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Wednesday 14 June 2017

प्रकाशगति से तेज न्युट्रिनो ?: क्रांतिकारी खोज या प्रायोगिक गलती ?

ओपेरा कण जांचक( OPERA particle detector)अपडेट मार्च 17,2012: आइंस्टाइन का सिद्धांत कि प्रकाशगति से तेज यात्रा असंभव  है, अभी तक सही है, प्रकाशगति से तेज न्युट्रिनो प्रयोग के पीछे एक उपकरण की गलती थी। इस प्रयोग मे प्रयुक्त एक फाइबर आप्टिक केबल ढीला होने से समय की सही गणना नही हो पा रही थी, जिससे प्रकाशगति से तेज न्युट्रीनो का भ्रम उत्पन्न हो रहा था।
जेनेवा स्थित भौतिकी की दुनिया की सबसे बड़ी प्रयोगशाला सर्न(CERN) में वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्होंने परमाण्विक कण (Subatomic Particles) न्यूट्रिनो की गति प्रकाश की गति से भी ज़्यादा पाई है।
अगर ऐसा सच हुआ तो ये भौतिकी के मूलभूत नियमों को पलटने वाली खोज होगी। शोधकर्ता स्वीकार कर रहे हैं कि वे इस नतीजे से काफ़ी आश्चर्यचकित हैं और इसीलिए उन्होंने कोई दावा नहीं करते हुए अन्य लोगों से स्वतंत्र रूप से इसकी पुष्टि करने की अपील की है।
आइंस्टाइन के सापेक्षतावाद के सिद्धांत के अनुसार कोई भी कण प्रकाशगति से तेज नही चल सकता है। यदि यह निरीक्षण सत्य है तब भौतिकी की किताबो को नये सीरे से लिखना होगा।
इस प्रयोग के आंकड़े 1300 टन द्रव्यमाण के कण जांचयत्र(Particle Detector) ओपेरा(Oscillation Project with Emulsion-tRacking Apparatus) ने दीये है, जो कि इटली की ग्रान सेस्सो राष्ट्रीय प्रयोगशाला(Gran Sasso National Laboratory) मे स्थित है। ओपेरा ने CERN की युरोपीयन कण-भौतिकी प्रयोगशाला जीनेवा स्वीटजरलैण्ड से उत्सर्जित न्युट्रीनो कणो की जांच की। न्युट्रीनो कण किसी भी पदार्थ से कोई भी प्रतिक्रिया नही करते है और पृथ्वी के आरपार ऐसे निकल जाते है कि पृथ्वी का उनके लिए कोई आस्तित्व ही नही है। ओपेरा ने CERN प्रयोगशाला से निकले न्युट्रिनो कणो की बौछार को जांचा।
पिछले तीन वर्षो मे ओपेरा के वैज्ञानिको ने CERN से निकले लगभग 16,000 कणो को अपने जांचयंत्रो से पकड़ा। उन्होने पाया कि इन न्युट्रिनो ने 730 किमी की यात्रा 2.43 मीलीसेकंड मे की जो कि प्रकाशगति से 60 नैनो सेकंड कम है। वैज्ञानिको के अनुसार इस गणना मे 10 नैनो सेकंड की भूलचूक संभव है।
ओपेरा के वैज्ञानिक आश्चर्यचकित है। लेकिन वे कहते है कि उनके परिणामों को गलत ठहराना जल्दबाजी होगी। वे आगे कह रहे है कि उनके पास आश्चर्यजनक परिणाम है और अब वैज्ञानिक समुदाय को आगे आकर इसकी जांच करना चाहीये।
यह एक बड़ा प्रश्न है कि ओपेरा के वैज्ञानिको ने प्रकाशगति से तेज यात्रा करने वाले कणो की खोज करली है या वे किसी अनजानी “नियमित गलती(systematic error) से दिशाभ्रमित हुये है, जिसके परिणाम स्वरूप गणना के परिणाम प्रकाशगति से तेज आये हैं।
स्टोनी ब्रूक विश्वविद्यालय(Stony Brook University) न्युयार्क के न्युट्रिनो भौतिकशास्त्री चांग की जंग (Chang Kee Jung) इस परिणाम को “नियमित गलती(systematic error)” का परिणाम ठहरा रहे है और इस पर अपने मकान की शर्त लगाने तैयार हैं। उनके अनुसार इस तरह के प्रयोगों मे प्रोटानो को किसी ठोस लक्ष्य से तेजगति से टकराया जाता है, इस टकराव से न्युट्रीनो उत्पन्न होते है। इस प्रक्रिया मे यह तय नही होता है कि न्युट्रिनो कब उत्पन्न हुये हैं, प्रोटानो के ठोस लक्ष्य से टकराने के समय और न्युट्रिनो की उत्पत्ति के समय मे अंतर हो सकता है। प्रोटानो के ठोस लक्ष्य से टकराने के समय और न्युट्रिनो के कण जांचक तक के पहुंचने का समय GPS(Global Positioning System) पर निर्भर होता है। GPS की गणना मे भी 10 नैनो सेकंड से ज्यादा की गलती की संभावना होती है। इसलिये ओपेरा के वैज्ञानिको द्वारा “केवल 10 नैनो सेकंड की गलती की संभावना” का दावा संदेहास्पद है।
इंडीयाना विश्वविद्यालय ब्लूमिंगटन(Indiana University, Bloomington) के वैज्ञानिक कोस्टेलेक्की (V. Alan Kostelecky) के अनुसार इसके पहले का कोई भी प्रयोग इन परिणामों को झुठलाता नही है। कोस्टेलेक्की ने मानक प्रतिकृति (Standard Model) के विस्तार मे 25 वर्ष दिये है, यह विस्तार कण भौतिकि मे विशेष सापेक्षतावाद के सभी प्रकार के उल्लंघनो(violation) की व्याख्या करता है। वे कहते है कि यदि यह नया परिणाम कहता कि इलेक्ट्रान प्रकाशगति से तेज चल सकता है तब मुझे आश्चर्य होता। लेकिन न्युट्रिनो के प्रकाशगति से तेज चलने की संभावना है।
कोस्टेलेक्की कहते है कि
“असाधारण दावो के लिए असाधारण प्रमाण चाहीये होते है।(Extraordinary claims require extraordinary evidence)।”
इस प्रयोग के प्रवक्ता एन्टोनीओ एरेडीटाटो(Antonio Ereditato) जोकि बर्न विश्वविद्यालय मे भौतिकविज्ञानी है, कहते है,
केवल एक परिणाम असाधारण प्रमाण नही होता है।
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