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Monday, 12 June 2017

ब्रह्माण्ड की संरचना भाग 05 : मानक प्रतिकृति की कमियाँ और आलोचनाएं

मानक प्रतिकृति(Standard Model) एक सफल सिद्धांत है लेकिन इसमे कुछ कमीयां है। यह कुछ मूलभूत प्रश्नो का उत्तर देने मे असमर्थ है जैसे द्रव्यमान का श्रोत, मजबूत CP समस्यान्युट्रीनो का दोलनपदार्थ-प्रतिपदार्थ असममिती और श्याम पदार्थ तथा श्याम उर्जा का श्रोत
एक समस्या मानक प्रतिकृति(Standard Model) के गणितिय समिकरणो मे है जो साधारण सापेक्षतावाद सिद्धांत(Theory of General Relativity) से मेल नही खाती है। ये सिद्धांत (एक या दोनो) कुछ विशेष परिस्थितियों (महाविस्फोट के दौरान(During Big Bang), श्याम विवर के घटना क्षितिज के पास (Event Horizons of Black Hole)) की व्याख्या नही कर पाते है और असामान्य परिणाम दर्शाते है।

प्रायोगिक निरीक्षण जिसकी व्याख्या मानक प्रतिकृति(Standard Model) नही कर पाता है:

  • 1. गुरुत्वाकर्षण : मानक प्रतिकृति(Standard Model) के पास गुरुत्वाकर्षण की व्याख्या नही है। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि गुरुत्वाकर्षण की सबसे सफल व्याख्या करने वाले सिद्धांत अर्थात साधारण सापेक्षतावाद के सिद्धांत और मानक प्रतिकृति(Standard Model) मे कई विसंगतिया है। दोनो सिद्धांत एक दूसरे से मेल नही खाते है।
  • 2.श्याम पदार्थ और श्याम ऊर्जा : ब्रम्हाण्डीय निरिक्षणो के अनुसार मानक प्रतिकृति ब्रम्हाण्ड के 4% पदार्थ की संरचना की व्याख्या कर पाती है। शेष 96% पदार्थ मे 24 % श्याम पदार्थ है जो कि साधारण पदार्थ के जैसे ही व्यव्हार करता है लेकिन मानक प्रतिकृति(Standard Model) के कमजोर बलो से ही प्रतिक्रिया करता है। शेष 73% श्याम ऊर्जा है जो निर्वात की स्थिर ऊर्जा है। मानक प्रतिकृति(Standard Model) के अनुसार गणना की गयी श्याम ऊर्जा की मात्रा मे और निरिक्षित श्याम ऊर्जा की मात्रा मे 120 गुणा का अंतर है। यह अंतर किसी सिद्धांत द्वारा गणना की गयी मात्रा और निरिक्षित मात्रा मे अब तक का सबसे बड़ा अंतर है।
  • 3.न्युट्रीनो का द्रव्यमान: मानक प्रतिकृति(Standard Model) के अनुसार न्युट्रीनो द्रव्यमान रहित कण है लेकिन न्युट्रीनो के दोलन के प्रयोगो के अनुसार न्युट्रीनो का द्रव्यमान होना चाहीये। यदि मानक प्रतिकृति(Standard Model) मे न्युट्रीनो के द्रव्यमान को जोड़ दे तब नये सैद्धांतिक समस्याये उत्पन्न होती है।
  • 4.पदार्थ-प्रतिपदार्थ असममिती : ब्रह्मांड मुख्यत: पदार्थ से बना है लेकिन मानक प्रतिकृति(Standard Model) के अनुसार पदार्थ और प्रतिपदार्थ की मात्रा समान होना चाहिये। यदि पदार्थ और प्रतिपदार्थ की मात्रा समान हो तो दोनो एक दूसरे से टकराकर नष्ट हो जायेंगे।

सैद्धांतिक अनुमान जो प्रायोगिक निरीक्षण मे देखे नही गये है

मानक प्रतिकृति(Standard Model) के अधिकतर कण उच्च ऊर्जा पर कण टकराने वाले यंत्रो(Particle Colliders) मे देखे गये है। एक कण हिग्स बोसान अभी तक नही देखा गया है। हिग्स बोसान मूलभूत कणो के द्रव्यमान के लिए उत्तरदायी है। प्रायोगिक खोजो के अनुसार यदि मानक प्रतिकृति(Standard Model) सही है तथा हिग्स बोसानो का आस्तित्व है तब उसका द्रव्यमान 114 GeV/c2 तथा 157 GeV/c2 के मध्य होना चाहिये, कुछ अन्य गणनाओ के अनुसार यह 185 GeV/c2 तथा 250 GeV/c2 के मध्य है। यदि हिग्स बोसान का आस्तित्व है तब इसे CERN स्थित लार्ज हेड्रान कोलाइडर(LHC) के प्रयोगो के निरिक्षण मे आ जाना चाहिये। यदि हिग्स बोसान LHC के प्रयोगो मे नही देखे गये तब मानक प्रतिकृति(Standard Model) मे एक बड़े सुधार की आवश्यकता होगी।

मानक प्रतिकृति(Standard Model) मे सैद्धांतिक समस्यायें

मानक प्रतिकृति(Standard Model) मे कुछ सिद्धांत अनौपचारिक रूप से जोड़े गये है। ये सिद्धांत समस्या नही है, क्योंकि वे काम करते है लेकिन इनका अनौपचारिक रूप से जोड़ा जाना यह दर्शाता है कि इस सिद्धांत को समझने मे कुछ समस्याये है। इन अनौपचारिक रूप से जोड़े गये सिद्धांतो मे से कुछ निम्नलिखित है
  • 1. अनुक्रम समस्या(Hierarchy Problem) : मानक प्रतिकृति(Standard Model) मे हिग्स बोसान द्वारा सहज सममिति विखंडन(spontaneous symmetry breaking) से द्रव्यमान उत्पन्न होता है। मानक प्रतिकृति(Standard Model) के अंतर्गत हिग्स बोसान के द्रव्यमान मे कुछ आभासी कणो(मुख्यतः टाप क्वार्क) की उपस्थिती के कारण एक बड़ा क्वांटम सुधार(Quantum Correction) करना पड़ता है। यह क्वांटम सुधार हिग्स बोसान के वास्तविक द्रव्यमान से कहीं ज्यादा होता है। इसका अर्थ यह है कि मानक प्रतिकृति मे हिग्स बोसान का द्रव्यमान इस तरह से अनुकुल करना पड़ता है कि वह क्वांटम सुधार को रद्द कर सके। कुछ वैज्ञानिको के अनुसार किसी कारक को सिद्धांत के अनुसार अनुकूल करना अप्राकृतिक(unnatural) है और इस सिद्धांत की एक कमी है। 
  • 2. मजबूत CP समस्या : सैधांतिक रूप से मानक प्रतिकृति(Standard Model) के अनुसार CP सममिती विखंडन के लिए एक कारक होना चाहीये। यह कारक प्रतिपदार्थ से संबधित है तथा मजबूत नाभिकिय बल के अंतर्गत है। लेकिन प्रायोगिक रूप से CP सममिती विखंडन का निरिक्षण नही हो पाया है। इसका अर्थ यह है कि इस कारक का गुणांक शुन्य के समिप होना चाहिये। इस कारक के अनुकूलन(गुणांक शुन्य के समिप रखना) भी अप्राकृतिक(unnatural) माना जाता है।
  • 3. कारको की संख्या : मानक प्रतिकृति(Standard Model) १९ कारको पर निर्भर करता है। इन कारको का मूल्य प्रयोगो से ज्ञात है लेकिन इन मूल्यो का श्रोत अज्ञात है। एक कण के विभिन्न पिढी़यो के द्रव्यमान के अंतर का कारण भी अज्ञात है।

भविष्य

मानक प्रतिकृति(Standard Model) सिद्धांत की कमीयो को दूर करने के लिए कुछ नये सिद्धांत प्रस्तावित किये गये है जैसे
  • महासममिती(Supersymmetry),
  • न्यूनतम महासममितिय मानक प्रतिकृति(Minimul Supersymmetric Standard Model)
  • न्यूनतम महासममितिय मानक प्रतिकृति के आगे(Next to Minimul Supersymmetric Standard Model)।
कुछ नये सिद्धांत जो अब तक के सिद्धांतो से एकदम हटकर है सामने आये है। इनमे प्रमुख है,
  • स्ट्रींग सिद्धांत(String Theory)
  • M सिद्धांत(M Theory)
  • अतिरिक्त आयाम(Extra Dimensions)।
इनमे से कोई भी सिद्धांत सर्वमान्य सिद्धांत नही है। हाल ही के वर्षो मे स्ट्रींग सिद्धांत(String Theory) की लोकप्रियता बढी है, इसे सम्पूर्ण सिद्धांत(Theory Of Everything) के सबसे शक्तिशाली उम्मीदवार की तरह देखा जा रहा है।

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