In this blog you will enjoy with science

Wednesday 14 June 2017

सौर पाल : भविष्य के अंतरिक्षयानो को सितारों तक पहुंचाने वाले प्रणोदक

सौर पाल(Solar Sail) अंतरिक्ष यानो की प्रणोदन प्रणाली है जोकि तारो द्वारा उत्पन्न विकिरण दबाव के प्रयोग से अंतरिक्षयानो को अंतरिक्ष मे गति देती है। राकेट प्रणोदन प्रणाली मे सीमित मात्रा मे इंधन होता है लेकिन सौर पाल वाले अंतरिक्षयानो के पास वास्तविकता मे सूर्य प्रकाश के रूप मे अनंत इंधन होगा। इस तरह का असीमित मात्रा मे इंधन किसी भी अंतरिक्षयान द्वारा अंतरिक्ष मे खगोलिय दूरीयों को पार कराने मे सक्षम होगा।

यह कैसे कार्य करता है ?

सौर पाल फोटान अर्थात प्रकाश कणो से ऊर्जा ग्रहण करते है जोकि सौर पाल की दर्पण नुमा परावर्तक सतह से टकराकर वापस लौटते है। हर फोटान का संवेग होता है, यह संवेग फोटान के टकराने पर सौर पाल की परावर्तक सतह को स्थानांतरित हो जाता है। हर फोटान अपने संवेग का दुगना संवेग सौर पाल को स्थानांतरित करता है। अरबो की संख्या मे फोटान किसी विशाल सौर पाल से टकराने पर उसे पर्याप्त मात्रा मे प्रणोद प्रदान करने मे सक्षम होते है।
सौर पाल मे प्रयुक्त परावर्तक पदार्थ किसी कागज से 40 से 100 गुणा पतले होते है तथा इस पाल को फैलाने पर वे पाल के लिये निर्मित ढांचे पर दृढ़ रूप से बंध जाते है और अंतरिक्षयान को प्रणोदन देने मे सक्षम होते है। अंतरग्रहीय यात्राओं के लिये सौर पाल का क्षेत्रफल एक वर्ग किमी चाहीये। वर्तमान के सौर पाल वाले अभियानो का आकार बहुत कम है और वे जांच तथा तकनीकी प्रदर्शन के लिये ही बनाये गये है।
solarsail1

सौर पाल का संक्षिप्त इतिहास

  1. 1610 :गणितज्ञ जोहानस केप्लर ने कहा था कि किसी धूमकेतु की पुंछ सूर्य के कारण निर्मित हो सकती है। उन्होने गैलेलियो को लिखे पत्र मे कहा था कि सूर्य की इस विशिष्ट क्षमता से ग्रहो के मध्य यात्रा करने के लिये यान बनाये जा सकते है।Solarsail2
  2. 1864 :स्काटलैंड के वैज्ञानिक जेम्स क्लार्क मैक्सवेल विद्युतचुंबकीय क्षेत्र तथा विकिरण के सिद्धांत के प्रतिपादक थे। उनके सिद्धांत के अनुसार प्रकाश का संवेग होता है और यह संवेग पदार्थ पर दबाव डालता है। उनके समीकरणो ने सौरपाल के लिये सैद्धांतिक आधार दिया था।solarsail3
  3. 1899 :रूसी वैज्ञानिक पीटर लेबेडेफ़(Peter Lebedev) ने टार्सनल संतुलन द्वारा प्रकाश के दबाव का सफल प्रदर्शन किया था।Solarsail4
  4. 1925: राकेट विज्ञान तथा अंतरिक्षयानो के प्रवर्तक फ़्रेडरिक ज़ेण्डर ने एक शोध पत्र मे सौर पाल की अवधारणा मे विशाल आकार के पतली परत वाले दर्पण तथा सूर्य प्रकाश के दबाव से खगोलिय गति प्राप्त करने का विचार प्रस्तुत किया।solarsail5

solarsail6प्रारंभिक जांच और प्रयास

  1. मैरिनर 10(Mariner 10) :यह बुध ग्रह तक पहुंचने वाला प्रथम यान था तथा इसने उंचाई नियंत्रण करने के लिये सौर दबाव का प्रयोग किया था। इस यान को 1973 मे प्रक्षेपित किया गया था।
  2. झ्नम्या 2(Znmya -2)  : रूसी अंतरिक्ष केन्द्र मिर(Mir) द्वारा 20 मीटर चौड़े विशाल परावर्तक को फैलाया गया था, लेकिन इस प्रयोग मे प्रणोदन की पुष्टि नही हुयी।
  3. एस्ट्रो-एफ़(Astro-F) :2006 मे अकारी अंतरिक्षयान(Akari) के साथ 15 मिटर व्यास के सौर पाल का प्रक्षेपण किया गया था। यह यान कक्षा मे स्थापित हो गया लेकिन सौर पाल फ़ैल ना पाने से अभियान असफ़ल रहा।
  4. नैनोसेल डी(Nanosail-D) – 2008 मे नासा ने स्पेसएक्स फ़ाल्कन 1 यान के साथ एक सोलर पाल प्रक्षेपण का प्रयास किया लेकिन राकेट कक्षा मे नही पहुंच पाया और प्रशांत महासागर मे जा गिरा।
  5. इकारास(IKAROS) :जुन 2010 मे जापान द्वारा प्रक्षेपित यह विश्व का सर्वप्रथम अंतरग्रहीय सौर पाल वाला सफ़ल यान था।
  6. नैनोसेल डी2(Nanosail D2) :  नासा का सौर पाल मे यह द्वितिय प्रयास था और इसे नवंबर 2010 मे प्रक्षेपित किया गया। इस यान ने जनवरी 2011 मे अपने सौर पाल को सफलता पूर्वक फ़ैला दिया।

प्रकाश सौर पाल : 40 वर्षो की निर्माण गाथा

  1. 1976 मे खगोल वैज्ञानिक कार्ल सागन ने विश्व के सामने द जानी कार्सन शो मे सौर पाल वाले अंतरिक्षयान के एक प्रोटोटाईप
    को प्रस्तुत किया।
  2. चार वर्ष पश्चात कार्ल सागन मे लुई फ़्रीडमन तथा ब्रुस मुर्रे के साथ द प्लेनेटरी सोसायटी की स्थापना की जिसका उद्देश्य अंतरिक्ष अन्वेषण को बढ़ावा देना था।
  3. 2001 तथा 2005 मे द प्लेनेटरी सोसायटी ने कासमस स्टुडियो तथा रशीयन एकेडमी आफ़ साइंसेस के साथ मिलकर दो सौर पाल वाले प्रयोग किये। दोनो असफल रहे।
  4. कार्ल सागन के 75 वे जन्मदिन 9 नवंबर 2009 को द प्लेनेटरी सोसायटी ने तीन प्रयोगो की घोषणा की जिन्हे लाइट्सेल 1,2 तथा 3 नाम दिये गये।
  5. 2010 मे बिल नाय (Bill Nye) द प्लेनेटरी सोसायटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बने, अब वे लाईट्सेल का कार्यभार देखेंगे।
  6. मई 2015 मे नाय ने लाइटसेल -A के लिये राशि जमा करने का अभियान आरंभ किया, इसे अब तक 12 लाख की राशि दान मे मिली है।
  7. 8 जुन 2015 को लाइट्सेल A सफलता पुर्वक कक्षा मे स्थापित हो गया और अपनी सौर पाल को फैलाने मे सफ़ल रहा। यह द प्लेनेटरी सोसायटी के लिये ऐतिहासिक क्षण था।
  8. अप्रैल 2016 मे द प्लेनेटरी सोसायटी लाइट सेल 1 प्रक्षेपित करने जा रहा है जोकि उनका पहला पूर्ण आकार का सौर पाल अंतरिक्षयान होगा। पाल को फैलाने पर उसका आकार 32 मिटर होगा, इसका आकार इतना है कि इसे पृथ्वी से देखा जा सकेगा।

सौर पाल क्यों ?

solarsail8
सौर पाल के साथ आप सैद्धांति रूप से लंबी दूरी कम समय मे तय कर सकते है।
निल डीग्रेस टायसन – खगोलभौतिक वैज्ञानिक
हालांकि सूर्यप्रकाश से मिलने वाला धक्का अत्यंत कम होता है लेकिन यह धक्का लगातार होता है। हम चंद्रमा और उसके आगे अत्यंत कम लागत मे जा सकते है।
बिल नाय मुख्य कार्यकारी अधिकारी द प्लेनेटरी सोसायटी
इसमे स्थायी त्वरण होता है जिससे यह सौर मंडल के आंतरिक भाग मे राकेट इंजन की तुलना मे अधिक गति से और अधिक सरलता से जा सकता है।
कार्ल सागन संस्थापक द प्लेनेटरी सोसायटी
यदि सौर पाल का विचार गति लेता है और सफ़ल सिद्ध होता है तो यह अंतरिक्षयानो के डिजाईन और निर्माण मे मूलभूत क्रांतिकारी परिवर्तन होगा। 50 किग्रा हायड्रजिन के इंधन टैक को केंद्र मे रखकर अंतरिक्षयान को डिजाइन करने की बजाये आप अंतरिक्षयान और उसके अन्य उपकरणो का डिजाइन करेंगे जिसे अनंत प्रणॊदन उपलब्ध होगा।
नाथन बर्नेस अध्यक्ष L’Garde.
Share:

0 comments:

Post a Comment

Einstien Academy. Powered by Blogger.

Solve this

 Dear readers.  So you all know my current situation from beyond this dimension but for some reason your are reading this in this dimension ...

Contact Form

Name

Email *

Message *

Email Newsletter

Subscribe to our newsletter to get the latest updates to your inbox. ;-)


Your email address is safe with us!

Search This Blog

Blog Archive

Popular Posts

Blogroll

About

Email Newsletter

Subscribe to our newsletter to get the latest updates to your inbox. ;-)


Your email address is safe with us!

Blog Archive