
हमारी पृथ्वी पर ऐसे भी कुछ स्थान हैं जहाँ वर्ष के कुछ खास महीनों में आधी रात को भी सूर्य के दर्शन होते हैं।आपको विश्वास नहीं?परंतु यह सत्य है।मध्य-रात्रि के समय सूर्य के दिखाई देने वाली घटना एक प्राकृतिक घटना(Natural Phenomena)है।आप लोग इतना तो जानते ही है कि आकाश में सूर्य स्थिर(पृथ्वी के सापेक्ष)है और हमारी पृथ्वी अपनी कक्षा या भ्रमण पथ पर उसके चारों ओर लगभग 365 दिन में एक चक्कर पूरा करती है।इसके साथ ही वह अपने अक्ष या धुरी पर 24 घंटे में एक चक्कर पूरा करती है।पृथ्वी के इस निरंतर भ्रमण के कारण ही दिन व रात होते हैं। परंतु हम देखते हैं कि दिन और रात की अवधि हमेशा बराबर नहीं होती। कभी दिन बड़े और रातें छोटी होती हैं तो कभी दिन छोटे और रातें बड़ी होती हैं।यह पृथ्वी के अक्ष के झुकाव(Axis Tilt)का परिणाम है।यहां हम आपको बता दें कि पृथ्वी का कोई वास्तविक अक्ष नहीं होता है किंतु जब पृथ्वी घूमती है तो एक ठीक उत्तर और दूसरा ठीक दक्षिण में ऐसे दो बिंदु बनते हैं जिन्हें एक सीधी रेखा से जोड़ देने की कल्पना करें तो वैसी ही एक धुरी बन जाएगी जैसी साइकिल के पहियों की धुरी होती है जिन पर वे घूमते हैं।


नार्वे यूरोप महाद्वीप का एक देश है।आप विश्व मानचित्र या एटलस में इसकी स्थिति देख सकते है।इसके उत्तरी छोर पर हेमरफेस्ट(Hemerfest)नामक शहर है।यहाँ उन दिनों मध्यरात्रि के सूर्य के दर्शन करने के लिए कई शौकीन पर्यटक आते हैं।इसीलिए नार्वे को “मध्यरात्रि के सूर्य का देश’ भी कहा जाता हैं।यहां चौबीसों घंटे सूर्य क्षितिज पर दिखाई देता है।प्रकृति के इस अद्भुत करिश्मे को देखने का जीवन में यदि आपको कभी अवसर मिले तो हेमरफेस्ट ज़रूर जाइए।
विषुव (अंग्रेज़ी:इक्विनॉक्स)

इस परिभाषा को सूर्य के पृथ्वी पर उदय और अस्त या परिक्रमा के संदर्भ में देखें तो इक्विनॉक्स एक ग्रह की कक्षा में लगने वाला वह समय है, जिसमें ग्रह की कक्षा और विशिष्ट स्थिति में सूर्य सीधे भूमध्य रेखा के ऊपर से होकर निकलता है। दिन और रात बराबर होने की बात सिद्धान्तः होती है पर वास्तविकता में नहीं। आजकल यह समय लगभग 22 मार्च तथा 23 सितंबर को आता है। जब यह मार्च में आता है तो उत्तरी गोलार्द्ध में रहने वाले इसे महा/बसंत विषुव (Vernal/(अंग्रेज़ी)) कहते हैं तथा जब सितंबर में आता है तो इसे जल/शरद विषुव (fall/(अंग्रेज़ी)) कहते हैं। यह उत्तरी गोलार्द्ध में इन ऋतुओं के आने की सूचना देता है। यह समय विषुव अयन के कारण समय के साथ साथ बदलता रहता है। अंतर्राष्ट्रीय समय में भिन्नता के कारण अलग अलग देशों में इसके दिखने की तिथियों में अंतर हो सकता है। उदाहरण के लिए दूरस्थ पूर्वी देशों में यह यूरोप और अमेरिका से एक दो दिन आगे पीछे दिख सकता है। हर ग्रह की एक काल्पनिक केंद्रीय रेखा को भूमध्य रेखा कहते हैं। इसके साथ ही भूमध्य रेखा के ठीक ऊपर अंतरिक्ष में एक काल्पनिक आकाशीय रेखा भी होती है। इक्विनॉक्स के समय सूर्य सीधे भूमध्य रेखा की सीध में होता है। इसका अर्थ यह है कि यदि कोई व्यक्ति भूमध्य रेखा पर खड़ा हो तो सूर्य उसे सीधे अपने सिर के ऊपर दिखाई देगा। इसका यह भी अर्थ है कि आधा ग्रह पूरी तरह प्रकाशित होता है और इस समय दिन और रात लगभग बराबर होते हैं।
उत्तरी ध्रुव पर रहने वाले लोगों के लिए इक्विनॉक्स के अगले छह महीने लगातार दिन वाले होते हैं जबकि दक्षिणी ध्रुव के लोगों के लिए छह महीने अंधेरी रात वाले। इक्विनॉक्स के इस विशेष दिन दोनों ध्रुवों के लोगों को सूर्य का एक जैसा प्रकाश देखने को मिलता है, जबकि दोनों जगह का मौसम अलग होगा
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