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Wednesday 14 June 2017

हिग्स बोसान मिल ही गया !

जिनीवा में CERN के भौतिक विज्ञानीयों  ने  बुधवार 4 जुलाई 2012 को एक प्रेस कांफ्रेंस में दावा किया कि उन्‍हें प्रयोग के दौरान नए कण मिले, जिसके गुणधर्म हिग्‍स बोसोन से मिलते  हैं। उन्‍होंने बताया कि वैज्ञानिक नए कणों के आंकड़ो के विश्‍लेषण में जुटे हैं। हालांकि उन्‍होंने यह भी कहा कि इन नए कणों के कई गुण हिग्‍स बोसोन सिद्धांत से मेल नहीं खाते हैं। फिर भी इसे ब्रह्मांड की उत्त्पत्ती के  रहस्‍य खोलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण  कदम  माना जा रहा है।
वैज्ञानिक हिग्स कण की मौजूदगी के बारे में ठोस सबूतों की खोज कर रहे थे। बुधवार को घोषणा की गई है कि खोज प्रारंभिक है लेकिन इसके ठोस सबूत मिले हैं। इस घोषणा से पहले अफवाहों का बाज़ार गर्म था। हिग्स बॉसन या God Particle विज्ञान की एक ऐसी अवधारणा रही है जिसे अभी तक प्रयोग के ज़रिए साबित नहीं किया जा सका था।
वैज्ञानिकों की अब ये कोशिश होगी कि वे पता करें कि ब्रह्रांड की स्थापना कैसे हुई होगी। हिग्स बॉसन के बारे में पता लगाना भौतिक विज्ञान की सबसे बड़ी पहेली माना जाता रहा है। लार्ज हेड्रॉन कोलाइडर नामक परियोजना में दस अरब डॉलर खर्च हो चुके हैं। इस परियोजना के तहत दुनिया के दो सबसे तेज़ कण त्वरक बनाए गए हैं जो  प्रोटानो को प्रकाश गति के समीप गति से टकरायेंगे। इसके बाद जो होगा उससे ब्रह्रांड के उत्पत्ति के कई राज खुल सकेंगे।
वहीं, एटलस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे ब्रिटिश भौतिकशास्त्री ब्रॉयन कॉक्सके मुताबिक सीएमएस ने भी एक नया बोसोन खोजा है जो कि मानक हिग्स बोसोन की तरह ही है। हालांकि कॉक्स ने यह भी कहा कि अधिक जानकारी के लिए हिग्स सिग्नल को प्रत्येक इवेंट में 30- प्रोटान-प्रोटान टकराव  कराना पड़ेगा जो कि काफी मुश्किल होगा क्योंकि यह एटलस प्रोजेक्ट की डिजाइन क्षमता के बाहर की बात है।सर्न की खोज पर प्रतिक्रिया देते हुए वैज्ञानिक पीटर हिग्स ने कहा,
‘सर्न के वैज्ञानिक आज के नतीजों के लिए बधाई के पात्र हैं, यह यहां तक पहुंचने के लिए लार्ज हेड्रान कोलाइडर और अन्य प्रयोगों के प्रयासों का ही नतीजा है। मैं नतीजों की रफ्तार देखकर हैरान हूं। खोज की रफ्तार शोधकर्ताओं की विशेषज्ञता और मौजूदा तकनीक की क्षमताओं का प्रमाण है। मैंने कभी उम्मीद नहीं की थी कि मेरे जीवनकाल में ही ऐसा होगा।’
इससे पहले, फ्रांस और स्विटजरलैंड की सीमा पर जिनीवा में बनी सबसे बड़ी प्रयोगशाला में दुनिया भर के बड़े वैज्ञानिकों को निमंत्रित किया गया था।हिग्स बोसोन वे कण हैं, जिसकी ब्रह्मांड के बनने में अहम भूमिका मानी जाती है। भौतिकी  के स्टेंडर्ड माडल  के नियमों के मुताबिक धरती पर हर चीज को द्रव्यमान देने वाले यही कण हैं। लोगों को 1960 के दशक में इनके बारे में पहली बार पता चला। तब से ये भौतिकी की अबूझ पहेली बने हुए हैं।
यूरोपियन ऑर्गनाइजेशन फॉर न्यूक्लियर रिसर्च (सर्न) के जिनीवा के पास स्थित भौतिकी रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिको ने बताया कि हिग्ग्स बोसोन का पता तब चला, जब एटलस और सीएमएस प्रयोगों से जुड़े वैज्ञानिको ने लार्ज हैड्रोन कॉलाइडर में तेज गति (प्रकाश गति के समीप) से मूलभूत कणों  को आपस में टकराए।
इस दौरान बोसोन के चमकते हुए अंश सामने आए, लेकिन उन्हें पकड़ना आसान नहीं था। सीएमएस से जुड़े एक वैज्ञानिक ने बताया, ये दोनों ही प्रयोग एक ही द्रव्यमान स्तर पर हिग्स बोसान की उपस्थिति का संकेत दे रहे हैं।
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