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Monday 6 May 2019

तारों का वर्णक्रम के आधार पर वर्गीकरण (SPECTRAL CLASSIFICATION)

लेखक : ऋषभ

यह लेख ’मूलभूत खगोलभौतिकी (Basics of Astrophysics)’ शृंखला मे नंवा लेख है और अब तक की यात्रा रोचक रही है। हमने एक सरल प्रश्न से आरंभ किया था कि खगोलभौतिकी क्या है? इसके पश्चात हमने इस क्षेत्र मे प्रयुक्त होने आधारभूत उपकरणो और तकनीकी शब्दो, दूरी की इकाईयों, खगोलीय निर्देशांक प्रणाली, परिमाण(magnitud) की अवधारणा, विद्युत चुंबकीय वर्णक्रम का महत्व तथा लाल विचलन(redshifts) के प्रकारों को समझा। अब हम इस विषय की गहराईयों के गोता लगाने के लिये तैयार है और अब हम समझेंगे कि ब्रह्मांड कैसे कार्य करता है। इस लेख मे हम तारकीय खगोलभौतिकी(Stellar Astrophysics) की यात्रा आरंभ करेंगे जो कि खगोलशास्त्र मे सबसे ज्यादा अध्ययन कीया जाने वाला विषय है। इस नवम लेख मे हम समझेंगे कि ब्रह्मांड के अरबो खरबो तारों को हम केवल सात वर्गो मे समेट लेते है, अर्थात तारों का वर्गीकरण कैसे होता है।

इस शृंखला के सभी लेखों को आप इस लिंक पर पढ़ सकते है।

यूरोपीयन अंतरिक्ष संस्थान (European Space Agency (ESA)) के अनुसार ब्रह्मांड मे लगभग 1 ट्रिलियन ट्रिलियन(1024) तारे है। यह एक ऐसी संख्या है जिसका मानव की तकनीकी क्षमता मे बढ़ोत्तरी और गहन अंतरिक्ष मे अन्वेषण के साथ बढ़ना तय है। लेकिन क्या हमारे पास इन ब्रह्माण्ड के इन तारों के वर्गीकरण की कोई प्रणाली है ? इसका उत्तर है हाँ मे है! मार्गन कीनन वर्ग्रीकरण प्रणाली(The Morgan Keenan Classification System) जो कि पुरानी वर्गीकरण प्रणाली हार्वर्ड प्रणाली(Harvard System) तथा येर्कीस प्रणाली(Yerkes System) का संगम है। इन प्रणालीयों को विस्तार से देखते है।

तारों का वर्णक्रम के आधार पर वर्गीकरण

हार्वर्ड वर्गीकरण प्रणाली(Harvard Classification System)

हार्वर्ड वर्गीकरण प्रणाली एक विमा वाली वर्गीकरण प्रणाली है जिसमे तारों को सात मुख्य वर्गो मे वर्णक्रम के आधार पर रखा जाता है। यह वर्गीकरण तारे की सतह के तापमान पर आधारित है। इसके सात वर्ग सात अल्फ़ाबेट से निर्देशित होते है जो कि उष्ण से शीतलता की ओर है, O, B, A, F, G, K तथा M। O वर्ग का तारा उष्णतम होता है जिसकी सतह का तापमान लगभग 50,000 K होता है जबकि एक M वर्ग का तारा शीतलतम होता है जिसकी सतह का तापमान केवल2,500 K होता है। इन तारो का रंग भी उनके सतह के तापमान के अनुसार होता है जोकि नीचे दिये चित्र मे दर्शाया गया है।

हार्वर्ड वर्गीकरण प्रणाली(Harvard Classification System)

हार्वर्ड वर्गीकरण प्रणाली(Harvard Classification System)

इस वर्गीकरण को याद रखने का सबसे आसान उपाय नीचे दिया गया सूत्र है।

Oh Boy, A Funny Girl Kicked Me.

इस वर्गीकरण मे हर वर्ग से संबधित तापमान सीमाये नीचे दी है।

  • O: ≥ 30,000 K
  • B: 10,000–30,000 K
  • A: 7,500–10,000 K
  • F: 6,000–7,500 K
  • G: 5,200–6,000 K
  • K: 3,700-5200 K
  • M: 2,400–3,700 K

 

वर्ग प्रभावी तापमान औपचारिक रंग आभासी रंग मुख्य अनुक्रम द्रव्यमान
(सौर द्रव्यमान)
मुख्य अनुक्रम्र त्रिज्या(सौर त्रिज्या) मुख्य अनुक्रम दीप्ती(बोलोमेट्रीक) हाइड्रोजन रेखायें मुख्य अनुक्रम का अनुपात]
O ≥ 30,000 K नीला नीला ≥ 16 M ≥ 6.6 R ≥ 30,000 L कमजोर ~0.00003%
B 10,000–30,000 K नीला श्वेत गहरा नीला श्वेत 2.1–16 M 1.8–6.6 R 25–30,000 L मध्यम 0.13%
A 7,500–10,000 K श्वेत नीला श्वेत 1.4–2.1 M 1.4–1.8 R 5–25 L मजबूत 0.6%
F 6,000–7,500 K पीला श्वेत श्वेत 1.04–1.4 M 1.15–1.4 R 1.5–5 L मध्यम 3%
G 5,200–6,000 K पीला पीलापन लिये श्वेत 0.8–1.04 M 0.96–1.15 R 0.6–1.5 L कमजोर 7.6%
K 3,700–5,200 K हल्का संतरा हल्का पीला संतरा 0.45–0.8 M 0.7–0.96 R 0.08–0.6 L बहुत कमजोर 12.1%
M 2,400–3,700 K संतरा लाल हल्का संतरा लाल 0.08–0.45 M ≤ 0.7 R ≤ 0.08 L बहुत कमजोर 76.45%

अब इन मुख्य वर्गो के अंदर दस उपवर्ग है जिन्हे 0-9 से निर्देशित किया जाता है। इसमे भी छोटी संख्या अधिक तापमान को दर्शाती है। इसलिये K0 वर्ग का तारा K7 तारे से उष्ण होता है। खगोलशास्त्र मे औपचारिक रंहो का प्रयोग परम्परागत है और ये रंग A वर्ग के तारों के रंग के सापेक्ष होते है जिसे श्वेत माना जाता है। इन आभासी रंग का निर्धारण का आधार किसी निरीक्षक द्वारा गहरे आकाश मे नंगी आंखो से तारे के निरीक्षण मे दिखाई देने वाले रंग पर है।

येरकिस वर्गीकरण प्रणाली(Yerkes Classification System)

किसी तारे को उसकी सतह के तापमान के आधार पर एक अल्फ़ाबेट वर्ग दे देना काफ़ी नही है। तारे विभिन्न आकारों मे आते है और वे अपने जीवन के विभिन्न चरणो मे होते है। इसमे मुख्य अनुक्रम(Main Sequences) के तारे होते है जो अब भी अपने केंद्रक मे हाईड्रोजन के संलयन से हिलियम का निर्माण कर रहे होते है और दूसरी ओर श्वेत वामन होते है जिनका जीवन समाप्त हो चुका होता है। इसलिये हमे इनके वर्गीकरण के लिये एक और कारक चाहीये होता है, यह कारक है उनकी दीप्ती।

खगोलभौतिकी मे दीप्ती का अर्थ प्रति सेकंड कुल ऊर्जा का उत्पादन होता है। घने तारे जिनकी अधिक सतह पर अधिक गुरुत्वाकर्षण होता है, उनके वर्णक्रम मे की गहरी रेखाये गुरुत्विय दबाव मे अधिक फ़ैली होती है। किसी महाकाय तारे की सतह पर श्वेत वामन तारे की तुलना मे गुरुत्वाकर्षण कम होता है जिससे उत्पन्न दबाव भी कम होता है। ऐसा इसलिये कि समान द्रव्यमान वाले महाकाय(giant) तारे की त्रिज्या वामन(dwarf) तारे से अधिक होती है। इसलिये वर्णक्रम मे अंतर को दीप्ती के प्रभाव को माना जा सकता है और तारे को उसके वर्णक्रम के विश्लेषण के आधार पर एक दीप्ती वर्ग(luminosity class) दिया जा सकता है। दीप्ती वर्ग(luminosity class) और उसका विवरण नीचे दिया है :

  • 0 or Ia(+): अतिमहादानव (hypergiants) या अत्याधिक चमकीले महाकाय तारे(super giants)
  • Ia: दीप्तीमान महादानव(supergiants)
  • Iab: मध्यम आकार वाले दीप्तीमान महादानव(intermediate-size luminous supergiants)
  • Ib: निम्न दीप्तीमान महादानव(less luminous supergiants)
  • II: दीप्तीमान दानव( giants)
  • III: सामान्य दानव( giants)
  • IV: अर्धदानव(subgiants)
  • V: मुख्य अनुक्रम(Main Sequence)
  • sd: अर्धवामन(sub-dwarfs)
  • D: श्वेत वामन

यह वर्गीकरण तारे के वर्णक्रम के आधार पर है। इस शृंखला के दूसरे लेख मे हमने कहा था कि

“किसी खगोलवैज्ञानिक के हाथो मे ब्रह्मांड के रहस्यो को अनावृत्त करने के लिये विद्युत चुंबकीय वर्णक्रम सबसे महत्वपूर्ण उपकरण है।”

अब आप इस वाक्य को प्रयोग मे देख सकते है ।

मार्गन कीनन वर्णक्रम आधारित वर्गीकरण(Morgan Keenan Spectral Classification of Stars)

यह वर्गीकरण हार्वर्ड प्रणाली और येरेकेस दीप्ती वर्गीकरण प्रणाली का समिश्रण है और मार्गन कीनन वर्णक्रम आधारित वर्गीकरण वर्तमान मे सबसे अधिक प्रयुक्त प्रणाली है। इसमे हर तारे को उसकी सतह के तापमान के आधार पर वर्णक्रम वर्ग (spectral class) तथा उसकी दीप्ती(सतह के गुरुत्वाकर्षण) के आधार पर दीप्ती वर्ग(luminosity class) दिया जाता है। हमारा सूर्य इस वर्गीकरण के आधार G2V वर्ग का है। इसकी सतह का तापमान 5,900 K (G वर्ग) तथा यह वर्तमान मे हायड्रोजन के संलयन से हिलियम बना रहा है अर्थात मुख्य अनुक्रम (V) का तारा है। मार्गन कीनन से ब्रह्माण्ड के सभी तारो को एक ही चित्र मे समेटा जा सकता है जिसे हर्टजस्प्रंग रस्सेल(Hertzsprung Russell) चित्र कहते है।

हर्टजस्प्रंग रस्सेल(Hertzsprung Russell)

हर्टजस्प्रंग रस्सेल(Hertzsprung Russell)

लेखक का संदेश

तारों का वर्णक्रम आधारित वर्गीकरण और हर्टजस्प्रंग रस्सेल(Hertzsprung Russell) चित्र तारकीय खगोलभौतीकी(Stellar Astrophysics) की आधारभूत अवधारणा है। तारों की समस्त कहानी इन्ही दो अवधारणाओं के आसपास घूमती है। यह लेख तारकीय खगोलभौतिकी को समझने मे काफ़ी महत्वपूर्ण है। वर्तमान मे खगोलभौतिकी के नाम पर अधिकतर लोग वर्महोल से यात्रा, ब्लैक होल, श्वेत विवर(white hole), समय यात्रा , श्याम पदार्थ(dark matter) की ही बात करते है। लेकिन वास्तविकता मे, खगोलभौतिकी इन सब विषयो से बहुत अधिक है। इस शृंखला को लिखने का यदि मुख्य उद्देश्य है। हम चाहते है कि आप इस क्षेत्र के इन गहरे विषयों को समझे, उन सिद्धांतो को समझे जिनके बारे मे अधिकतर लोग चर्चा नही करना चाहते है। हम अपने युवा मित्रो को बताते है कि यदि आपको खगोलभौतिक वैज्ञानिक बनना है तो आपको स्पेक्ट्रोस्कोपी(Spectroscopy), विद्युत गतिकी(Electrodynamics), सांख्ययिकीय यांत्रिकी(Statistical Mechanics), क्वांटम यांत्रिकी(Quantum Mechanics), प्रकाशिकी(Optics) और नाभिकिय भौतीकी(Nuclear Physics) मे महारत हासिल करना होगा।

मूल लेख : THE SPECTRAL CLASSIFICATION OF STARS

लेखक परिचय

लेखक : ऋषभ

Rishabh Nakra

Rishabh Nakra

लेखक The Secrets of the Universe के संस्थापक तथा व्यवस्थापक है। वे भौतिकी मे परास्नातक के छात्र है। उनकी रूची खगोलभौतिकी, सापेक्षतावाद, क्वांटम यांत्रिकी तथा विद्युतगतिकी मे है।

Admin and Founder of The Secrets of the Universe, He is a science student pursuing Master’s in Physics from India. He loves to study and write about Stellar Astrophysics, Relativity, Quantum Mechanics and Electrodynamics.



from विज्ञान विश्व http://bit.ly/2J3kR4A
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