वैज्ञानिक को “ब्रह्मांड की उत्पत्ति” की बजाय उसके “अंत” पर चर्चा करना ज्यादा भाता है। ऐसे सैकड़ों तरिके है जिनसे पृथ्वी पर जीवन का खात्मा हो सकता है, पिछले वर्ष रूस मे हुआ उल्कापात इन्ही भिन्न संभावनाओं मे से एक है। लेकिन समस्त ब्रह्मांड के अंत के तरिके के बारे मे सोचना थोड़ा कठिन है। लेकिन हमे अनुमान लगाने, विभिन्न संभावनाओं पर विचार करने से कोई रोक नही सकता है।
ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के सबसे ज्यादा मान्य सिद्धांत “महाविस्फोट(The Big Bang)” के अनुसार अब से लगभग 14 अरब वर्ष पहले एक बिन्दु से ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति हुयी है। उस समय ब्रह्मांड के सभी कण एक दूसरे से एकदम पास पास थे। वे इतने ज्यादा पास पास थे कि वे सभी एक ही जगह थे, एक ही बिंदु पर। सारा ब्रह्मांड एक बिन्दु की शक्ल में था। यह बिन्दु अत्यधिक घनत्व(infinite density) का, अत्यंत छोटा बिन्दु(infinitesimally small ) था। ब्रह्मांड का यह बिन्दु रूप अपने अत्यधिक घनत्व के कारण अत्यंत गर्म(infinitely hot) रहा होगा। इस स्थिती में भौतिकी, गणित या विज्ञान का कोई भी नियम काम नहीं करता है। यह वह स्थिती है जब मनुष्य किसी भी प्रकार अनुमान या विश्लेषण करने में असमर्थ है। काल या समय भी इस स्थिती में रुक जाता है, दूसरे शब्दों में काल या समय के कोई मायने नहीं रहते है। इस स्थिती में किसी अज्ञात कारण से अचानक ब्रह्मांड का विस्तार होना शुरू हुआ। एक महा विस्फोट के साथ ब्रह्मांड का जन्म हुआ और ब्रह्मांड में पदार्थ ने एक दूसरे से दूर जाना शुरू कर दिया।
हम जानते हैं कि समस्त ब्रह्मांड चार मूलभूत बलो से संचालित है, ये बल है विद्युत-चुंबकिय बल, कमजोर तथा मजबूत नाभिकिय बल और गुरुत्वाकर्षण बल। इन चारो बलो मे से पहले तीन बल अर्थात विद्युत-चुंबकिय बल, कमजोर तथा मजबूत नाभिकिय बल चौथे बल गुरुत्वाकर्षण बल से अत्याधिक शक्तिशाली है, लेकिन अत्यंत कम दूरी पर प्रभावी है। गुरुत्वाकर्षण बल सबसे कमजोर बल होते हुये भी अत्याधिक दूरी पर प्रभावशाली होता है। यह वह बल है जिसने ब्रह्मांड को एक आकार दिया है। इस बल के प्रभाव से पदार्थ के कण एक दूसरे की ओर आकर्षित होते है और ग्रह, तारे, आकाशगंगा का निर्माण करते है। सारे ब्रह्माण्ड के पिंड इसी बल के कारण अपने आकार मे है, यही नही ब्रह्मांड के पिंड आपसे मे एक दूसरे से गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही बंधे हुये है। उदाहरण के लिये चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा, पृथ्वी और अन्य ग्रह सूर्य की परिक्रमा, सूर्य द्वारा आकाशगंगा के केंद्र की परिक्रमा गुरुत्वाकर्षण बल से ही संभव है। यदि गुरुत्वाकर्षण बल ना हो तो सारा ब्रह्मांड बिखर जायेगा।
1990 तक यह माना जाता था कि ब्रह्मांड के विस्तार की गति धीरे धीरे गुरुत्वाकर्षण बल के कारण कम होते जा रही है। लेकिन 1990 मे एक सुपरनोवा के विश्लेषण से ज्ञात हुआ कि कोई रहस्यमय बल गुरुत्वाकर्षण बल के विपरीत कार्य कर ब्रह्मांड के विस्तार को गति दे रहा है। यह एक आश्चर्यजनक , विस्मयकारी खोज थी। उपलब्ध आँकड़ों को सावधानी पूर्वक जांचने के बाद पता चला कि कोई रहस्यमय बल का अस्तित्व ज़रूर है जिससे ब्रह्मांड के विस्तार की गति को त्वरण मील रहा है। इस रहस्यमय बल को आज हम श्याम ऊर्जा (Dark Energy) कहते है। वास्तविकता मे यह बल गुरुत्वाकर्षण बल के विपरीत नही है, गुरुत्वाकर्षण बल जहाँ पर भिन्न पिंडो को एक दूसरे से बांधे रखता है, लेकिन श्याम ऊर्जा पिंडो को एक दूसरे से दूर धकेलती नही है, श्याम ऊर्जा पिंडो के मध्य अंतराल का निर्माण करती है। इसे कुछ इस तरह से माने कि आप और आपका मित्र किसी दरार के दोनो ओर खड़े है और किसी कारण से दरार के चौड़ाई बढ़ते जा रही है। यही कार्य श्याम ऊर्जा कर रही है, वह पिंडो को एक दूसरे से दूर नही ले जा रही है, उसकी बजाय उनके मध्य अंतराल का विस्तार कर रही है।
अब कुल मिलाकर स्थिति यह है कि गुरुत्वाकर्षण बल विभिन्न खगोलीय संरचनाओं को आपस मे बांधे हुये है। दूसरी ओर श्याम ऊर्जा के प्रभाव से ब्रह्मांड के विभिन्न पिंडो के मध्य अंतराल बढ़ रहा है। हमारे ब्रह्मांड का अंत कैसे होगा इन्ही दोनो बलो के मध्य चल रही इस रस्साकशी पर निर्भर है।
अब कुल मिलाकर स्थिति यह है कि गुरुत्वाकर्षण बल विभिन्न खगोलीय संरचनाओं को आपस मे बांधे हुये है। दूसरी ओर श्याम ऊर्जा के प्रभाव से ब्रह्मांड के विभिन्न पिंडो के मध्य अंतराल बढ़ रहा है। हमारे ब्रह्मांड का अंत कैसे होगा इन्ही दोनो बलो के मध्य चल रही इस रस्साकशी पर निर्भर है।
वर्तमान मे उपलब्ध प्रमाणो के अनुसार ब्रह्मांड के अंत की चार प्रमुख संभावनायें है।
4. महा-विच्छेद (Big Rip):

इस संभावना के अनुसार ब्रह्माण्ड का घनत्व क्रांतिक घनत्व(critical density) से कम है, ब्रह्मांड का विस्तार जारी रहेगा और इस विस्तार की गति बढ़ते जायेगी, जिससे आकाशगंगाये एक दूसरे से दूर होते जा रही है। क्रांतिक घनत्व ब्रह्माण्ड के घनत्व की वह सीमा है जिससे कम होने पर ब्रह्माण्ड का विस्तार तीव्र होते रहेगा और अंत मे महाविच्छेद होगा। ब्रह्मांड के घनत्व के क्रांतिक घनत्व के समान होने की अवस्था मे ब्रह्माण्ड के विस्तार की गति कम होते जायेगी और एक बिंदु पर विस्तार रूक जायेगा। लेकिन ब्रह्मांड के घनत्व के क्रांतिक घनत्व से ज्यादा होने की स्थिति मे ब्रह्माण्ड का विस्तार एक सीमा पर पहुंचने के पश्चात थम जायेगा और ब्रह्मांड सिकुड़ना प्रारंभ करेगा, अंत मे वह एक बिंदु मे बदल जायेगा। उसके पश्चात एक महाविस्फोट (Big Bang) से ब्रह्मांड का पुनर्जन्म हो सकता है।
वैज्ञानिको के अनुसार महाविच्छेद की यह घटना अब से 22 अरब वर्ष पश्चात होगी।
3.महाशितलन(The Big Freeze)

यह वह बिंदू होगा जिसमे ब्रह्मांड एन्ट्रापी की चरम स्थिति मे होगा। यदि कोई तारा बचा हुआ है तो वह भी धीमे धीमे जलकर खत्म हो जायेगा, अंतिम तारे के खत्म होने के पश्चात ब्रह्मांड मे गहन अंधकार के शिवाय कुछ नही होगा, बस मृत तारों के अवशेष।
कुछ वैज्ञानिको के अनुसार यह ब्रह्मांड के अंत की सबसे ज्यादा संभव अवस्था है।
कुछ वैज्ञानिको के अनुसार यह ब्रह्मांड के अंत की सबसे ज्यादा संभव अवस्था है।
2.महा संकुचन(Big Crunch) :

यदि यह संभावना सही है तो यह पहले भी हो चुका होगा। हमारा वर्तमान ब्रह्मांड किसी पुर्ववर्ती ब्रह्मांड के संकुचन के पश्चात बना होगा। महाविस्फोट-महासंकुचन-महाविस्फोट का चक्र अनंत रूप से चलता आया होगा। इस संभावना के सत्य होने के लिये आवश्यक है ब्रह्मांड के घनत्व का क्रांतिक घनत्व से ज्यादा होना।
यह एक संभावना मात्र है, अभी तक इस संभावना के पक्ष मे कोई प्रमाण नही मिले है।
1. महाद्रव अवस्था(The Big Slurp)

प्रोटान कण का भी क्षय होता है, और किसी समय ब्रह्माण्ड के सभी प्रोटान कणो का क्षय होगा, वह क्षण अगला भी हो सकता है। इस तरह का निर्वात मितस्थायी घटना(vacuum metastability event ) हमारे ब्रह्माण्ड मे कहीं भी कभी भी हो सकती है। इससे एक बुलबुला निर्मित होगा और हमारे ब्रह्मांड को प्रकाशगति से नष्ट करता जायेगा।
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