क्षुद्र ग्रह पथरीले और धातुओ के ऐसे पिंड है जो सूर्य की परिक्रमा करते है लेकिन इतने लघु है कि इन्हे ग्रह नही कहा जा सकता। इन्हे लघु ग्रह या क्षुद्र ग्रह कहते है। इनका आकार १००० किमी व्यास के सेरस से १ से २ इंच के पत्थर के टुकडो तक है। क्षुद्रग्रहो का व्यास २४० किमी या उससे ज्यादा है। ये क्षुद्रग्रह पृथ्वी की कक्षा के अंदर से शनि की कक्षा से बाहर तक है। लेकिन अधिकतर क्षुद्रग्रह मंगल और गुरु के बिच मे एक पट्टे मे है। कुछ की कक्षा पृथ्वी की कक्षा को काटती है और कुछ ने भूतकाल मे पृथ्वी को टक्कर भी मारी है। एक उदाहरण महाराष्ट्र मे लोणार झील है।
क्षुद्र ग्रह का पट्टा(Asteroid Belt)
क्षुद्र ग्रह ये सौर मंडल बन जाने के बाद बचे हुये पदार्थ है। एक दूसरी कल्पना के अनुसार ये मंगल और गुरु के बिच मे किसी समय रहे प्राचीन ग्रह के अवशेष है जो किसी कारण से टूकडो टूकडो मे बंट गया। इस कल्पना का एक कारण यह भी है कि मंगल और गुरू के बिच का अंतराल सामान्य से ज्यादा है। दूसरा कारण यह है कि सूर्य के ग्रह अपनी दूरी के अनुसार द्रव्यमान मे बढ्ते हुये और गुरु के बाद घटते क्रम मे है। इस तरह से मंगल और गुरु के मध्य मे गुरु से छोटा लेकिन मंगल से बडा एक ग्रह होना चाहिये। लेकिन इस प्राचिन ग्रह की कल्पना सिर्फ एक कल्पना ही लगती है क्योंकि यदि सभी क्षुद्र ग्रहो को एक साथ मिला भी लिया जाये तब भी इनसे बना संयुक्त ग्रह १५०० किमी से कम व्यास का होगा जो कि हमारे चन्द्रमा के आधे से भी कम है।
क्षुद्रग्रहो के बारे मे हमारी जानकारी उल्कापात मे बचे हुये अबशेषो से है। जो क्षुद्रग्रह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से पृथ्वी के वातावरण मे आकर पृथ्वी से टकरा जाते है उन्हे उल्का (Meteoroids) कहा जाता है। अधिकतर उल्काये वातावरण मे ही जल जाती है लेकिन कुछ उल्काये पृथ्वी से टकरा भी जाती है।
इन उल्काओ का ९२% भाग सीलीकेट का और ५ % भाग लोहे और निकेल का बना हुआ होता है। उल्का अवशेषो को पहचाना मुश्किल होता है क्योंकि ये सामान्य पत्थरो जैसे ही होते है।
क्षुद्र ग्रह सौर मंडल के जन्म के समय से ही मौजुद है। इसलिये विज्ञानी इनके अध्यन के लिये उत्सुक रहते है। अंतरिक्षयान जो इनके पट्टे के बिच से गये है उन्होने पाया है कि ये पट्टा सघन नही है, इन क्षुद्र ग्रहो के बिच मे काफी सारी खाली जगह है। अक्टूबर १९९१ मे गलेलियो यान क्षुद्रग्रह क्रंमांक ९५१ गैसपरा के पास से गुजरा था। अगस्त १९९३ मे गैलीलियो ने क्षुद्रग्रह क्रमांक २४३ इडा की नजदिक से तस्वीरे ली थी। ये दोनो ‘S’ वर्ग के क्षुद्र ग्रह है।
अब तक हजारो क्षुद्रग्रह देखे जा चुके है और उनका नामकरण और वर्गीकरण हो चुका है। इनमे प्रमुख है टाउटेटीस, कैस्टेलिया, जीओग्राफोस और वेस्ता। २पालास, ४ वेस्ता और १० हाय्जीया ये ४०० किमीऔर ५२५ किमीके व्यास के बिच है। बाकि सभी क्षुद्रग्रह ३४० किमी व्यास से कम के है।
धूमकेतू, चन्द्रमा और क्षुद्रग्रहो के वर्गीकरण मे विवाद है। कुछ ग्रहो के चन्द्रमाओ को क्षुद्रग्रह कहना बेहतर होगा जैसे मंगल के चन्द्रमा फोबोस और डीमोस , गुरू के बाहरी आठ चन्द्रमा ,शनि का बाहरी चन्द्रमा फोएबे वगैरह।
क्षुद्र ग्रहो का वर्गीकरण
- १. C वर्ग :इस श्रेणी मे ७५% ज्ञात क्षुद्र ग्रह आते है। ये काफी धुंधले होते है।(albedo ०.०३)। ये सूर्य के जैसे सरचना रखते है लेकिन हाय्ड्रोजन और हिलीयम नही होता है।
- २. S वर्ग : १७%, कुछ चमकदार(albedo ०.१० से०.२२), ये धातुओ लोहा और निकेल तथा मैगनेशियम सीलीकेट से बने होते है।
- ३. M वर्ग :अधिकतर बचे हुये : चमकदार (albedo .१० से ०.१८) , निकेल और लोहे से बने।
इनका वर्गीकरण इनकी सौरमण्डल मे जगह के आधार पर भी किया गया है।
- १. मुख्य पट्टा : मंगल और गुरु के मध्य। सूर्य से २-४ AU दूरी पर। इनमे कुछ उपवर्ग भी है :- हंगेरीयास, फ़्लोरास,फोकीआ,कोरोनीस, एओस,थेमीस,सायबेलेस और हिल्डास। हिल्डास इनमे मुख्य है।
- २. पृथ्वी के पास के क्षुद्र ग्रह (NEA)
- ३.ऎटेन्स :सूर्य से १.० AU से कम दूरी पर और ०.९८३ AU से ज्यादा दूरी पर।
- ४. अपोलोस :सूर्य से १.० AU से ज्यादा दूरी पर लेकिन १.०१७ AU से कम दूरी पर।
- ५.अमार्स : सूर्य से १.०१७ AU से ज्यादा दूरी पर लेकिन १.३ AU से कम दूरी पर।
- ६.ट्राजन : गुरु के गुरुत्व के पास।
सौर मण्डल के बाहरी हिस्सो मे भी कुछ क्षुद्र ग्रह है जिन्हे सेन्टारस कहते है। इनमे से एक २०६० शीरान है जो शनि और युरेनस के बिच सूर्य की परिक्रमा करता है। एक क्षुद्र ग्रह ५३३५ डेमोकलस है जिसकी कक्षा मंगल के पास से युरेनस तक है। ५१४५ फोलुस की कक्षा शनि से नेपच्युन के मध्य है। इस तरह के क्षुद्र ग्रह अस्थायी होते है। ये या तो ग्रहो से टकरा जाते है या उनके गुरुत्व मे फंसकर उनके चन्द्रमा बन जाते है।
क्षुद्रग्रहो को आंखो से नही देखा जा सकता लेकिन इन्हे बायनाकुलर या छोटी दूरबीन से देखा जा सकता है।
कुछ मुख्य क्षुद्रग्रह
क्रमांक. | नाम | दूरी | त्रिज्या | द्रव्यमान | आविष्कारक | दिनांक |
2062 | एटेन Aten | 144514 | 0.5 | ? | हेलीन Helin | 1976 |
3554 | आमुन Amun | 145710 | ? | ? | शुमेकर Shoemaker | 1986 |
1566 | आईकेरस Icarus | 161269 | 0.7 | ? | बाडे Baade | 1949 |
433 | एरास Eros | 172800 | 33x13x13 | विट Witt | 1898 | |
1862 | अपोलो Apollo | 220061 | 0.7 | ? | रेनमुथ Reinmuth | 1932 |
2212 | हेफैस्टोस Hephaistos | 323884 | 4.4 | ? | शेर्न्यख Chernykh | 1978 |
951 | गैस्परा Gaspra | 330000 | 8 | ? | नेउजमीन Neujmin | 1916 |
4 | वेस्टा Vesta | 353400 | 265 | 3.0e20 | ओल्बरस Olbers | 1807 |
3 | जुनो Juno | 399400 | 123 | ? | हार्डींग Harding | 1804 |
15 | युनोमिया Eunomia | 395500 | 136 | 8.3e18 | डेगासपरीस DeGasparis | 1851 |
1 | सेरेस Ceres (अब बौना ग्रह) | 413900 | 487 | 8.7e20 | पीआज्जी Piazzi | 1801 |
2 | पलास Pallas | 414500 | 261 | 3.18e20 | ओल्बर्स Olbers | 1802 |
243 | इडा Ida | 428000 | 35 | ? | ? | 1880? |
52 | युरोपा Europa | 463300 | 156 | ? | गोल्डस्क्म्डित Goldschmidt | 1858 |
10 | हायगीआ Hygiea | 470300 | 215 | 9.3e19 | डेगासपरीस DeGasparis | 1849 |
511 | डेवीडा Davida | 475400 | 168 | ? | डुगन Dugan | 1903 |
911 | अग्मेम्नानAgamemnon | 778100 | 88 | ? | रेनमठ Reinmuth | 1919 |
2060 | शीरान Chiron | 2051900 | 85 | ? | कोवल Kowal | 1977 |
0 comments:
Post a Comment