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Wednesday 14 June 2017

मानव आंखे कितने मेगा पिक्सेल की होती है?

maxresdefault.jpgहमारी पृथ्वी अन्य ग्रहो से बिलकुल अलग है और खास भी कारण धरती पर जीवन का होना। वैसे तो पृथ्वी पर असंख्य जीव है परंतु जब बात प्रतिभाशाली परिष्कृत जीव की होगी सर्वप्रथम स्थान “मानव”।
मनुष्य धरती पर सबसे प्रतिभाशाली जीव है क्योंकि मनुष्य देखने,सोचने,समझने और कार्य करने में पूर्णतः सक्षम है। मनुष्य को प्रतिभाशाली बनाने में सबसे ज्यादा योगदान मस्तिष्क और आँखों का है। हमलोग एक त्रिआयामी संसार(Three dimensional world)में रहते है हालांकि चौथा आयाम(Dimension)समय है पर समय के बारे में हमारी जानकारी अभी अपूर्ण है। हमारी आँखे सभी चीजों को त्रिआयामी छवि(Three dimensional image)के रूप में देखती है। मानव नेत्र एक प्रकाशीय यंत्र है जो फोटोग्राफिक कैमरे की तरह की व्यवहार करती है। हमसब जानते है जब प्रकाश किसी वस्तु से टकराकर हमारी दृष्टिपटल(Retina)पर पड़ता है तो उस वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना पर बनता है रेटिना नेत्र का प्रकाश सुग्राही भाग(light sensitive part)है। दृक तांत्रिक(optic nerve)यह रेटिना पर बनने वाले प्रतिविंब को संवेदनाओ द्वारा मस्तिष्क तक पहुँचाने का कार्य करती है।
जैसा की ऊपर हमने उल्लेख किया मानव नेत्र कैमरा के समान है तो साधारण सा प्रश्न उठता है कि हम कैमेरे की क्षमता तो MP(Megapixel)में बता सकते है परंतु हमारी आँखे कितने MP कैमेरे के समान है। यदि आप सोच रहे है कि आपकी आँखे मोबाइल कैमेरे से ज्यादा मेगापिक्सेल की है तो आप गलत सोच रहे है। आपको जानकर आश्चर्य होगा आपकी आँखे महज 1.5~2.0 MP के कैमरा के समतुल्य है। जबकि आधुनिक स्मार्टफोन कैमेरे 13MP,16MP या उससे भी अधिक मेगापिक्सेल से लैस होते है।
अब प्रश्न है जब हमारी आँखे महज 2MP की है तो हम किसी भी छवि को इतना स्पष्ट कैसे देख पाते है इसका जवाब है “हमारा परिष्कृत मस्तिष्क”। जब हम किसी त्रिआयामी छवि को देखते है तो दृक तांत्रिक सभी संवेदी सूचनाएं हमारी मस्तिष्क को भेज देती है चूँकि हमारी नेत्र की क्षमता(1.5~2.0MP)कम है इसलिए इन सूचनाओं से जो छवि का निर्माण होता है उसमें लाखो-करोड़ो काले धब्बे(blind spots)होते है हमारा मस्तिष्क इन सारे ब्लाइंड स्पॉट को भर देता है और हमारे समक्ष एक स्पष्ट त्रिआयामी छवि प्रस्तुत कर देता है। दिमाग इस कार्य को करने में बहुत ही सूक्ष्म समय लेता है जबकि सुपर कंप्यूटर भी इस कार्य को इतने कम समय से इतनी कुशलता से नही कर सकता। आधुनिक वैज्ञानिक शोध बताते है कि हम जो कुछ भी देखते है उसमे 85%~90% योगदान हमारे मस्तिष्क का शेष हमारी नेत्रो का।
वास्तव मे किसी कैमरा और मानव नेत्र दृष्टि(vision)की तुलना मेगापिक्सेल मे सटीक रूप से नही की जा सकती क्योंकि हमारे नेत्र की दृष्टि किसी कैमेरे की तरह डिजिटल नही होती और तो और हम अपने विज़न का एक मामूली हिस्सा ही साफ-साफ देख पाते है। इस तथ्य को आप सरल प्रयोग से साबित कर सकते है। एक काम कीजिए। अपना हाथ सामने की ओर करके अपना अंगूठा आँखो के सामने रख अपना फोकस बिलकुल अंगूठा पर रखिये। अब अपने किसी मित्र से कहिये कोई अख़बार आपके अंगूठे के दाएं तरफ 6इंच की दुरी पर लेकर खड़ा रहे। तो क्या??बिना अंगूठे से ध्यान हटाये आप अख़बार में क्या लिखा है बता सकते है?
जवाब है…..नही!!
आपको अख़बार तो दिख रहा है पर अख़बार के अक्षर नही। इसका कारण मानव नेत्र के लिए पूर्ण दृष्टिक्षेत्र(total field of view)मे से केवल 2°क्षेत्र पर ही फोकस करना संभव है अर्थात आपके अंगूठे के साइज के बराबर। शोध यह भी बताते है कि हमारी दृष्टि तीक्ष्णता(visual acuity) अर्थात सामान्य प्रकाश मे देखने की क्षमता)लगभग 74MP के समान है और रेसोलुशन क्षमता 576MP की है।
humaneye
दृष्टि तीक्ष्णता 74MP::औसत मानव रेटिना पचास लाख शंकु रिसेप्टर्स से बना होता है. शंकु रिसेप्टर्स रंग दृष्टि के लिए जिम्मेदार होते हैं, इसीलिए आप कह सकते हैं की ये आँख के लिए एक पांच मेगापिक्सेल के बराबर है.लेकिन यहाँ आप गलत होंगे. क्योंकि मानव आंख में सौ मिलियन मोनोक्रोम भी होते हैं, जो आंख द्वारा देखी जा रही छवि के तीखेपन(contrast)में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है. इस दोनों के आधार पर हम 105 मेगापिक्सेल कह सकते है पर यह पूर्णतः असत्य होगा। परन्तु कुछ शोध हमारे द्वारा देखे गए छवि के गुणबत्ता के आधार पर इसे 76 मेगापिक्सल कहते हैं लेकिन ये भी पूर्ण सत्य नही लगता क्योंकि मनुष्य की आँख कोई डिजिटल कैमरा नहीं है।
Resolution 576MP::
सामान्य प्रकाश मे देखने की क्षमता(A) = (1/b)
जहाँ b= (रेखा युग्म)/(चाप-मिनिट)
सामान्य प्रकाश मे; A= 1.7; जिसका मतलब होता है की 1चाप-मिनिट = 1.7 रेखा युग्म
या 1 रेखा युग्म= 0.59 चाप-मिनिट
एक लाइन को परिभाषित करने के लिये हमे कम से कम 2 पिक्सल की जरूरत होती है, मतलब पिक्सल के बीच जो अंतराल होगा वो 0.59/2 ~ 0.3 चाप-मिनट होगा।
पिक्सेल की गणना करने के लिये हमे 2 विमा पर ही ध्यान देना होगा (ऐसा मान लीजिये की आप खिड़की या दरवाजे से बाहर एकदम सीधे देख रहें है) इस अवस्था मे आप जो भाग घेरेंगे वो करीब करीब 90°×90°का होगा लेकिन हमारे आँख का सामान्य दृश्य कोण (angle of vision) एकदम नाक के सीधे लगभग 60°लिया जाता है|
चूंकि; 0.3 चाप-मिनिट समतुल्य है 1 पिक्सल के
इसीलिये 90×60 होगा= 90×60/0.3 = 18000
दो विमा को बराबर मानते हुए कुल पिक्सेल = 18000×18000 पिक्सेल= 324 MP
सामान्य लोग 90°की जगह 120°मानते है तो उस अवस्था मे 120×60/0.3=24000
24000×24000 पिक्सेल = 576 MP
सरल शब्दों में मानव की दोनों आँखें मिलकर जो चारों ओर के दृश्य की समग्र छवि मस्तिष्क में पहुंचती है। वो कुल मिलाकर एक बहुत बड़े क्षेत्र की छवि बनाता है। जो लगभग 576 मेगापिक्सल के बराबर होता हैं। Actually 576MP जबाव तब सही हो सकता है जब मानव नेत्र किसी कैमरा स्नेप शॉट की तरह तस्वीर के हर कोण को साफ साफ देख सके पर ऐसा संभव ही नही। 2°के छोटे से क्षेत्र का रेसुलुशन 576MP नही 8 मेगापिक्सेल डाटा काफी है आपके इस 2°के क्षेत्र को भरने के लिए। अब आप ही अंदाजा लगा लीजिये की आपकी आंख कितने मेगा पिक्सल के बराबर होती हैं।
शायद आप अब भी थोड़े असमंजस मे है तो चलिए कुछ विरोधाभास को दूर कर देते है। वास्तब मे मेगापिक्सेल किसी कैमेरे की क्षमता का सटीक मापन नही कर सकता कि वह कैमरा कितनी स्पष्ट तस्वीर लेगा। किसी भी तस्वीर की स्पष्टता इमेज सेंसर पर निर्भर करती है। इमेज सेंसर ही यह तय करता है कि किसी भी तस्वीर को स्पष्ट देखने या दिखाने मे कितनी प्रकाश की आवश्कता है। निशाचर जीव जंतु के आँखों में फोटो रिसेप्टर्स की संख्या ज्यादा होती है। इसी कारण वे रात मे ज्यादा प्रकाश को ग्रहण करके साफ छवि देख पाते है। चील और गिद्ध जैसे जीव लंबी दूरियों से भी छोटी से छोटी हलचल को देख लेते है क्योंकि उनकी आँखों मे सक्रिय फोटो रिसेप्टर्स की संख्या बहुत अधिक होती है। प्रोफ़ेशनल कैमरा इसलिए महँगे नही होते की उसमे ज्यादा मेगापिक्सेल लगे होते है बल्कि इसलिए महँगे होते है क्योंकि उसमे ज्यादा बड़े इमेज सेंसर और अति उन्नत अति संवेदनशील सेंसर लगे होते है। सरल शब्दो में आप कह सकते है इमेज सेंसर ही प्रकाश को किसी छवि में बदलता है।

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