कल्पना कीजिए, 98 फीट व्यासवाला एक पत्थर अंतरिक्ष में तैर रहा हैं. यह पत्थर अचानक ही पृथ्वी के करीब आ जाता हैं और 28,600 मील प्रति घंटे की रफ़्तार से पृथ्वी से टकरा जाता हैं. सोचिए क्या होगा? What if An Asteroid Hitting Earth? इस टक्कर से होनेवाला असर निचे दी गयी तस्वीर बयाँ करती हैं.
एरिजोना क्रेटर |
तस्वीर में दिखाया गया खड्डा 50,000 साल पहले हुई उल्का की एक भयानक टक्कर का नतीजा हैं. इस टक्कर के दौरान 25 लाख टन टीएनटी जितनी उर्जा का इस्तेमाल हुआ था. और इतनी भयानक टक्कर की वजह से एक मील के तिमाही जितना चौड़ा और 560 फुट गहरा एक विशाल क्रेटर बन गया. इस टक्कर से पृथ्वी का लाखों टन जितना हिस्सा बाहर अंतरिक्ष में उड़ गया और कुछ हिस्सा टक्कर की गर्मी से पिगल गया.
लेकिन जब यह पृथ्वी से टकराया उस वक़्त क्या हुआ होगा? BOOM…आसपास के क्षेत्र की सभी चीज़े भाप बनाकर उड़ गयी होंगी. टक्कर के आसपास के तीन मील के क्षेत्र में प्रति सेकंड 880 फुट से अधिक तेजी से चलती हवाओं का झटका लगा होंगा. 483 मील जितने क्षेत्र में सभी वनस्पति नष्ट हो जाएँगी. यह टक्कर न्यूयॉर्क शहर का पूरी तरह से सफाया करने के लिए काफी थी.
लेकिन यह उल्का इतनी भी बड़ी नहीं थी. Chicxulub टक्कर के दौरान टकराने वाली उल्का का व्यास 6 मील का था और इसकी टक्कर से बननेवाले क्रेटर के अन्दर 117 जितने एरिज़ोना के क्रेटर समा सकते थे. Chicxulub क्षुद्रग्रह के कारण 66 लाख साल पहले पृथ्वी पर मौजूद सभी पौधों और जानवरों की 3/4 जितनी प्रजातियाँ विलुप्त हो गयी.
एस्टेरोइड या क्षुद्र ग्रह भयानक रूप से शक्तिशाली होते हैं. लेकिन अविश्वसनीय रूप से वे दिलचस्प हैं और उन्हें थोडा गलत समज लिया गया हैं. उल्का, एस्टेरोइड और धूमकेतु वास्तव में अलग अलग चीज़े होते हैं भले ही वे एक ही जगह से आते हो.
- एक एस्टेरोइड अपेक्षाकृत छोटी से चट्टान होता हैं जो सूरज के चक्कर लगाता रहता हैं.
- एक धूमकेतु अपेक्षाकृत छोटी सी वस्तु है जिसके ऊपर की बर्फ सूरज की गर्मी से भाप बन जाती हैं. इसके अन्दर की भाप और धुल के कण इसके पीछे पूंछ जैसा हिस्सा बनाते हैं.
- एक उल्कापिंड धूमकेतु या क्षुद्रग्रह का एक छोटा सा टुकड़ा होता है.
- उल्का प्रकाश से होनेवाली घटना है जब एक उल्कापिंड हमारे वातावरण में प्रवेश करता है और वाष्पीकृत हो जाता हैं. जिसे आमतौर पर एक टूटते तारे के रूप में जाना जाता है.
- और एक उल्कशीला वह होती हैं जब एक उल्कापिंड हमारे वातावरण में प्रवेश करने बावजूद बिना वाष्पीकृत हुए पृथ्वी की सतह पर टकराता हैं.
वैज्ञानिकों का अनुमान हैं की एरिजोना की उल्का जैसी उल्काएँ पृथ्वी पर हर 300 सालों के अंतर पर टकराती रहती हैं. हालांकि, हमारे वातावरण में क्षुद्रग्रहों की टक्कर बहुत आम हैं. लगभग हर दूसरे सप्ताह 3 फीट के व्यास वाला एक क्षुद्रग्रह पृथ्वी की तरफ आता हैं और वातावरण के संपर्क में आते ही नष्ट हो जाता हैं.
रशियन उल्का – फरवरी,2013 |
हालांकि कभी कभी वे बहुत ही ज्यादा करीब आ जाते हैं जैसे की फरवरी, 2013 में चेल्याबिंस्क, रशिया में आ गया था. यह विशाल आग का गोला, आकार में 59 फुट चौड़ा और वजन में 11,000 टन होने का अनुमान किया जाता हैं. सौभाग्य से यह हमारे सतह के साथ टकराने से पहले ही टुकड़े टुकड़े होकर अलग हो गया और जलकर खाख हो गया. लेकिन यह अभी भी खिड़कियों के कांच उड़ाने में सक्षम था. वातावरण के साथ इसका संपर्क होते ही यह विस्फोट के साथ जल गया और इसकी वजह से जो शॉकवेव पैदा हुई उसने सभी इमारतों को हिला डाला और 1,000 से अधिक लोगों को घायल किया. इस घटना के youtube विडियो को देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें.
नासा का कहना है कि 1.5 मील से बड़ा एक क्षुद्रग्रह वैश्विक स्तर पर घातक नुकसान का कारण बन सकता हैं. जरा डायनासोर की विलुप्ति के स्तर के बारे में सोचिए. आपके लिए किसी शार्क मछली के हमले की वजह से मरने से ज्यादा एक एस्टेरोइड की टक्कर की वजह से मरने की संभावना ज्यादा होती हैं. लेकिन ऐसे क्षुद्रग्रह या धूमकेतु कई बार जीवनदायक भी हो सकते हैं. वे पृथ्वी पर जीवन के लिए जरुरी तत्व या कई छोटे छोटे जीवों को अपने साथ लाते हैं. लेकिन यह अपने साथ भयानक बीमारी फैलानेवाले छोटे छोटे वायरस या एलियन जंतु भी ला सकते हैं. जिनकी वजह से पृथ्वी पर महामारियाँ फ़ैल सकती हैं. वैज्ञानिकों का मानना हैं की पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत करने के लिए ऐसे ही किसी अवकाशीय पिंड का हाथ हो सकता हैं.
0 comments:
Post a Comment