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Monday, 12 June 2017

स्ट्रींग सिद्धांत(String Theory) भाग 08 : विसंगतियो का निराकरण और सुपरस्ट्रींग सिद्धांत का प्रवेश

स्ट्रींग सिद्धांत गुरुत्वाकर्षण बल को अन्य बलों के साथ सफलतापूर्वक एकीकृत कर देता था लेकिन इस सिद्धांत के कुछ पूर्वानुमान जैसे टेक्यान और 26 आयामी ब्रह्माण्ड इसे हास्यास्पद स्थिति मे ले आते थे। वैज्ञानिको ने इन विसंगतियों को दूर करने का प्रयास किया और एक नये सिद्धांत सुपरस्ट्रींग का विकास किया जिसमे टेक्यान नही थे, 26 आयाम का ब्रह्माण्ड 10 आयामो मे सीमट गया था। यह सिद्धांत आश्चर्यजनक रूप से महासममीती, महाएकीकृत सिद्धांत (GUT) तथा कालिजा-केलीन सुझाव सभी का समावेश करता था।
स्ट्रींग सिद्धांत मे ऋणात्मक द्रव्यमान के वर्गमूल से काल्पनिक द्रव्यमान वाले टेक्यान का निर्माण होता है। किसी बाह्य निरीक्षक के दृष्टिकोण से यह स्ट्रींग की ऋणात्मक ऊर्जा वाली अवस्था के रूप मे होगा। वस्तुतः यह क्वांटम यांत्रीकी के एक तथ्य से संबधित है, अनिश्चितता के सिद्धांत के अनुसार किसी स्थानिय प्रणाली(localised system) मे की निम्नतम ऊर्जा शून्य की ओर प्रवृत्त होकर कम होती है, लेकिन हमेशा शून्य से ज्यादा रहती है। इस ऊर्जा को अविलोपशील ऊर्जा (non-vanishing) कहते है क्योंकि यह कम होती है लेकिन कभी शून्य नही होती है। स्ट्रींग सिद्धांत मे टेक्यान की उपस्थिति को गणितीय रूप से इसी ’अविलोपशील’ शून्यबिंदु ऊर्जा(zero-point energy) की उपस्थिति के रूप मे देखा जा सकता है। इससे यह माना गया कि यदि हम एक ऐसे विशेष क्वांटम प्रणाली को परिभाषित कर पाये जिसमे यह शून्यबिंदु ऊर्जा विलोपित(नष्ट) हो जाये अर्थात शून्य हो जाये तब हम एक विशेष स्ट्रींग सिद्धांत का निर्माण कर पायेंगे जिसमे टेक्यान नही होंगे।
महासममीती सिद्धांत की उपस्थिती मे शून्य बिंदु ऊर्जा के बिना भी क्वांटम प्रणाली संभव है। हमने पहले यह देखा है कि महासममीती सिद्धांत बोसान और फर्मीयान ’डीग्री आफ फ़्रीडम’ के मध्य एक संबध स्थापित करता है। इन दोनो प्रकार की डीग्री आफ फ़्रीडम से संबधित शून्य बिंदु ऊर्जा विपरीत चिह्न की होती है, जो महासममीतीक प्रणाली मे एक दूसरे को रद्द कर देती है। इस खोज की राह जटिल थी, लेकिन हमारी आधुनिक जानकारी के अनुसार यह एक ऐसे स्ट्रींग सिद्धांत का मूल है जिसमे टेक्यान नही है। इस सिद्धांत को सुपरस्ट्रींग सिद्धांत कहा जाता है।
स्ट्रींग सिद्धांत से सुपरस्ट्रींग सिद्धांत की ओर बढने से एक ऐसा सिद्धांत का जन्म हुआ जो वास्तविक विश्व की व्याख्या करता था या दूसरे शब्दो मे इसके पूर्व के स्ट्रींग सिद्धांत से बेहतर था। सुपरस्ट्रींग सिद्धांत मे भी मूलभूत अभिधारणा है कि एक स्ट्रींग(तंतु) की भिन्न तरंगो से ही भिन्न प्रकार के कण बनते है। लेकिन महासममीती(Supersymmetry) के कारण इसमे टेक्यान का अस्तित्व नही है। अतिरिक्त लाभ के रूप मे महासममीती सिद्धांत के प्रवेश से अनुरूपता नियम(consistency condition) के अनुसार काल-अंतराल के आयाम 26 से घटकर 10 रह गये है। अंत मे ग्रेवीटान कण की उपस्थिती होने से यह गुरुत्वाकर्षण की भी व्याख्या करता है। इसे महागुरुत्व(supergravity) भी कह सकते है क्योंकि इसमे गुरुत्वाकर्षण का महासममीतीक विस्तार है।
सुपरस्ट्रींग सिद्धांत के गुण
सुपरस्ट्रींग सिद्धांत मे मूलभूत कण सुपरस्ट्रींग है, एक स्ट्रींग जिसमे अतिरिक्त डीग्री आफ फ़्रीडम उसे महासममीतीक बनाती है। विकास की एक लंबी श्रंखला के पश्चात इस सिद्धांत के आधार का निर्माण हुआ है, अब हम इस सिद्धांत की चर्चा वास्तविक विश्व के परिपेक्ष मे करेंगे।
पांच भिन्न भिन्न सिद्धांत
एक स्ट्रींग दो अंतबिंदुओ के साथ खुली या एक वलय(l00p) के जैसे बंद हो सकती है। प्राकृतिक भौतिक नियमो के अनुसार दो खूली स्ट्रींगो के मध्य प्रतिक्रिया उनके अंतबिंदु(end points) के स्पर्श करने पर होगी, वे जुडकर एक ज्यादा लंबी खुली स्ट्रींग बनायेंगे। लेकिन यदि दो स्ट्रींग के दोनो अंतबिदु एक दूसरे से स्पर्श करे तो वे जुड़कर एक बंद स्ट्रींग का निर्माण करेंगे। अर्थात खुली स्ट्रींग के सिद्धांत मे बंद स्ट्रींग का सिद्धांत अंतर्निर्मित है।
लेकिन इसका विपरीत सत्य नही है। एक बंद स्ट्रींग का युग्म उसी समय जुड़ेगा जब बिंदुओं के युग्म एक साथ स्पर्श करेंगे और एक बंद स्ट्रींग का निर्माण करेंगे। इस सिद्धांत मे केवल बंद स्ट्रींग हो सकती है, इसमे खुली स्ट्रींग का अस्तित्व संभव नही है। इस तरह से हम पांच भिन्न भिन्न तरह के सुपरस्ट्रींग सिद्धांतो को देखते है:
  1. प्रकार I: स्ट्रींग खुली हुयी होती है।
  2. प्रकार IIA : बंद स्ट्रींग का एक प्रकार
  3. प्रकार IIB: बंद स्ट्रींग सिद्धांत का दूसरा प्रकार
  4. प्रकार हेटेरोटीक HO(SO(32)): सुपरस्ट्रींग सिद्धांत और साधारण स्ट्रींग(महासममीती विहीन)के मिश्रित सिद्धांत का एक प्रकार
  5. प्रकार हेटेरोटीक HE (E8 x E8):  सुपरस्ट्रींग सिद्धांत और साधारण स्ट्रींग(महासममीती विहीन)के मिश्रित सिद्धांत का दूसरा प्रकार
वर्तमान मे हम जानते है कि क्यों केवल पांच सुपरस्ट्रींग सिद्धांत है और वे किस तरह से एक दूसरे से संबधित है।
स्ट्रींगो के मध्य प्रतिक्रियायें
स्ट्रींगो के मध्य प्रतिक्रियायें
प्रकार I
स्ट्रींग सिद्धांत मे सबसे सरल प्रतिक्रिया की व्याख्या, एक निश्चित संख्या के मूलभूत कणो के क्वांटम क्षेत्र सिद्धांत से की जा सकती है। हम कुछ देर के लिये वृद्धी करती हुयी ऊर्जा के असंख्य संभव स्ट्रींग उद्दीपनो(प्रतिक्रियाओं) की उपेक्षा करते हुये इस क्वांटम क्षेत्र सिद्धांत की चर्चा करते है। किसी खुली स्ट्रींग के लिये कम ऊर्जा वालेसिद्धांत मे 10 आयाम वाले काल अंतराल, एक द्रव्यमान रहित ग्रेवीटान तथा गाज (gauge) क्षेत्रो के एक समूह का समावेश होता है। यह (gauge) क्षेत्रो का  समूह वास्तविक विश्व  मे फोटान, W तथा Z बोसान, ग्लुआन के  व्याख्या करने वाले गाज (gauge) क्षेत्र के जैसा ही है। इस तरह से हम पाते हैं कि प्रकार I के सुपरस्ट्रींग सिद्धांत मे प्राकृतिक बलों (गुरुत्वाकर्षण और गाज बलों) का समावेश है लेकिन ये बल 10 आयामी काल-अंतराल(spece-time) मे कार्य करते है। इसमे फर्मीयान कणो का भी अस्तित्व है, जोकि गाज बलो से आवेशित होते है, यह क्वार्क कणो के रंग आवेशित होने या इलेक्ट्रान के विद्युत आवेशित होने के तथ्य के जैसे ही है। साथ ही 10 आयामी विश्व मे प्रकार 1 सिद्धांत के फर्मीयान ’दायें-बायें सममीती (parity symmetry)’ का उल्लंघन करते है, यह वास्तविक विश्व मे कमजोर नाभिकिय बल के ’दायें-बायें सममीती (parity symmetry)’ के उल्लंघन के समान है। यह अत्यंत उत्साहवर्धक है क्योंकि यह सभी कण और बल खुली स्ट्रींग के साधारण से नियम का पालन कर रहे हैं।
लेकिन इसमे कई खामीयाँ भी है। 10 आयामी विश्व मे प्रकार 1 की स्ट्रींग के गाज कणो से संबधित सममीती समूहों की संख्या SO(32) है, जो कि वास्तविक विश्व मे मजबूत नाभिकिय बल, कमजोर नाभिकिय बल तथा विद्युत चुंबकिय से संबधित सममती समूहों से कही ज्यादा है। वास्तविक विश्व के मूलभूत बलों के सममीती समूहो की संख्या SU(3), SU(2) का U(1) गुणनफल है। सुपरस्ट्रींग सिद्धांत मे बहुत सारे बल और उनके वाहक कण प्रतित होते है। इसके अतिरिक्त इस सिद्धांत मे कम ऊर्जा के कण द्रव्यमान रहित है लेकिन वास्तविक विश्व के कण जैसे क्वार्क और इलेक्ट्रान का निश्चित द्रव्यमान होता है। अंत मे इस सिद्धांत मे 4 की बजाये 10 आयाम है। लेकिन इनमे से कोई भी वास्तविक बाधा नही है। हम जानते है कि अत्यंत उच्च ऊर्जा पर वास्तविक विश्व 10 आयामी विश्व के जैसे लग सकता है और ढेर सारे द्रव्यमान रहित कण हो सकते है और बहुत से गाज सममीती समूह हो सकते है। 10 आयामी सुपरस्ट्रींग सिद्धांत को इसी रोशनी मे देखा जाना चाहीये जोकि उच्च ऊर्जा वाले वास्तविक विश्व की व्याख्या करता है। इसे कम ऊर्जा वाले विश्व के परिपेक्ष मे देखने के लिए हमे इसके 4 आयाम मे संकुचन और सममीती विखंडण के जैसे प्रश्नो का उत्तर देना होगा।
प्रकार IIA तथा IIB
IIA तथा IIB प्रकार के सुपरस्ट्रींग सिद्धांत भिन्न है। इनमे एक द्रव्यमान रहित कण ग्रेवीटान  का अस्तित्व है लेकिन प्रकार 1 सुपरस्ट्रींग सिद्धांत के जैसे गाज कण(बल वाहक) नही है। इस सिद्धांत मे फर्मीयान पदार्थ कण है लेकिन बलवाहक कण न होने से ये आवेश का वहन नही कर सकते। प्रकार IIA मे फर्मीयान कण दायेबायें सममीती का पालन करते है लेकिन IIB मे पालन नही करते है। अंत मे इसमे एक विचित्र बल क्षेत्र होता है जिसे टेंसर गाज क्षेत्र कहा जाता है, जो कि फोटान के गुण वाले लेकिन उच्च स्पिन वाले कण के जैसा है। लेकिन फर्मीयान और अन्य द्रव्यमान रहित कण इस विचित्र क्षेत्र से आवेशित नही होते है। इन सभी कारणो से इन सिद्धांतो को विचित्र माना जाता रहा और इन्हे कभी गंभीरता से नही लिया गया लेकिन वर्तमान मे स्थिति मे परिवर्तन आ रहा है। एक ज्यादा आयामो वाले विश्व से 4 आयामी विश्व मे संकुचन की प्रक्रिया से गाज कणो का निर्माण हो सकता है और फर्मीयान इन गाज कणो से आवेशित हो सकते है।
प्रकार हेटेरोटीक A तथा B
अब हम मिश्रीत हेटेरोटीक स्ट्रींग की चर्चा करते है। यह उस निरीक्षण पर आधारित था जिसमे किसी बंद स्ट्रींग की हलचल एक दिशा से या विपरीत दिशा से तरंग के रूप मे जाती है। इन दो तरह की तरंगो को वाम-परिवाहक(left movers) तथा दक्षिण परिवाहक(right movers) नाम दिया गया। ये दोनो तरंगे एक ही स्ट्रींग मे प्रवाहित होने के बाद भी एक दूसरे से कोई प्रतिक्रिया नही करती है। इसलिये साधारण बाये प्रवाहित होने वाली तरंग को महासममीतीक दायें प्रवाहित होने वाली तरंगो के साथ जोड़ा सा सकता है। ध्यान दे कि प्रकार II मे दोनो तरंगे महासममीतीक होती है। हेटेरोटीक स्ट्रींग मे एक साधारण स्ट्रींग जबकि दूसरी महासममीतीक स्ट्रींग लेकिन विपरीत दिशा मे प्रवाहित स्ट्रींग से प्रतिक्रिया करती है।
अब यह एक पहेली है कि साधारण स्ट्रींग सिद्धांत मे 26 आयाम है लेकिन सुपर स्ट्रींग सिद्धांत मे 10 आयाम है। अब इन दोनो सिद्धांत को जोड़ा जाये तो कितने आयाम होंगे ? इसका उत्तर कालुजा केलिन का सुझाव देता है। 26 आयाम के 16 आयाम छोटे वृत्तो के रूप मे लिपटे हुये है, अब बचे हुये 10 आयामो का सिद्धांत से उपर दर्शाये गये मिश्रित सिद्धांत की व्याख्या संभव है। अंतिम सिद्धांत मे 10 आयाम है लेकिन बाये प्रवाहित तरंग के 26 आयाम है, इसकारण से कुछ अदृश्य डीग्री आफ फ़्रीडम का निर्माण होता है जो कि इन 16 आयामो से संबधित है। ये अदृश्य डीग्री आफ फ़्रीडम गाज क्षेत्रो के रूप मे कार्य करते है तथा सममीती समूह इन संकुचित आयामो पर निर्भर करते है। ये 16 संकुचित आयाम एक टोरस के जैसे आकार का निर्माण करते है। किसी नियमित स्ट्रींग सिद्धांत के लिये केवल दो तरह के टोरस पर्याय संभव है, एक पर्याय से SO(32) का गाज सममीती समूह मिलता है, यह सिद्धांत प्रकार 1 (खुली स्ट्रींग) के सिद्धांत के जैसा है। दूसरे पर्याय से E(8)xE(8) का गाज सममीती समूह मिलता है। यह पांचवे तरह का सुपरस्ट्रींग सिद्धांत है। प्रक्रार 1 के सिद्धांत के जैसे ही ये दोनो हेटेरोटीक सुपरस्ट्रींग सिद्धांत 10 आयाम मे दाये-बाये सममीती का उल्लंघन करते है।
नामस्ट्रींग का प्रकारगुरुत्वाकर्षण?गाज सममीती का पालन?दाये-बायें सममीती(Parity Symmetry) का पालन
प्रकार Iखुली और बंदहाँSO(32)उल्लंघन
प्रकार IIAबंदहाँनहीपालन
प्रकार IIBबंदहाँनहीउल्लंघन
हेटेरोटीक(Heterotic)-HOबंदहाँSO(32)उल्लंघन
हेटेरोटीक(Heterotic)- HEबंदहाँE(8) x E(8)उल्लंघन
इन पांच तरह के स्ट्रींग सिद्धांतो को चार आयामी विश्व मे संकुचित करने के प्रारंभिक प्रयासो ने E(8) x E(8) हेटेरोटीक सिद्धांत को बढ़ावा दिया। SO(32) सुपरस्ट्रींग सिद्धांत (हेटेरोटीक तथा प्रकार I) का 10 आयाम मे ’दायें-बायें दिशा सममीती विखंडण’ 4 आयामो मे संकुचन मे लुप्त हो गया, लेकिन वास्तविक विश्व मे ’दायें-बायें दिशा सममीती विखंडण’ होता है, जिससे यह सिद्धांत वास्तविक विश्व की व्याख्या नही कर पाता है। यह प्रकार IIB के सिद्धांत पर भी लागु होता है। दूसरी ओर प्रकार IIA मे तो 10 आयामो मे भी ’दायें-बायें दिशा सममीती विखंडण’ नही होता है, और इसके 4 आयामो के संकुचन मे ’दायें-बायें दिशा सममीती विखंडण’ का प्रश्न ही नही उठता है।
वर्तमान स्ट्रींग सिद्धांत के अनुसार ये सभी पांचो सिद्धांत अलग अलग नही है, ये सभी एक दूसरे से जुड़े हुये है। दूसरे शब्दो मे ये सभी सिद्धांत एक ही सिद्धांत के भिन्न भिन्न पहलू है और अपनी सीमाओं मे कार्य करते है। लेकिन इन सभी सिद्धांतो को एकीकृत करने वाला सिद्धांत अभी विकास की प्रक्रिया मे है लेकिन यह सिद्धांत 4 आयामो वाले विश्व मे ’दायें-बायें दिशा सममीती विखंडण’ का पालन करेगा।
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