मुख्य जैव अणुओं को क्षति पहुंचा सकता है। सामान्यत: जल को अक्रियाशील माना जाता है और उसे घरो मे, व्यवसायिक तथा औद्योगिक स्थानो मे धड़्ल्ले से प्रयोग किया जाता है। अपेक्षाकृत रूप से जल उदासीन है लेकिन कुछ साधारण सामान्य पदार्थो जैसे तैलिय हाइड्रोकार्बन के साथ वह अधिक क्रियाशील है। इसी वजह से कार्बनिक रसायनज्ञ अपने 80 प्रतिशत से अधिक कार्यो मे  जल की बजाय अन्य विलायको का प्रयोग करते है जिससे कि जल के अन्य प्रक्रियाओं को प्रभावित करने से बच सके। सबसे प्रमुख मुद्दा जल के द्वारा कुछ मुख्य जैविक अणु जैसे डी एन ए का धीमे धीमे क्षरण है, इससे बचाव के लिये डी एन ए के पास एक जटिल क्षतिपूर्ती प्रक्रिया की आवश्यकता होती है। लेकिन यह पूरी कहानी नही है। पानी के पूर्णत उदासीन नही होने के कुछ लाभ भी है क्योंकि उसकी कुछ महत्वपूर्ण जैवरासायनिक प्रक्रियाओं मे आवश्यकता होती है।
  • जल कार्बनडाय आक्साईड के साथ संगत नही है। कार्बन डाई आक्साईड  पौधो मे प्रकाश संशलेषण के लिये एक प्रमुख घटक है। पृथ्वी पर पौधे वर्ष मे लगभग 258  अरब टन CO2 की खपत करते है। गैस के रूप मे समस्त वातावरण मे आसानी से समांगी रूप से फ़ैल जाती है जिससे वह समस्त जमीनी पौधो के लिये आसानी से उपलब्ध होती है। लेकिन जल मे CO2 आसानी से घुलनशील नही है, उसकी बजाय वह CO2 से प्रतिक्रिया कर घूलनशील बायोकार्बोनेट (HCO3) आयन बनाती है। यह जलीय वातावरण जैसे झीलो और सागरो मे जलीय वनस्पति के लिये CO2 की उपलब्धता के लिये अत्यावश्यक है। लेकिन गोरखधंधा यह है कि बायोकार्बोनेट (HCO3) आयन अधिक प्रक्रियाशील नही है लेकिन घुलनशील है, CO2 प्रक्रियाशील है लेकिन घुलनशील नही है। इस समस्या के कारण जलीय और स्थलीय पौधो के सामने एक चुनौति उत्पन्न होती है। पौधो के पास इस समस्या से निपटने का एक उपाय बायोटीन (biotin)एन्जाईम है। बायोटीन चयापचय प्रक्रिया के लिये अधिक ऊर्जा लेता है साथ ही CO2 की अधिक मात्रा प्रयोग नही कर पाता है। अधिकतर कार्बन यौगिकीकरण  एक दूसरे एंजाईम रुबिस्को(rubisco ribulose-1,5-bisphosphate carboxylase oxygenase) से किया जाता है। लेकिन रुबिस्को की छवि अपव्ययी तथा अक्षम एंजाईम होने ही है। यह जिन प्रक्रियाओं के लिये उत्प्रेरक का काम करता है वह धीमी तो होती है और वह O2 और CO2 मे अंतर नही कर पाता है। जब वह आक्सीजन को लेता है तब बहुत से अवांछित यौगिक बनते है जिसका अर्थ और अधिक मात्रा मे रुबिस्को की आवश्यकता होती है।  लेकिन यह समस्या जल या रुबिस्को की कमी ना होकर CO2 तथा O2 की आंतरिक रसायनिक समानता के कारण है।

 

सारांश यह है कि जल मे कुछ कमीयाँ है लेकिन वह उसके लाभो के सामने कुछ नही है। जल का निर्माण ही जीवन के लिये हुआ है। जीवन के लिये जल की तुलना मे कोई भी अन्य विलायक आदर्श ना होने से नासा जीवन की खोज के लिये अंतरिक्ष मे ग्रहों के पास द्रव जल की खोज करता है। लेकिन सभी खगोल जैव वैज्ञानिक ऐसा नही मानते है कि केवल जल ही जीवन के लिये आवश्यक संभव विलायक है, वे अमोनिया और उसके जैसे कुछ अन्य द्रवों  को जीवन के लिये संभव विलायक होने की संभावना पर विचार कर रहे है।

अगले लेख मे हम चर्चा करेंगे जल के विकल्पो की

लेख शृंखला

परग्रही जीवन भाग 1 : क्या जीवन के लिये कार्बन और जल आवश्यक है ?

परग्रही जीवन भाग 4 :बोरान आधारित जीवन

परग्रही जीवन भाग 5 : जीवन अमृत – जल एक महान विलायक



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