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Wednesday 14 June 2017

सूरज के बौने बेटे : क्षुद्रग्रह

क्षुद्र ग्रह पथरीले और धातुओ के ऐसे पिंड है जो सूर्य की परिक्रमा करते है लेकिन इतने लघु है कि इन्हे ग्रह नही कहा जा सकता। इन्हे लघु ग्रह या क्षुद्र ग्रह कहते है। इनका आकार १००० किमी व्यास के सेरस से १ से २ इंच के पत्थर के टुकडो तक है। क्षुद्रग्रहो का व्यास २४० किमी या उससे ज्यादा है। ये क्षुद्रग्रह पृथ्वी की कक्षा के अंदर से शनि की कक्षा से बाहर तक है। लेकिन अधिकतर क्षुद्रग्रह मंगल और गुरु के बिच मे एक पट्टे मे है। कुछ की कक्षा पृथ्वी की कक्षा को काटती है और कुछ ने भूतकाल मे पृथ्वी को टक्कर भी मारी है। एक उदाहरण महाराष्ट्र मे लोणार झील है।
२५३ मैथील्डे('C' वर्ग का क्षुद्रग्रह)
२५३ मैथील्डे('C' वर्ग का क्षुद्रग्रह)

क्षुद्र ग्रह का पट्टा(Asteroid Belt)

मुख्य क्षुद्रग्रह पटटा(सफेद), ट्राजन क्षुद्रग्रह (हरा)
मुख्य क्षुद्रग्रह पटटा(सफेद), ट्राजन क्षुद्रग्रह (हरा)
क्षुद्र ग्रह ये सौर मंडल बन जाने के बाद बचे हुये पदार्थ है। एक दूसरी कल्पना के अनुसार ये मंगल और गुरु के बिच मे किसी समय रहे प्राचीन ग्रह के अवशेष है जो किसी कारण से टूकडो टूकडो मे बंट गया। इस कल्पना का एक कारण यह भी है कि मंगल और गुरू के बिच का अंतराल सामान्य से ज्यादा है। दूसरा कारण यह है कि सूर्य के ग्रह अपनी दूरी के अनुसार द्रव्यमान मे बढ्ते हुये और गुरु के बाद घटते क्रम मे है। इस तरह से मंगल और गुरु के मध्य मे गुरु से छोटा लेकिन मंगल से बडा एक ग्रह होना चाहिये। लेकिन इस प्राचिन ग्रह की कल्पना सिर्फ एक कल्पना ही लगती है क्योंकि यदि सभी क्षुद्र ग्रहो को एक साथ मिला भी लिया जाये तब भी इनसे बना संयुक्त ग्रह १५०० किमी से कम व्यास का होगा जो कि हमारे चन्द्रमा के आधे से भी कम है।
क्षुद्रग्रहो के बारे मे हमारी जानकारी उल्कापात मे बचे हुये अबशेषो से है। जो क्षुद्रग्रह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से पृथ्वी के वातावरण मे आकर पृथ्वी से टकरा जाते है उन्हे उल्का (Meteoroids) कहा जाता है। अधिकतर उल्काये वातावरण मे ही जल जाती है लेकिन कुछ उल्काये पृथ्वी से टकरा भी जाती है।
इन उल्काओ का ९२% भाग सीलीकेट का और ५ % भाग लोहे और निकेल का बना हुआ होता है। उल्का अवशेषो को पहचाना मुश्किल होता है क्योंकि ये सामान्य पत्थरो जैसे ही होते है।
२४३ ईडा और उसका चंद्रमा डीकटील
२४३ ईडा और उसका चंद्रमा डीकटील
क्षुद्र ग्रह सौर मंडल के जन्म के समय से ही मौजुद है। इसलिये विज्ञानी इनके अध्यन के लिये उत्सुक रहते है। अंतरिक्षयान जो इनके पट्टे के बिच से गये है उन्होने पाया है कि ये पट्टा सघन नही है, इन क्षुद्र ग्रहो के बिच मे काफी सारी खाली जगह है। अक्टूबर १९९१ मे गलेलियो यान क्षुद्रग्रह क्रंमांक ९५१ गैसपरा के पास से गुजरा था। अगस्त १९९३ मे गैलीलियो ने क्षुद्रग्रह क्रमांक २४३ इडा की नजदिक से तस्वीरे ली थी। ये दोनो ‘S’ वर्ग के क्षुद्र ग्रह है।
अब तक हजारो क्षुद्रग्रह देखे जा चुके है और उनका नामकरण और वर्गीकरण हो चुका है। इनमे प्रमुख है टाउटेटीसकैस्टेलियाजीओग्राफोस और वेस्ता। २पालास४ वेस्ता और १० हाय्जीया ये ४०० किमीऔर ५२५ किमीके व्यास के बिच है। बाकि सभी क्षुद्रग्रह ३४० किमी व्यास से कम के है।
धूमकेतू, चन्द्रमा और क्षुद्रग्रहो के वर्गीकरण मे विवाद है। कुछ ग्रहो के चन्द्रमाओ को क्षुद्रग्रह कहना बेहतर होगा जैसे मंगल के चन्द्रमा फोबोस और डीमोस , गुरू के बाहरी आठ चन्द्रमा ,शनि का बाहरी चन्द्रमा फोएबे वगैरह।

क्षुद्र ग्रहो का वर्गीकरण

  • ४३३ एरोस
    ४३३ एरोस
    १. C वर्ग :इस श्रेणी मे ७५% ज्ञात क्षुद्र ग्रह आते है। ये काफी धुंधले होते है।(albedo ०.०३)। ये सूर्य के जैसे सरचना रखते है लेकिन हाय्ड्रोजन और हिलीयम नही होता है।
  • २. S वर्ग : १७%, कुछ चमकदार(albedo ०.१० से०.२२), ये धातुओ लोहा और निकेल तथा मैगनेशियम सीलीकेट से बने होते है।
  • ३. M वर्ग :अधिकतर बचे हुये : चमकदार (albedo .१० से ०.१८) , निकेल और लोहे से बने।
इनका वर्गीकरण इनकी सौरमण्डल मे जगह के आधार पर भी किया गया है।
  • १. मुख्य पट्टा : मंगल और गुरु के मध्य। सूर्य से २-४ AU दूरी पर। इनमे कुछ उपवर्ग भी है :- हंगेरीयास, फ़्लोरास,फोकीआ,कोरोनीस, एओस,थेमीस,सायबेलेस और हिल्डास। हिल्डास इनमे मुख्य है।
  • २. पृथ्वी के पास के क्षुद्र ग्रह (NEA)
  • ३.ऎटेन्स :सूर्य से १.० AU से कम दूरी पर और ०.९८३ AU से ज्यादा दूरी पर।
  • ४. अपोलोस :सूर्य से १.० AU से ज्यादा दूरी पर लेकिन १.०१७ AU से कम दूरी पर।
  • ५.अमार्स : सूर्य से १.०१७ AU से ज्यादा दूरी पर लेकिन १.३ AU से कम दूरी पर।
  • ६.ट्राजन : गुरु के गुरुत्व के पास।
९५१ गैस्परा
९५१ गैस्परा
सौर मण्डल के बाहरी हिस्सो मे भी कुछ क्षुद्र ग्रह है जिन्हे सेन्टारस कहते है। इनमे से एक २०६० शीरान है जो शनि और युरेनस के बिच सूर्य की परिक्रमा करता है। एक क्षुद्र ग्रह ५३३५ डेमोकलस है जिसकी कक्षा मंगल के पास से युरेनस तक है। ५१४५ फोलुस की कक्षा शनि से नेपच्युन के मध्य है। इस तरह के क्षुद्र ग्रह अस्थायी होते है। ये या तो ग्रहो से टकरा जाते है या उनके गुरुत्व मे फंसकर उनके चन्द्रमा बन जाते है।
क्षुद्रग्रहो को आंखो से नही देखा जा सकता लेकिन इन्हे बायनाकुलर या छोटी दूरबीन से देखा जा सकता है।

कुछ मुख्य क्षुद्रग्रह

क्रमांक.नामदूरीत्रिज्याद्रव्यमानआविष्कारकदिनांक
2062एटेन Aten1445140.5?हेलीन Helin1976
3554आमुन Amun145710??शुमेकर Shoemaker1986
1566आईकेरस Icarus1612690.7?बाडे Baade1949
433एरास Eros17280033x13x13विट Witt1898
1862अपोलो Apollo2200610.7?रेनमुथ Reinmuth1932
2212हेफैस्टोस Hephaistos3238844.4?शेर्न्यख Chernykh1978
951गैस्परा Gaspra3300008?नेउजमीन Neujmin1916
4वेस्टा Vesta3534002653.0e20ओल्बरस Olbers1807
3जुनो Juno399400123?हार्डींग Harding1804
15युनोमिया Eunomia3955001368.3e18डेगासपरीस DeGasparis1851
1सेरेस Ceres (अब बौना ग्रह)4139004878.7e20पीआज्जी Piazzi1801
2पलास Pallas4145002613.18e20ओल्बर्स Olbers1802
243इडा Ida42800035??1880?
52युरोपा Europa463300156?गोल्डस्क्म्डित Goldschmidt1858
10हायगीआ Hygiea4703002159.3e19डेगासपरीस DeGasparis1849
511डेवीडा Davida475400168?डुगन Dugan1903
911अग्मेम्नानAgamemnon77810088?रेनमठ Reinmuth1919
2060शीरान Chiron205190085?कोवल Kowal1977
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