न्युट्रान तारे ये मृत तारे का अत्यंत सघन रूप है, जो कि सिर्फ न्युट्रान से बने होते है। न्युट्रान तारो का एक उपवर्ग पल्सर भी है। इन्हे पल्सर इसलिये कहा जाता है क्योंकि ये विद्युत चुंबकिय विकीरण(Electro Magnetic radiation) की पल्स उत्सर्जीत करते रहते है।
न्युट्रान तारा
नाम के अनुसार ये तारे न्युट्रान से बने होते है। ये उन तारो के अवशेष होते है जिनका द्र्व्यमान 1.4 से 9 सौर द्रव्यमान के बीच होता है। तारे के नोवा बनने के बाद उसका केन्द्रक सिकुड जाता है और उसकी बाहरी तहे अंतरिक्ष मे विस्फोट द्वारा उतसर्जीत होकर निहारीका (Nebula)बनाती है। गुरुत्वाकर्षण केन्द्रक को और सिकुडने और सघन होने पर मजबूर करता है। यह केन्द्रक कुछ सेकण्डो मे कुछ किमी(25 किमी) के गोले मे बदल जाता है। ये इतना सघन होता है कि एक सूई की नोक के बराबर के पदार्थ का द्रव्यमान हजारो टन मे होगा।
नाम के अनुसार ये तारे न्युट्रान से बने होते है। ये उन तारो के अवशेष होते है जिनका द्र्व्यमान 1.4 से 9 सौर द्रव्यमान के बीच होता है। तारे के नोवा बनने के बाद उसका केन्द्रक सिकुड जाता है और उसकी बाहरी तहे अंतरिक्ष मे विस्फोट द्वारा उतसर्जीत होकर निहारीका (Nebula)बनाती है। गुरुत्वाकर्षण केन्द्रक को और सिकुडने और सघन होने पर मजबूर करता है। यह केन्द्रक कुछ सेकण्डो मे कुछ किमी(25 किमी) के गोले मे बदल जाता है। ये इतना सघन होता है कि एक सूई की नोक के बराबर के पदार्थ का द्रव्यमान हजारो टन मे होगा।
न्युट्रान तारा
पृथ्वी के साधारण वातावरण मे यह घटना असंभव है। एक परमाणु मे काफी इलेक्ट्रान और नाभिक के बिच काफी सारी खाली जगह होती है जो कि चार मूलभूत बलो मे से एक विद्युत चुम्बकिय बल के कारण होती है। ये बल इलेक्ट्रान को नाभिक से दूर रखता है। जब यह विद्युत चुम्बकिय बल कार्यशील होता है, तारा सिकुडकर न्युट्रान तारे के आकार मे नही आ सकता। लेकिन तारे का द्र्व्यमान बहुत ज्यादा होने पर गुरुत्वाकर्षण(मूलभूत बलो मे से एक) विद्युत चुम्बकिय बल से ज्यादा प्रभावी हो जाता है। इन्ही कुछ क्षणो मे विद्युत चुम्बकिय बल टूट जाता है और गुरुत्वाकर्षण के दबाव मे इलेक्ट्रान प्रोटान से मिलकर न्युट्रान बना देते है। और जो भी कुछ बचता है वह सिर्फ न्युट्रान तथा एक अत्यंत सघन न्युट्रान तारा जन्म लेता है।
सुपरनोवा के अवशेष और न्युट्रान तारा
न्युट्रान तारा की रचना काफी आसान होती है। इसकी तीन तहे होती है। एक ठोस केन्द्रक, एक तरल आवरण और एक पतली बाहरी परत। न्युट्रान तारो का एक बहुत पतला कुछ सेंटीमीटर (1 इंच) का वातावरण भी होता है जो कि तारे के कार्य के लिये महत्वपूर्ण नही होता है। न्युट्रान तारे के भी दो अक्ष होते है। चुम्बकिय अक्ष और घुर्णन अक्ष। पृथ्वी की तरह ये दोनो अक्ष भी एक साथ नही होते है।
पल्सर
ये भी न्युट्रान तारे होते है लेकिन एक विशेषता के साथ। पल्सर अंतरिक्ष मे दो अत्याधिक उर्जा वाली तरंगे उत्सर्जित करता है जो कि उसकी चुंबकिय अक्ष के पास सघन होती है। यह चुंबकिय बल पृथ्वी के चुंबकिय बल से 10 खरब गूना ज्यादा शक्तिशाली होता है। ये तरंगे सामान्यतः किसी साथी तारे से प्राप्त किये पदार्थ की होती है, जिसमे कणो की गति को प्रकाश की गति के 20% तक त्वरीत कर दिया गया होता है।
एक कलाकार की कल्पना मे पल्सर
पल्सर निरिक्षणो के अनुसर काफी तेज घूर्णन करते है, अधिकतर एक सेकंड मे एक घूर्णन करते है। सबसे तेज पल्सर एक सेकंड मे 642 घूर्णन करता है और सबसे धीमा 4.308 सेकंड मे एक। यह तेजी कोणीक गति के संरक्षण(Law of conservation of angular momentum) के नियम के अतर्गत होती है। इस नियम के अनुसार यदि कोई पिण्ड एक गति से घूर्णन कर रहा है और उस पिण्ड का आकार कम हो जाता है लेकिन द्रव्यमान अपरिवर्तित रहता है तब उसकी घूर्णन गति बढ जाती है। इसका उदाहरण स्केटर है, वे स्केटींग करते हुये घूर्णन करते समय घूर्णन गति बढाने के लिये अपने हाथ सिकोड कर शरीर के पास ले आते है जबकि घूर्णन गति कम करने के लिये हाथ सिधे कर लेते है।
पल्सर भी धीमे पडते जाते है और रूक जाते है क्योंकि ये अपनी उर्जा तरंग के रूप मे अंतरिक्ष मे भेजते है जिसे गुरुत्विय तरंग कहते है। यह गुरुत्विय तरंग सभी गतिज महाकाय पिंड से उत्सर्जित होती है और इसकी गति प्रकाशगति के तुल्य होती है। घूर्णन से रूकने के बाद की स्थिती मे पल्सर एक साधारण न्युट्रान तारा बन जाता है।
कुछ दुर्लभ मौको पर दो न्युट्रान तारे एक युग्म तारे के रूप मे बंध जाते है। उर्जा के ह्रास के कारण ये स्पायरल के जैसे एक दूसरे की परिक्रमा करते हुये पास आते जाते है। अंत मे दोनो मिल जाते है, इस स्थिती मे वे दोनो मिलकर एक श्याम विवर को जन्म देते है।
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