हेल्लो दोस्तों, आज हम बात करेंगे भूतकाल के बारे में. लेकिन इतिहास के बारे में नहीं. वास्तव में हम बात करेंगे जिसे हम कहते हैं अभी का पल (NOW MOMENT). समय का सबसे नया पल. लेकिन सच कहे तो हमे अपने जीवन के दौरान इस पल के बारे में कभी पता ही नहीं चलता हैं जिसे हम अभी का पल (NOW) कहते हैं. क्योंकि हमारे दिमाग को यह समजने के लिए वक्त लगता हैं की अभी के पल में क्या हो रहा हैं. हमारे शरीर में क्या हो रहा हैं उस बात की जानकारी दिमाग तक पहुँचने के लिए भी वक्त लगता हैं. वास्तव में आप जितने लम्बे होंगे, अभी के पल से उतने ज्यादा पीछे रहेंगे, मतलब ज्यादा समय आप अतीत में जीते हैं. You Are Always Living In The Past.
हम इस वक़्त जिस NOW मोमेंट को महसूस करते हैं, जो की हमे हमारा दिमाग कहता हैं की हो रहा हैं, वास्तव में वह भूतकाल में 80 मिलिसेकंड पहले ही हो चूका होता हैं. यह सोचना थोडा डरावना हैं की हमारे दिमाग के पास इस चीज़ को जानने का ऐसा कोई भी भौतिक रास्ता नहीं हैं. आप इस समय में जो हो रहा हैं उसको उसी वक्त कभी भी नहीं जान सकते हैं. आप के लिए यह मुमकिन ही नहीं हैं. आप को इसकी इनफार्मेशन ज्यादा से ज्यादा 80 मिलिसेकंड के बाद, यानी की भूतकाल में ही मिलेंगी. यानी आप चाहे माने या न माने या कुछ भी करले लेकिन आप हर वक़्त थोडा भूतकाल में ही जीते हैं.
हमारे शरीर के किसी भी तरह के अनुभव की इनफार्मेशन दिमाग तक पहुँचाने के लिए तंत्रिका आवेग 250 मील प्रति घंटे की गति से आगे बढती हैं. लेकिन क्या होगा अगर में किसी बाइक को 300 मील प्रति घंटे की गति से चलाऊ? मेरे शरीर में चल रही तंत्रिका आवेग से भी ज्यादा मेरी गति होंगी. जितनी तेजी से में NOW मोमेंट को समज पाऊ उससे भी ज्यादा गति मेरी खुद की होंगी. अगर में अपने नाक और अपनी पैर की उंगली दोनों को एकसाथ छूता हूँ तो ज्यादातर दोनों का स्पर्श मुझे बहुत जल्दी और एकसाथ ही महसूस होंगा. लेकिन जब में अपने नाक को छूता हूँ तो उस स्पर्श की माहिती मेरे दिमाग तक जल्दी पहुँचेंगी. क्योंकि मेरी नाक मेरे दिमाग से बहुत ही कम दूरी पर स्थित हैं. लेकिन जब में अपने पैरों की उँगलियों को छूता हूँ तब उस स्पर्श की इनफार्मेशन मेरे दिमाग तक पहुँचाने के लिए पूरे शरीर का नीचें से लेकर ऊपर तक का प्रवास करती हैं. यानी की इनफार्मेशन नीचे से लेकर ऊपर तक पूरी तरह से पहुँच नहीं जाती तब तक हमारा दिमाग यह पक्का करने के बाद ही हमे उस स्पर्श की अनुभूति देता हैं. इसका मतलब यह हुआ की आप जितने लंबे होंगे आपके शरीर को उस स्पर्श की इनफार्मेशन दिमाग तक पहुँचाने में ज्यादा वक़्त लगेगा. उतने समय तक आप ज्यादा भूतकाल में जीते हैं.
आप जब यह जानते हैं की यह moment अभी हैं तब वह बित चूका होता हैं. आप कभी भी इस moment को उसके एकदम साथ में नहीं जी सकते. लेकिन आप निराश मत होइए. इसका मतलब यह भी नहीं हैं की आप वर्तमान को नहीं जी पाए. आप ने वर्तमान को तो जी ही लिया हैं लेकिन उसका पता आप को 80 मिलिसेकंड के बाद चला. तो अगर आप यह सोचते हैं की कोई भी कार्य करने में आप बहुत तेज हैं तो एक बार फिर से सोच लीजिए. आप खुद को जितना तेज समजते हैं उससे 80 मिलिसेकंड कम तेज हैं.
हम इस वक़्त जिस NOW मोमेंट को महसूस करते हैं, जो की हमे हमारा दिमाग कहता हैं की हो रहा हैं, वास्तव में वह भूतकाल में 80 मिलिसेकंड पहले ही हो चूका होता हैं. यह सोचना थोडा डरावना हैं की हमारे दिमाग के पास इस चीज़ को जानने का ऐसा कोई भी भौतिक रास्ता नहीं हैं. आप इस समय में जो हो रहा हैं उसको उसी वक्त कभी भी नहीं जान सकते हैं. आप के लिए यह मुमकिन ही नहीं हैं. आप को इसकी इनफार्मेशन ज्यादा से ज्यादा 80 मिलिसेकंड के बाद, यानी की भूतकाल में ही मिलेंगी. यानी आप चाहे माने या न माने या कुछ भी करले लेकिन आप हर वक़्त थोडा भूतकाल में ही जीते हैं.
हमारे शरीर के किसी भी तरह के अनुभव की इनफार्मेशन दिमाग तक पहुँचाने के लिए तंत्रिका आवेग 250 मील प्रति घंटे की गति से आगे बढती हैं. लेकिन क्या होगा अगर में किसी बाइक को 300 मील प्रति घंटे की गति से चलाऊ? मेरे शरीर में चल रही तंत्रिका आवेग से भी ज्यादा मेरी गति होंगी. जितनी तेजी से में NOW मोमेंट को समज पाऊ उससे भी ज्यादा गति मेरी खुद की होंगी. अगर में अपने नाक और अपनी पैर की उंगली दोनों को एकसाथ छूता हूँ तो ज्यादातर दोनों का स्पर्श मुझे बहुत जल्दी और एकसाथ ही महसूस होंगा. लेकिन जब में अपने नाक को छूता हूँ तो उस स्पर्श की माहिती मेरे दिमाग तक जल्दी पहुँचेंगी. क्योंकि मेरी नाक मेरे दिमाग से बहुत ही कम दूरी पर स्थित हैं. लेकिन जब में अपने पैरों की उँगलियों को छूता हूँ तब उस स्पर्श की इनफार्मेशन मेरे दिमाग तक पहुँचाने के लिए पूरे शरीर का नीचें से लेकर ऊपर तक का प्रवास करती हैं. यानी की इनफार्मेशन नीचे से लेकर ऊपर तक पूरी तरह से पहुँच नहीं जाती तब तक हमारा दिमाग यह पक्का करने के बाद ही हमे उस स्पर्श की अनुभूति देता हैं. इसका मतलब यह हुआ की आप जितने लंबे होंगे आपके शरीर को उस स्पर्श की इनफार्मेशन दिमाग तक पहुँचाने में ज्यादा वक़्त लगेगा. उतने समय तक आप ज्यादा भूतकाल में जीते हैं.
आप जब यह जानते हैं की यह moment अभी हैं तब वह बित चूका होता हैं. आप कभी भी इस moment को उसके एकदम साथ में नहीं जी सकते. लेकिन आप निराश मत होइए. इसका मतलब यह भी नहीं हैं की आप वर्तमान को नहीं जी पाए. आप ने वर्तमान को तो जी ही लिया हैं लेकिन उसका पता आप को 80 मिलिसेकंड के बाद चला. तो अगर आप यह सोचते हैं की कोई भी कार्य करने में आप बहुत तेज हैं तो एक बार फिर से सोच लीजिए. आप खुद को जितना तेज समजते हैं उससे 80 मिलिसेकंड कम तेज हैं.
0 comments:
Post a Comment