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Wednesday, 14 June 2017

04 सरल क्वांटम भौतिकी: ब्रह्माण्ड को कौन बांधे रखता है ?

अब हम अच्छी तरह से जानते हैं कि विश्व किस से बना है : क्वार्क और लेप्टान से। ठीक है…
लेकिन विश्व एक साथ कैसे बंधा है ? क्यों क्वार्क मिलकर प्रोटान/न्युट्रान बनाते है ? कैसे प्रोटान न्युट्रान से परमाणु, परमाणुओं से अणु, अणुओं से पदार्थ, पदार्थ से ग्रह, तारे, आकाशगंगा और ब्रह्माण्ड बने है ?
यदि आपने इस श्रृंखला के प्रारंभिक लेख नही पढ़े है, तो आगे बढ़ने से पहले उन्हे पढ़ें।
  1. मूलभूत क्या है ?
  2. ब्रह्माण्ड किससे निर्मित है – भाग 1?
  3. ब्रह्माण्ड किससे निर्मित है – भाग 2?

चार मूलभूत प्रतिक्रियायेँ

4 मूलभूत प्रतिक्रियाएँ
4 मूलभूत प्रतिक्रियाएँ
हमारी अपनी  जानकारी की सीमाओं के अंतर्गत अपने प्यारे  ब्रह्माण्ड का अस्तित्व इसलिए है क्योंकि मूलभूत कण आपस में प्रतिक्रिया(interaction) करते हैं। इन प्रतिक्रियाओं में आकर्षण और प्रतिकर्षण के साथ क्षय(decay) और विनाश(inhalition) का समावेश है।
कणों के मध्य में चार मूलभूत प्रतिक्रियाएं होती है और समस्त विश्व के बलों को इन चार प्रतिक्रियाओं से समझा जा सकता है।
हाँ यह सही है, केवल चार प्रतिक्रियायें ! कोई भी बल आप सोचें, घर्षण, चुंबकत्व, गुरुत्वाकर्षण, नाभिकीय क्षय और अन्य.. यह सभी इन चारों मूलभूत प्रतिक्रियाओं में से किसी एक के फलस्वरूप है।
प्रतिक्रिया और बल के मध्य क्या अंतर है?
इन दोनों के मध्य अंतर बताना कठिन है। सही मायनों में बल एक कण द्वारा दूसरे कण की उपस्थिति से उत्पन्न प्रभाव है। कणों की आपसी प्रतिक्रिया में सभी बलों का समावेश होता है लेकिन प्रतिक्रिया में कणों के क्षय और विनाश का भी समावेश होता है। अगले भाग में कणों के क्षय और विनाश को हम विस्तार से देखेंगे।
भ्रम का कारण यह है कि अधिकतर लोग, अधिकतर वैज्ञानिक भी “बल(force)” और “प्रतिक्रिया(interaction)” को एक दूसरे की जगह प्रयोग करते हैं। कणों की आपसी प्रतिक्रिया के लिए बल की जगह प्रतिक्रिया ज्यादा सही शब्द है। हम यह कह सकते हैं कि जो कण प्रतिक्रिया करते हैं “बल वाहक कण(Force Carrier Partilces)” कहलाते हैं। कणो की आपसी प्रतिक्रिया के फलस्वरूप बल(force) का आभास होता है। आप इन दोनों शब्दों को एक दूसरे की जगह प्रयोग कर सकते हैं लेकिन आप को इन दोनों के मध्य अंतर स्पष्ट होना चाहिये।

पदार्थ परस्पर प्रतिक्रिया कैसे करता है?

भौतिक वैज्ञानिकों के मन में सदियों से एक पेचीदा प्रश्न रहा है….
पदार्थ के कण परस्पर प्रतिक्रिया कैसे करते हैं?
चुंबकिय प्रतिक्रिया
चुंबकिय प्रतिक्रिया
समस्या यह है कि इनकी परस्पर प्रतिक्रिया एक दूसरे को स्पर्श किये बिना भी होती है। दो चुंबक एक दूसरे की उपस्थिति कैसे जान लेते हैं और कैसे एक दूसरे को आकर्षित या प्रतिकर्षित करते हैं ? सूर्य पृथ्वी को कैसे आकर्षित करता है ?
हम इसका उत्तर जानते हैं कि यह “चुंबकत्व” और “गुरुत्व” के कारण है। लेकिन ये बल क्या है?
मूलभूत स्तर पर , एक बल किसी कण पर होने वाला प्रभाव नहीं है। वह दो कणों के मध्य आदानप्रदान(exchange) करने वाली वस्तु है।

अदृश्य प्रभाव

आप बलों की तुलना निम्नलिखित स्थिति से कर सकते हैं:
दो व्यक्ति बर्फ की सतह पर खड़े है। एक व्यक्ति अपने हाथ में पकड़ी बास्केटबाल को दूसरी व्यक्ति की ओर फेंकता है। न्यूट्रॉन के तीसरे नियम के अनुसार फेंकने की प्रक्रिया की प्रतिक्रिया के फलस्वरूप  वह व्यक्ति भी पीछे जायेगा। दूसरा व्यक्ति जब उस गेंद को पकड़ेगा, तो वह बास्केटबाल की गति के विपरीत बल लगायेगा, प्रतिक्रिया स्वरूप वह भी पीछे जायेगा।  इस तरह से दोनों व्यक्ति गेंदों के आदान-प्रदान में एक दूसरे से दूर जाते जायेंगे। स्केट के मैदान पर यह करके देखीये। गेंद फेकने के पश्चात आप पीछे जायेंगे। यह आप किसी चिकनी सतह पर खड़े होकर भी कर सकते है।
प्रतिकर्षण बल
प्रतिकर्षण बल
पदार्थ कणों के मध्य बलों के प्रभाव के लिये भी ऐसी ही प्रक्रिया होती है, वे बल वाहक कणों का आदान-प्रदान करते हैं। ये बलवाहक कण पदार्थ कणों के मध्य बास्केटबाल का कार्य करते हैं, जबकि पदार्थ कण इन दो व्यक्तियों की तरह होते हैं। जिसे हम प्रयुक्त “बल” मानते हैं, वह बलवाहक कणों के आदान-प्रदान का पदार्थ कणों पर प्रभाव मात्र होता है।
आकर्षण बल
आकर्षण बल
बास्केट बाल फेंकने वाला का चित्र केवल प्रतिकर्षण बल की व्याख्या कर रहा है, इससे बल वाहक कणों के आदान प्रदान से आकर्षण बलों के व्यवहार को नहीं समझा जा सकता है। आकर्षण करने वाले बलों को समझने के लिए हमें बास्केटबाल को एक चिपचिपी गेंद से बदलना होगा। इस चिपचिपी गेंद के आदान प्रदान में गेंद का चिपचिपापन उन दोनों व्यक्तियों को पास लाएगा। लेकिन ध्यान दें कि क्वांटम भौतिकी जटिल गणितीय मॉडल पर आधारित है, इसके हर पहलू को इस तरह के उदाहरणों से समझना थोड़ा कठिन है।
हम रोजमर्रा के जीवन में आकर्षण बलों के उदाहरण जैसे चुंबक और गुरुत्वाकर्षण को देखते हैं और हम मानते हैं कि किसी पिंड की उपस्थिति मात्र से दूसरे पिंडों पर उसका प्रभाव पड़ता है। इससे एक और पेचीदा प्रश्न खड़ा होता है कि कैसे दो पिंड एक दूसरे को बिना स्पर्श किये प्रभावित कर सकते हैं? इसके लिये हम सुझाव देते हैं कि अदृश्य बल वस्तुतः बल वाहक कणों के आदान प्रदान से उत्पन्न होता है। कण भौतिक वैज्ञानिकों ने अविश्वसनीय सटीकता से यह प्रमाणित किया है कि एक कण द्वारा दूसरे कण पर लगाया गया बल बलवाहक कणों के आदान प्रदान से उत्पन्न होता है।
एक महत्वपूर्ण तथ्य ध्यान में रखना चाहिये कि एक विशेष बल वाहक कण किसी पदार्थ कण द्वारा उसी स्थिति में उत्सर्जित या अवशोषित किया जा सकता जब वह पदार्थ कण उस बल वाहक कण द्वारा प्रभावित होता हो। उदाहरण के लिये, इलेक्ट्रॉन और प्रोटान में विद्युत आवेश होता है, इसलिए वह विद्युत-चुंबक बल वाहक कण फोटान का उत्सर्जन/अवशोषण कर सकते हैं। न्यूट्रीनो में विद्युत आवेश नहीं होता है, वे फोटान का उत्सर्जन/अवशोषण नहीं कर सकते हैं।

विद्युत-चुंबकत्व (Electro-Magnetism)

विद्युत-चुंबक
विद्युत-चुंबक
विद्युत-चुंबकीय बल समान आवेश में प्रतिकर्षण और विपरीत आवेश में आकर्षण उत्पन्न करता है। रोजाना के कई बल जैसे घर्षण तथा चुंबकत्व भी विद्युत-चुंबकीय बल के कारण है। उदाहरण के लिये आपको फर्श के आरपार गिरने से बचाने वाला बल या दीवार के आर-पार जाने से रोकने वाला बल भी विद्युत-चुंबकीय बल है जो आपके शरीर के परमाणुओं और फर्श(या दीवार) के परमाणुओं के मध्य प्रतिकर्षण उत्पन्न कर उन्हें आर पार जाने से रोकता है।
विद्युत-चुंबकीय बल का वाहक कण फोटान(γ) है। भिन्न भिन्न ऊर्जाओं पर फोटान विद्युत चुंबक वर्णक्रम पर फैले होते हैं, जो कि X किरण, दृश्य प्रकाश, रेडियो तरंग का भी समावेश करता है।
फोटान का द्रव्यमान शून्य होता है और वह प्रकाशगति (c) से चलता है, c का मूल्य निर्वात में लगभग 300,000,000 मीटर/सेकंड है।

अवशिष्ट विद्युत-चुंबकत्व(residual electro-magnetism)

अवशिष्ट विद्युत-चुंबकत्व
अवशिष्ट विद्युत-चुंबकत्व
सामान्यतः परमाणुओं में समान संख्या में प्रोटान और इलेक्ट्रॉन होते हैं। वे विद्युत रूप से उदासीन होते हैं क्योंकि प्रोटान का धनात्मक आवेश , ऋणात्मक इलेक्ट्रॉन द्वारा रद्द हो जाता है। जाब वे उदासीन होते हैं तब स्थायी अणुओं का निर्माण कैसे होता है?
इसका उत्तर थोड़ा विचित्र है: यह पाया गया है कि एक परमाणु का आवेशित भाग दूसरे परमाणु के आवेशित भाग से प्रतिक्रिया कर सकता है। इससे भिन्न परमाणुओं का एक दूसरे से जुड़ना संभव होता है। इस प्रभाव को अवशिष्ट विद्युत-चुंबकीय बल कहते हैं।
इस तरह से विद्युत-चुंबक बल जो परमाणुओं को बांध कर अणु बनाता है, विश्व के एक साथ बंधे रहने और पदार्थ के निर्माण के लिए उत्तरदायी है। है ना आश्चर्यजनक!

यह तो समझ मे आ गया कि परमाणु आपस मे बंधकर अणुओं और पदार्थ का निर्माण कैसे करते है! लेकिन परमाणु के अंदर प्रोटान, न्युट्रान और इलेक्ट्रान कैसे बंधे रहते है ?

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