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Wednesday, 14 June 2017

सूरज हुआ मद्धम!

सूर्यक्या हो रहा है सूर्य को ? क्या सौर गतिविधीयाँ बंद हो रही है?
नयी जानकारीयाँ इसी दिशा की ओर संकेत दे रही है कि सौर गतिविधियाँ हमेशा के लिए तो नही लेकिन अल्पकाल के लिए बंद हो रही हैं। वर्तमान मे सूर्य सौर गतिविधियाँ के चक्र के चरम(2013) मे पहुंच रहा है और हम सौर गतिविधियोँ मे वृद्धि देख रहे है, ज्यादा सौर धब्बे, ज्यादा सौर ज्वाला इत्यादि। लेकिन यह सौर गतिविधियाँ सामान्य से कम है। इस बात के भी मजबूत संकेत मिले हैं कि सौर गतिविधियाँ का अगला चरम (2022 या पश्चात) और भी कमजोर होगा या यह चरम होगा ही नही।
ऐसा क्यों ? सूर्य आयोनाइज्ड गैस अर्थात प्लाज्मा की एक विशालकाय गेंद है जिसका काफी जटिल चुंबकिय क्षेत्र है जो इस प्लाज्मा से प्रतिक्रिया करता है। इस चुंबकिय क्षेत्र का बल और गतिविधियाँ 11 वर्ष के चक्र मे चरम अवस्था और निम्न अवस्था प्राप्त करता है। जब यह चक्र अपने निम्न स्तर पर होता है, चुंबकिय क्षेत्र अपने निम्न पर होता है और हम कम सौर धब्बे या शून्य सौर धब्बे देखते है। इस समय अन्य सौर गतिविधियाँ भी अपने निम्न स्तर पर होती हैं। इसके पश्चात 5 वर्ष से कुछ ज्यादा काल मे चक्र अपने चरम पर होता है और सौर गतिविधियाँ अपने चरम पर होती है, हम ज्यादा सौर धब्बे, ज्यादा सौर ज्वाला देखते हैं।
वैज्ञानिक इस सौर चक्र का पिछली एक शताब्दी से निरिक्षण कर रहे हैं। यह जटिल प्रक्रिया है लेकिन तकनीक भी बेहतर होते गयी है, अब मानव को इन गतिविधियों का चक्र कुछ हद तक समझ मे आ गया है। हाल ही की जानकारीयों के अनुसार सूर्य के चुंबकिय क्षेत्र की हलचलें अब शांत हो रही है।
सौर ज्वाला की दो क्रमिक तस्वीर
सौर ज्वाला की दो क्रमिक तस्वीर
सूर्य पर एक पूर्व से पश्चिम की ओर बहने वाली एक गैस की नदी है जो सतह के निचे बहती है। इसे देखा नही जा सकता है लेकिन यह सतह के निचे बहते हुये एक ध्वनि उत्पन्न करती है, जिससे इसकी उपस्थिति पता चलती है। यह नदी बनती और विलुप्त होते रहती है लेकिन सामान्यतः यह सूर्य के मध्य अक्षांशो पर बनती है और सौर चक्र के साथ सूर्य के विषुवत की ओर विस्थापित होते रहती है। इस नदी के उपर सौर धब्बो का निर्माण होता है। सौर धब्बो का अगला चक्र अगले कुछ वर्षो मे प्रारंभ होगा लेकिन इस नदी का निर्माण अब तक प्रारंभ हो जाना चाहिये। अब तक इस नदी के निर्माण के कोई संकेत नही मिले है, जिससे वैज्ञानिको को लग रहा है कि अगला सौर चक्र विलंब से प्रारंभ होगा।
वैज्ञानिको के अनुसार चुंबकिय सौर धब्बो की औसत क्षमता भी पिछले वर्षो मे कम हो रही है। सौर धब्बो का निर्माण सूर्य के चुंबकिय क्षेत्र के सतह के उपर आ जाने से होता है। सामान्यतः सूर्य के आंतरिक भाग से उठने वाली गैस ठंडी होकर वापिस निचे जाती है, लेकिन चुंबकिय क्षेत्र से प्रतिक्रिया करने के कारण यह ठंडी गैस निचे नही जा पाती है। ठंडी गैस की चमक कम होती है, इसलिये इस ठंडी गैस के क्षेत्र को हम एक गहरे रंग के धब्बे के रूप मे देखते है।(ध्यान दे यह ठंडी गैस भी हजारो डीग्री सेल्सीयस का तापमान लिए होती है।)
सौर धब्बे मूलभूत तरीके से चुंबकिय प्रक्रिया से निर्मित होते है,इस लिए चुंबकिय क्षेत्र की क्षमता मे कमी यह दर्शाती है अगला सौर चक्र विलंब से आयेगा या नही आयेगा।
सौर धब्बे का एक चित्र
सौर धब्बे का एक चित्र
सौर चक्र मे विलंब/कमजोर होने का तीसरा प्रमाण भी है। सूर्य का एक वातावरण है जिसे कोरोना(सौर प्रभा) कहते है जो कि अत्याधिक गर्म प्लाज्मा की एक पतली तह के रूप मे है। कोरोना भी चुंबकिय क्षेत्र से प्रभावित होता है। हर सौर चक्र मे कोरोना की चुंबकिय गतिविधियाँ सूर्य के विषुवत पर निर्मित होती है तथा धीमे धीमे अगले कुछ वर्षो मे ध्रुवो की ओर बढ़ती है। कोरोना के चुंबकिय क्षेत्रो का ध्रुवो की ओर बढ़ना इस वर्ष(2010-2011) काफी कमजोर है। इसका अर्थ यह है कि 2013 का चरम, सही अर्थो मे चरम नही होगा। अभी यह स्पष्ट नही है कि अगले चक्र पर इसका क्या परिणाम होगा?
इन सब घटनाओं का पृथ्वी पर तथा मानवों पर क्या परिणाम होगा ? यह कहना कठिन है! कुछ अर्थो मे यह एक अच्छी खबर है क्योंकि सूर्य की चरम की गतिविधियोँ से जो सौर ज्वालायें तथा सौर वायु प्रवाहित होती है उससे हमारे उपग्रह प्रवाहित होते है, विद्युत ग्रीड बंद हो जाती है। कमजोर चक्र मे यह सब नही होगा।
लेकिन सत्रहवी सदी के अंत तथा अठारहवी सदी के प्रारंभ मे युरोप मे एक लघु हिमयुग आया था, उस समय भी सूर्य पर सौर धब्बो की संख्या मे कमी आ गयी थी।(उस समय सौर धब्बे की संख्या शुन्य तक जा पहुंची थी)। सौर धब्बो की संख्या और हिम युग के मध्य संबध अभी तक साफ नही है क्योंकि उस समय उत्तर अमरीका मे भी जलवायु संबधित परेशानियाँ थी लेकिन युरोप के जैसे नही। युरोप मे सर्दीयों ने कहर बरपाया था लेकिन गर्मियों मे गर्मी भी कड़ाके की थी। उस समय इस विषम जलवायु के और भी कारक थे जैसे ज्वालामुखी विस्फोट तथा कमजोर जेट वायु धारायें। जेट वायु धारायें पृथ्वी के उपरी वातावरण मे ओजोन के निर्माण से बनती है,उस समय ओजोन का निर्माण कम हुआ था क्योंकि ओजोन सौर वायु के पृथ्वी के वातावरण से क्रिया करने से बनती है।  सौर गतिविधियोँ मे कमी से सौर वायु कम मात्रा मे प्रवाहित हुयी थी।
ध्यान दें कि यह सभी संकेत सूर्य के चुंबकिय क्षेत्र पर लम्बे समय तक के प्रभाव के बारे मे कुछ नही कह रहे हैं; यह 2013 मे सौर गतिविधियोँ के चरम को कमजोर बता रहे है तथा अगले चरम मे विलंब दर्शा रहे है। उसके बाद क्या होगा कोई नही जानता है।
इस कमजोर सौर चक्र के द्वारा अगले लघु हिमयुग के आने की संभावना नही है लेकिन यह दर्शाता है कि कमजोर सौर गतिविधियों के गंभीर परिणाम हो सकते है, जिसका पुर्वानुमान लगाना कठिन है। यहाँ पर स्पष्ट कर दे कि ’वैश्विक जलवायु परिवर्तन(Global Climate Change)’ के लिए सूर्य या सौर गतिविधियाँ उत्तरदायी नही है। यह गतिविधियाँ वैश्विक जलवायु परिवर्तन को थोड़ी या ज्यादा मात्रा मे प्रभावित कर सकती है लेकिन इसके लिये पूर्णतः उत्तरदायी नही है। यदि ऐसा होता तो हम जलवायु तथा सौर गतिविधियों के मध्य हर दशक के लिए एक संबंध देखते। लेकिन ऐसा नही है, जिसका अर्थ है कि ’वैश्विक जलवायु परिवर्तन(Global Climate Change)’ के लिए सूर्य उत्तरदायी नही है।
मुद्दा यह है कि सूर्य काफी जटिल है और हम हाल मे ही उसके बारे मे कोई पूर्वानुमान लगा पा रहे है। यह पूर्वानुमान भी सही हो जरूरी नही है लेकिन इस बार तीन भिन्न भिन्न प्रमाण है जो संकेत दे रहे है कि सौर चक्र कमजोर है। आशा है कि यह सही हो, मेरी आशा इसलिए नही है कि हम एक कमजोर सौर चक्र देखेंगे। मेरी आशा इसलिए है कि हम अपने सबसे समीप के तारे को समझना प्रारंभ करेंगें। जब यह कर पायेंगे तब हम भविष्य मे  सूर्य के द्वारा की गयी किसी भी विनाशकारी गतिविधी के लिए तैयार रहेंगे!
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