ब्लैक होल के अन्दर (INSIDE THE BLACKHOLE) का सफ़र कैसा होता हैं यह तो हम पहले देख चुके हैं. इस बार हम देखते हैं What if a Black Hole Formed on Earth in Hindi क्या होगा अगर पृथ्वी पर एक छोटा सा ब्लैक होल बन जाए?
इस सवाल का एक संक्षिप्त जवाब हैं की आप की मौत हो जाएगी. दूसरा बड़ा जवाब यह है की वह निर्भर करता हैं. यहाँ पर हमारे पास एक ऐसा ब्लैकहोल हैं जिसका वजन और आकार एक छोटे से सिक्के जितना हैं. सोच लीजिए की एक US निकल का 5 ग्राम का सिक्का अचानक ही ब्लैकहोल बन जाता हैं और अपने ही अन्दर ढहने लगता हैं. इस ब्लैकहोल की त्रिज्या 10 ^-30 मीटर जितनी होंगी. आम तौर पर एक हाइड्रोजन परमाणु की त्रिज्या 10 ^-11 जितनी होती हैं. इसका मतलब यह ब्लैकहोल एक परमाणु से भी बहुत ज्यादा छोटा होंगा. इतना छोटा की इस ब्लैकहोल को अगर हम एक हाइड्रोजन परमाणु के आकर का मान ले तो उस परमाणु का आकर हमारे सूरज जितना होंगा.
इस छोटे ब्लैकहोल का जीवनकाल भी हॉकिंग विकिरण द्वारा होनेवाले क्षय की वजह से बहुत कम होता हैं. यह 10 ^-23 सेकंड जितने समय के लिए ही विकीर्ण (radiate) होता हैं. इसका 5 ग्राम जितना वजन 450 टेराजूल जितनी उर्जा मैं परिवर्तित हो जाता हैं, यह उर्जा हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए हुए परमाणु बम से निकलनेवाली उर्जा से तिन गुना ज्यादा होंगी. इस केस मैं तो आपकी मौत हो जाएंगी और आप सिक्का भी खो देंगे.
अगर उस ब्लैकहोल का व्यास उस सिक्के के व्यास जितना होता तो यह बड़े पैमाने पर भारी होता. निकल के सिक्के के आकर का यह ब्लैकहोल वास्तव में हमारी पृथ्वी से भी ज्यादा भारी होता. उसकी सतह का गुरुत्वाकर्षण हमारे ग्रह की तुलना में एक अरबों गुना अधिक होता. आप कुछ जान पाए इसके पहले तो यह ब्लैकहोल आपको निगल चूका होंगा.
इस वक़्त पृथ्वी पर, आपकी उंगलियाँ और आपके पैर पृथ्वी के केंद्र से एक ही दूरी पर हैं. लेकिन जैसी ही एक सिक्के के आकार का ब्लैकहोल आपके हाथ मैं आएगा, आपके पैर पृथ्वी के केंद्र से 100 गुना ज्यादा नजदीक हो जाएंगे. आप पर सामान्य रूप से पडनेवाले गुरुत्वाकर्षण बल से कई हज़ार गुना गुरुत्वाकर्षण बल आपके शरीर पर पड़ेगा, जिससे आपके शरीर के अरबों टुकड़े हो जाएंगे. लेकिन ब्लैकहोल केवल आपका खात्मा करने के बाद रुकनेवाला नहीं हैं.
यह ब्लैक होल अब पृथ्वी-चंद्रमा-ब्लैकहोल की मौत प्रणाली का एक सबसे ज्यादा गुरुत्वाकर्षण वाला पदार्थ होंगा. आप सोचेंगे की ब्लैकहोल पृथ्वी के केंद्र की और डूबने लगेगा और अन्दर की तरफ से उसको खाने लगेगा. लेकिन वास्तविकता केवल यहीं नहीं हैं. ब्लैकहोल के पृथ्वी के केंद्र तक पहुँचने पर, ब्लैकहोल के अन्दर होने के बावजूद पृथ्वी उसका चक्कर लगाना शुरू करेंगी. ब्लैकहोल के अन्दर होने पर जितनी बार पृथ्वी उसका चक्कर लगाएंगी उतनी बार सतह पर गुजरने पर वह ब्लैकहोल उसको खाता जाएंगा. यह काफी डरावना द्रश्य होंगा. आप उस द्रश्य की कल्पना कर सकते हैं.
जब पृथ्वी को उसकी अन्दर की तरफ से खाया जा रहा होगा, तब यह ब्लैकहोल के आसपास एक घनिष्ठ कक्षा में एक गरम पत्थर की बिखरी हुई डिस्क के रूप में ढह जाएगी. यह ब्लैकहोल जब पृथ्वी को पूरी तरह से खा लेंगा तब उसका वजन दो गुना हो जाएगा.
चंद्रमा की कक्षा इस वक़्त अत्यधिक अण्डाकार हो जाएंगी. ब्लैकहोल का ज्वारीय बल पृथ्वी के नजदीकी क्षुद्रग्रहों (asteroids) को बाधित करेगा, शायद ज्यादातर asteroid belt के क्षुद्रग्रहों को. एस वजह से हमारा सौरमंडल बमबारी और टक्कररों के लिए अगले कुछ लाख साल के लिए एक आम जगह बन सकता हैं. बाकी ग्रह थोड़े बाधित होंगे, लेकिन उनकी कक्षाएं लगभग वोहीं रहेंगी. ब्लैकहोल बन गई हमारी पृथ्वी अपनी जगह पर रहकर ही सूरज का चक्कर लगाना जारी रखेंगी.
लेकिन इस केस में भी आपकी मौत हो जाएगी.
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