मक्खी या छोटे जानवरों (Small Animals) की रफ़्तार को तो आप जानते ही होंगे. वे हमसे बहुत तेज होते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि मक्खियों की प्रक्रिया मनुष्य की तुलना में चार गुना अधिक दृश्य जानकारी के साथ होती हैं. मक्खियाँ अपने आसपास की दुनिया को प्रति सेकंड 250 फ्रेम में देखती हैं या Perceive करती हैं, जब की हम इन्सान केवल प्रति सेकंड 60 फ्रेम में देखते हैं. इसलिए ज्यादातर वह आप के हाथ में आने से बच जाती हैं. क्योंकि ऐसे छोटे जानवर दुनिया को स्लो-मोशन में देखते या महसूस करते हैं. Small Animals Live in a Slow-Motion World in hindi.
कुत्ते का एक साल इंसानों के सात सालों के बराबर होता हैं. तो क्या इसका मतलब यह हैं की हमारा एक साल कुत्ते को सात सालों जितना महसूस होता हैं? एक सबूत से यह पता चला हैं की, अलग अलग प्रजातियों के जानवरों को उनके जीवन का समय गुजरने का अनुभव अलग अलग पैमाने पर होता हैं. पशु व्यवहार से सम्बंधित एक ताजा अध्ययन में पता चला है कि जानवरों के शरीर का द्रव्यमान और चयापचय का दर निर्धारित करता हैं की समय को वे कैसे महसूस करते हैं. समय की अनुभूति इस बात पर निर्भर करती हैं की कितनी तेजी से जानवर का तंत्रिका तंत्र संवेदी जानकारी को संसाधित करता है. इस क्षमता का परीक्षण करने के लिए, शोधकर्ताओंने कुछ लोगों को एक तेजी से चमकती रोशनी दिखाई. अगर रोशनी पर्याप्त तेजी से चमकती हैं तो उनको वह स्थिर दिखाई देंगी. वह फ़्लैश तो हो रही होती हैं लेकिन हम इंसानों को स्थिर दिखाई देती हैं. इसके बाद ऐसी रोशनी को अलग अलग जानवरों को दिखाया गया और उनके व्यवहार या उनके मस्तिष्क की गतिविधियों को इलेक्ट्रोड से मापा गया (इस इलेक्ट्रोड की मदद से सर्वोच्च आवृत्ति का पता चलता है). जो जानवर इस इन आवृत्तियों पर भी रोशनी को टिमटिमाती हुई देखते हैं, वे समय को एक स्पष्ट रेजोल्यूशन में देखते हैं. दूसरे शब्दों में कहे तो, हमारे द्वारा अनुभव कियें जानेवाले मूवमेंट और घटनाए ऐसे जानवरों को बहुत ही धीरे से होते दिखाई देते हैं. बिलकुल वैसे ही जैसे किसी फिल्म में बन्दूक की गोली स्लो-मोशन में निकलती हैं. आपने किसी छिपकली को तेजी से कीड़ों को खाते तो देखा ही होंगा.
समय की अनुभूति आपके लिए हमेशा एक जैसी नहीं होती हैं, जब तक की आप अपने शरीर को कोई मूवमेंट न दे. आप शरीर को जितनी तेज मूवमेंट कराएँगे उतना ही समय आपको धीरे धीरे बितता महसूस होंगा. उदहारण के लिए सोचिये की आप अपने हैडफ़ोन में कोई गाना सुन रहे हैं, फिर आप अचानक ही 5 मिनिट के लिए तेज दौड़कर आते हैं या जोगिंग कर के आते हैं, उसके बाद जब आप वह गाना सुनेंगे तब आपको वह गाना थोडा स्लो-मोशन में सुनाई देंगा. ऐसा क्यों? ऐसा इसलिए की आपके तेज दौड़ने से आपके शरीर में खून के बहने की गति बढ़ जाती हैं और दिल तेज धड़क रहा होता हैं. समय की रफ़्तार आपके लिए धीमी नहीं होंगी लेकिन सामान्य इन्सान के मुकाबले आपका दिमाग थोडा तेज मूवमेंट कर रहा होता हैं. दिमाग रक्त बहाव तेज होने से आप दुनिया को कुछ पल के लिए स्लो-मोशन में महसूस करेंगे. लेकिन जब आप रात को अपने बिस्तर पर सोते वक़्त गाना सुनेंगे तो गाना ज्यादा तेज गति से फ़ास्ट-फॉरवर्ड में सुनाए देंगा. क्योंकि तब बिलकुल निष्क्रिय होंगे. आप मूवमेंट नहीं कर रहे होंगे और आपके शरीर और आपके दिमाग में रक्त प्रवाह कम होगा.
चीटी और मक्खी जैसे कई जानवर समय को एक स्पष्ट रेजोल्यूशन में देखते हैं. वे बहुत हलके होते हैं और उनकी चयापचय की क्रिया बहुत ही तेज होती हैं. इससे आप किसी चूहें और हाथी की समय को महसूस करने की क्षमता के बारे में अंदाजा लगा सकते हैं. कुत्ते इन्सान की तुलना में कम से कम 25 प्रतिशत तेजी से दृश्य जानकारी लेते हैं. समय की अनुभूति, शरीर की संरचना, और शरीर विज्ञान के बीच की कड़ी से यह पता चलता हैं की अलग अलग नर्वस सिस्टम ऊर्जा संरक्षण के साथ प्राकृतिक वातावरण के दबाव को संतुलित करने के लिए विकसित हुई हैं.
मेरे ख्याल से कोई भी चीज़ जितनी भी छोटी होती हैं, समय की रफ़्तार उसके लिए कम होती जाती हैं. आप जैसे जैसे स्केल में निचे उतरते जाएंगे तब आपका एक सेकंड लंबा होता जाएगा. यह हम हमारी पोस्ट एक सेकंड कितना लंबा होता हैं? में देख चुके हैं. इंसानी सेकंड की परिभाषा होती हैं ” एक सीज़ियम परमाणु के भीतर होते 9,19,26,31,770 संक्रमण.” इन संक्रमणों की संख्या भले ही बहुत ज्यादा हैं लेकिन वहाँ उस परमाणु के भीतर वह एक सामान्य बात होंगी. भौतिकता के किसी एक बहुत ही छोटे स्तर पर एक पिकोसेकंड का मूल्य भी एक इंसानी सेकंड जितना हो सकता हैं. मान लीजिए आप अपने हाथ से चुटकी बजाते हैं. उस चुटकी के द्रश्य को अगर आप आपके शरीर के एक परमाणु या उससे भी छोटे कण के नजरिये से देखे तो वह शायद उसके समय के मुताबिक कुछ महीनों या सालों जितना लंबा होंगा.
उसी तरह चीज़ जितनी विशाल होती हैं उसको उससे छोटी चीज़े बहुत ही तेजी से मूवमेंट करती दिखाई देती हैं. यानी की भौतिकता के एक विशाल स्तर पर रही किसी विशाल चीज़ के मुताबिक हमारी पृथ्वी का एक साल उस स्तर के एक सेकंड जितना हो सकता हैं. यानी की उस लेवल का एक सेकंड हमारे एक साल के बराबर होंगा. इस अनंत संसार में हम इंसान किसी एक विशाल चीज़ के लिए एक परमाणु भर हो सकते हैं.
0 comments:
Post a Comment