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Wednesday, 14 June 2017

10 सरल क्वांटम भौतिकी: मूलभूत कणो का विनाश (Particle Anhilation)

इस श्रृंखला मे यह कई बार आया है कि जब भी एक कण अपने प्रति-कण से टकराता है, तब दोनो कणो का विनाश होकर ऊर्जा का निर्माण होता है। इस लेख मे इस प्रक्रिया को विस्तार से देखेंगे।
कणो का विनाश(particle anhilation) और कणो का क्षय(particle decay) दो अलग अलग प्रक्रिया है। कणो के क्षय मे एक मूलभूत कण एक या एकाधिक कण मे परिवर्तित हो जाता है। विनाश में पदार्थ कण और प्रतिपदार्थ कण एक दूसरे को नष्ट कर ऊर्जा में परिवर्तित हो जाते हैं। लेकिन  दोनो प्रक्रियायें आभासी कणों(virtual partilces) के द्वारा ही होती  है।
कण-प्रतिकण का टकराव और विनाश
कण-प्रतिकण का टकराव और विनाश
कण तथा प्रतिकण परस्पर प्रतिक्रिया करते हैं तथा अपने पूर्व रूप की ऊर्जा को अत्यंत ऊच्च ऊर्जा वाले बलवाहक कण(ग्लुआन,W/Z कण,फोटान) में परिवर्तित करते हैं। ये बल वाहक कण(force carrier partilcles) बाद में अन्य कणों में परिवर्तित हो जाते हैं।
अक्सर भौतिकशास्त्री प्रयोगशाला (कण त्वरक- Particle Acclerators जैसे CERN)  मे दो कणों का अत्यंत ऊच्च ऊर्जा पर  टकराव कर उनके विनाश से नये भारी कण बनाते हैं। इन्ही प्रक्रियायों से नये मूलभूत कणो की खोज होती है।
यदि आपने इस श्रृंखला के प्रारंभिक लेख नही पढ़े है, तो आगे बढ़ने से पहले उन्हे पढ़ें।
  1. मूलभूत क्या है ?
  2. ब्रह्माण्ड किससे निर्मित है – भाग 1?
  3. ब्रह्माण्ड किससे निर्मित है – भाग 2?
  4. ब्रह्माण्ड को कौन बांधे रखता है ?
  5. परमाणु को कौन बांधे रखता है?
  6.  नाभिकिय बल और गुरुत्वाकर्षण
  7. क्वांटम यांत्रिकी
  8. कणों का क्षय और विनाश
  9. रेडियो सक्रियता क्यों होती है?

बबल कक्ष और क्षय

यह एक बबल कक्ष का वास्तविक चित्र है, जिसमे चित्र के नीचे से आते प्रतिप्रोटान को प्रोटान से टकरा कर विनाश प्रक्रिया दिखायी गयी है। इस विनाश प्रक्रिया में आठ पिआन(π) का निर्माण हुआ है। एक का क्षय + µ(म्युआन) तथा ν(फोटान) में हुआ है। धनात्मक और ऋणात्मक पिआन के पथ चुंबकीय क्षेत्र के प्रभाव में विपरीत दिशा में वक्रता लिये हुए है जबकि उदासीन कण का कोई पथ नहीं है।
बबल कक्ष (Bubble Chamber)
बबल कक्ष (Bubble Chamber)
बबल कक्ष पुराने तरह के कण जांच यंत्र है। जब आवेशित कण किसी बबल कक्ष से गुजरता है तब वह छोटे बुलबुलों की एक लकीर छोड़ते जाता है, इससे कणों के पथ को जानना आसान होता है। हमने कणों के क्षय और विनाश की खूब चर्चा की है, अब हम इन प्रक्रियाओं के कुछ उदाहरण देखेंगे।

न्यूट्रॉन बीटा क्षय

एक न्यूट्रॉन (udd) का क्षय एक प्रोटान (uud), एक इलेक्ट्रॉन और एक प्रति-न्यूट्रॉन में होता है। इसे न्यूट्रॉन बीटा क्षय(Neutron Beta Decay) कहते हैं।
(“बीटा किरण” यह शब्द नाभिकीय क्षय में इलेक्ट्रॉन के लिये प्रयोग किया क्योंकि उस समय तक इलेक्ट्रॉन के अस्तित्व का ज्ञान नहीं था।)
चित्र 1: न्यूट्रॉन (आवेश= 0)  अप, डाउन और डाउन क्वार्क का बना होता है।
चित्र 2: एक डाउन क्वार्क अप क्वार्क में परिवर्तित होता है। डाउन क्वार्क का विद्युत आवेश  -1/3  तथा अप क्वार्क का विद्युत आवेश 2/3 होता है जिससे, वह यह प्रक्रिया एक मध्यस्थ आभासी बल वाहक W- के द्वारा करता है जिसका विद्युत आवेश (-1) होता है। इससे आवेश का संरक्षण होता है।
चित्र 3:  नया अप क्वार्क उत्सर्जित W- से दूर जाता है। न्यूट्रॉन अब प्रोटान बन गया है।
चित्र 4: आभासी W- बोसान से इलेक्ट्रॉन और प्रतिन्यूट्रीनो का उत्सर्जन होता है।
चित्र 5: प्रोटान, इलेक्ट्रॉन और प्रतिन्यूट्रीनो एक दूसरे से दूर जाते हैं।
इसमें से मध्यवर्ती अवस्था एक सेकंड के खरबवें के खरबवें के खरबवें हिस्से में होती है और निरीक्षण असंभव है।

इलेक्ट्रॉन/पाजीट्रान विनाश(Electron/Positron Anhilation)

जब एक इलेक्ट्रॉन और पाजीट्रान उच्च ऊर्जा पर टकराते हैं तब वे एक दूसरे का विनाश करते हुये चार्म क्वार्क का निर्माण करते हैं, जो बाद में D+ तथा D- मेसान का उत्सर्जन करते हैं।
चित्र 1: इलेक्ट्रॉन और पाजीट्रान एक दूसरे की ओर बढ़ते हैं।
चित्र 2: वे टकराकर एक दूसरे का विनाश करते हैं और ऊच्च ऊर्जा का उत्सर्जन करते हैं।
चित्र 3: इलेक्ट्रॉन और प्रोटान नष्ट होकर एक फोटान या एक Z कण बनाते हैं जिनमें दोनों आभासी बलवाहक कण हो सकते हैं।
चित्र 4: बल वाहक कणों से एक चार्म क्वार्क तथा एक चार्म प्रतिक्वार्क उत्सर्जित होते हैं।
चित्र 5: वे एक दूसरे से दूर जाकर रंग आवेश क्षेत्र(ग्लुआन क्षेत्र) में खिंचाव उत्पन्न करते हैं।
चित्र 6: क्वार्क और दूर जाते हैं, जिससे उनके बल क्षेत्र में और ज्यादा खिंचाव आता है।
चित्र 7: बल क्षेत्र की ऊर्जा में दोनों क्वार्क के मध्य बढी दूरी के फलस्वरूप वृद्धि होती है। आवश्यक ऊर्जा के एकत्रित होने पर यह ऊर्जा क्वार्क और प्रति क्वार्क में परिवर्तित हो जाती है।
चित्र 8-10: क्वार्क अलग हो कर अलग अलग रंग उदसीन कणों में परिवर्तित हो जाते हैं जो कि D+ (एक चार्म और एक प्रति डाउन क्वार्क) तथाD- (एक प्रति चार्म तथा डाउन क्वार्क) मेसान है।
इसमें से मध्यवर्ती अवस्था एक सेकंड के खरबवें के खरबवें के खरबवें हिस्से में होती है और निरीक्षण असंभव है।

टाप क्वार्क का निर्माण (Production of Top Quark)

प्रोटानप्रतिप्रोटान => टाप क्वार्क + टाप प्रतिक्वार्क
प्रोटान में से एक क्वार्क तथा प्रति प्रोटान में से एक प्रतिक्वार्क उच्च ऊर्जा पर टकराकर एक दूसरे का विनाश करते हुए एक टाप क्वार्क और एक टाप प्रतिक्वार्क का निर्माण कर सकते हैं जो क्षय हो कर दूसरे कणों में परिवर्तित हो सकते हैं।
चित्र 1: प्रोटान में से एक क्वार्क तथा प्रति प्रोटान में से एक प्रतिक्वार्क टकराने के लिए बढते हैं।
चित्र 2: क्वार्क तथा प्रतिक्वार्क टकराकर ऊर्जा में परिवर्तित हो जाते हैं।
चित्र 3: यह ऊर्जा आभासी ग्लुआन के रूप में है।
चित्र 4: ग्लुआन के बादल से एक टाप और प्रति टाप क्वार्क बनते हैं।
चित्र 5: ये क्वार्क एक दूसरे से दूर जाते हैं जिससे उनके मध्य रंग आवेश क्षेत्र में तनाव उत्पन्न होता है।
चित्र 6: टाप क्वार्क और प्रतिक्वार्क ज्यादा दूर होने से पहले ही क्षय होकर बाटम और प्रतिबाटम क्वार्क में परिवर्तित हो जाते हैं। इस प्रक्रिया में W बल वाहक कणों का उत्सर्जन होता है।
चित्र 7: नवनिर्मित बाटम क्वार्क और प्रतिबाटम क्वार्क W बल वाहक कण से दूर जाते हैं।
चित्र 8: आभासी W- बोसान से एक इलेक्ट्रॉन और न्यूट्रीनो का उत्सर्जन होता है तथा आभासी W+ बोसान से एक अप क्वार्क तथा डाउन प्रतिक्वार्क का उत्सर्जन होता है।
चित्र 9:  बाटम क्वार्क तथा बाटम प्रतिक्वार्क, इलेक्ट्रॉन, न्यूट्रीनो, अप क्वार्क तथा डाउन प्रतिक्वार्क सभी एक दूसरे से दूर जाते हैं।
इसमें से मध्यवर्ती अवस्था एक सेकंड के खरबवें के खरबवें के खरबवें हिस्से में होती है और निरीक्षण असंभव है।
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