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Thursday 15 June 2017

आत्मा,भगवान,ब्रह्माण्ड और बिग बेंग

आज जानते हैं ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति और सनातन सत्य के बारे में. जैसे की, आत्मा क्या हैं? क्या इस ब्रह्माण्ड को भगवान ने बनाया है? और क्या हैं बिग बेंग की सच्चाई?

इस संयुक्त Space-Time और भौतिक स्वरूपों के ब्रह्माण्ड (स्थान, समय, रूप और व्यक्तित्व) को अस्तित्व में आने से पहले No-Thing (कुछ नहीं) था, केवल एक निराकार (Formless), अनामी (Nameless), बिना मौतवाला (Death-Less), पूरी तरह से खाली और गैर वैचारिक जागरूकता वाला एक क्षेत्र था. यह सबसे प्रथम उच्च हाजरी थी. जिससे शुद्ध Singularity या The Great Unmanifest (महान अव्यक्त) भी कह सकते हैं. यह क्रिएटिव स्रोत “अनन्त वर्तमान (Eternal Now)” के निराकार और कालातीत सातत्य के रूप में अस्तित्व में था.
दूसरे शब्दों में कहें तो इसके पहले कुछ घटित ही नहीं हुआ था. यह बिना किसी स्वरुप वाला एक शून्य था, जो की रहस्यमयी तरीके से असीमित क्षमता वाली ऊर्जा से भरा हुआ था. हम इसकी वास्तविकता और अंतिम स्तर की सच्चाई को हमारी इंद्रियों या दिमाग के माध्यम से सोच या समज नहीं सकते, क्योंकि इसके वास्तविकता के उस प्राथमिक स्तर पर यह एक न दिखाई देनेवाला और मूल रूप से खाली था. इसके बारे में ठीक से विचार कर पाना हमारी समज की बाहर की चीज़ हैं.
समानता की उस अविभाजित और मौलिक अवस्था में वहाँ पर न कोई परिवर्तन था और ना ही किया गया था, ना कोई भेद, ना कोई वस्तु, ना कोई जगह (Space), ना कोई समय, ना कोई अनुभव, ना कोई नवीनता और ना ही कोई विकास हुआ था. लेकिन यह ब्रह्माण्डीय कलाकार अव्यक्त और बिना अपना वजूद जाहिर किए हुए एक खाली और विशाल कैनवास (चित्रफलक) के रूप में मौजूद नहीं रह सकता था. तभी उसके अन्दर “मैं” या “I AM” की अभिव्यक्ति उत्पन्न हुई. यह स्त्रोत अंतहीन अभिव्यक्ति करने, समन्वेषण करने और विस्तृत होने के लिए ऊर्जावान आग्रह के साथ परिपूर्ण था. यह खुद के अस्तित्व को जानने और समजने के लिए वांछित था. दूसरे शब्दों में कहे तो स्वयं जागरूक बनने के लिए इच्छुक था.










अपने असीम और जल्दी से बदलते पहलुओं को व्यक्त करने के लिए, इसके अन्दर की जागरूकता, जिज्ञासा और खुद से प्यार (Self Love) जरुरत से ज्यादा हो गए थे. वह अविश्वसनीय अनंत संभावनाओं और असीम रचनात्मकता के साथ ओवरफ्लो हो रहा था. अपनी विविधता और जटिलता को भौतिक बनाने के लिए इस स्त्रोत उर्जा की कल्पना शक्ति का एक विस्फोट होना जरुरी था. केवल इसी तरह ही Space-Time का यह आव्यूह प्रकट हो सकता था (खुद से ही). बिग बेंग वास्तव में यहीं था. खुद के ही भीतर देख कर अपनी ही विविधता और दोहरेपन (Duality) के अनुभव के माध्यम से यह स्वयं जागरूक हुआ.
इस स्त्रोत विस्तार की प्रक्रिया में गतिशीलता एक आवश्यक कदम था. इस अस्तित्व के दौरान अर्थपूर्ण अनुभवों के लिए दोहरेपन (Duality) की कल्पना की गई थी. खुद का ही निर्देश या जिक्र करने के लिए, ताकि एक दूसरे के साथ इंटरैक्ट किया जा सके और तुलना की जा सके. क्योंकि किसी भी चीज़ की परस्पर विरोधी चीज़ के बिना उसका अस्तित्व मुमकिन नहीं हो सकता था. जैसे की जन्म/मृत्यु, पुरुष/ महिला, सकारात्मक/नकारात्मक, प्रकाश/अंधेरा, आप/मैं, प्यार/भय, भूत/भविष्य, बीमारी/स्वस्थ, दिन/रात, विषय/वस्तु, इच्छा/नफरत, गर्म/ठंडा, अंदर/बाहर. जीवन का चमत्कारी सार्वभौमिक नृत्य Divine Singularity (दिव्य विलक्षणता) के बटवारे से शुरू हुआ था. यहाँ जागरूकता के कई स्तरों इस दिव्य विलक्षणता के अति सूक्ष्म आंशिक टुकड़े किये गए थे. (एक छोटे परमाणु की अलग चेतना और वैसे कई परमाणु से बने एक पत्थर की एक अलग चेतना और वैसे ही कई पत्थरों से बने एक ग्रह की एक अलग चेतना.)








‘किसी भी चीज़ का होना’ उसकी हकीक़त से कुछ ज्यादा ही होता हैं’. यह ‘एक में से अनेक’ होता हैं. स्व-भुलक्कड़पन और दोहरी चेतना जैसे सॉफ्टवेयर जानबूझकर हमारे जैविक रूपों में प्रोग्राम किए गए हैं. हम सभी इस निराकार और अपूर्व परमात्मा स्त्रोत (आप इसे भगवान भी कह सकते हैं) के अलग अलग स्वरुप हैं. हम सभी इस गैर-स्थानीय (non-local) और अद्वैत (non-dual) लौकिक बुद्धि की होलोग्राफिक अभिव्यक्तियां हैं. हम सभी ब्रह्माण्डीय चेतना हैं जो आत्मगत रूप से (subjectively) खुद को ही अनुभव कर रही हैं. जब भी जागरूकता का यह स्त्रोत देखना, सुनना, स्वाद, अनुभव या स्पर्श करना चाहता है तब वह जीवन और भौतिकता का अनुभव करने के लिए उसके द्वारा बनाए गए जीवित प्राणियों की इन्द्रियों का इस्तेमाल करता हैं.
हम सभी इस अनंत और अपरिवर्तनीय यूनिवर्सल सेल्फ में प्रोब्स की तरह हैं, दृष्टिकोण के विभिन्न बिंदु, हर एक चीज़ का अपना खुद का अलग नजरियाँ. जीवन का यह एकीकृत क्षेत्र (unified field) ब्रह्माण्ड स्वरुप इस कंपन निर्माण में सभी संभव तरीकों से अपनी जागरूकता का विस्तार कर रहा हैं (आप के माध्यम से, मेरे माध्यम से, सभी जानवरों, पौधों और जीवन के माध्यम से). यह हम सभी को अंतःपरस्पर संबद्ध बनाता है. हम सभी अनोखे हैं, क्योंकि हम सबके पास हमारे व्यक्तिगत द्रष्टिकोण हैं और उसकी वजह हमारे अन्दर रही हुई “i am” या “मैं” अभिव्यक्ति की उपस्थिति हैं. हम सभी जानबूझकर हमारे अपने भौतिक सृजन से सम्मोहित हो गए हैं. हम इस भ्रम में बंध गए हैं की हम सब अलग अलग हैं. हम यहीं सोचते हैं की हम हमारे नियंत्रण से बाहर की प्रकृति के कुछ संसारी सिद्धांत और अपरिष्कृत बलों के अधीन कुछ हड्डियों और मांस के बने हुए हैं.
आपको यह बात मान लेनी चाहिए की आप आप एक जागरूक और प्राथमिक बल से बने हैं, जो व्यापक है और आप का असीम हिस्सा हैं. आपको कभी भी बनाया नहीं गया था और ना ही आपको कभी नष्ट किया जा सकता हैं. आप एक शाश्वत और गैर भौतिक क्षेत्र हैं, जो अभी आपके इस भौतिक शरीर में कुछ समय के लिए इस ब्रह्माण्ड की अनुभूति करने के लिए मौजूद हैं. हम सभी का जन्म, अनंत और असीमित संभावनाओं के साथ हुआ हैं, लेकिन हम में से ज्यादा लोग वयस्कता तक पहुँचने से पहले ही इस जागरूकता को खो देते हैं….












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