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Wednesday, 14 June 2017

05 सरल क्वांटम भौतिकी: परमाणु को कौन बांधे रखता है?

हम जानते है कि किसी परमाणु के दो भाग होते है,  प्रोटान और न्यूट्रॉन से बना परमाणु क्रेन्द्रक और उसके चारो ओर इलेक्ट्रान का बादल। परमाणु केन्द्र प्रोटानो के फलस्वरूप धनात्मक आवेशित होता है और विद्युत-चुंबकीय बलो के फलस्वरूप इलेक्ट्रान उसके चारो ओर परिक्रमा करते रहते है।
अब हमारे पास एक और समस्या है, परमाणु केन्द्र को कौन बांधे रखता है?
यदि आपने इस श्रृंखला के प्रारंभिक लेख नही पढ़े है, तो आगे बढ़ने से पहले उन्हे पढ़ें।
  1. मूलभूत क्या है ?
  2. ब्रह्माण्ड किससे निर्मित है – भाग 1?
  3. ब्रह्माण्ड किससे निर्मित है – भाग 2?
  4. ब्रह्माण्ड को कौन बांधे रखता है ?

परमाणु केन्द्र को कौन बांधे रखता है?

परमाणु केण्द्रक
परमाणु केण्द्रक
परमाणु केन्द्र बिखरता क्यों नही ?
परमाणु केन्द्र बिखरता क्यों नही ?
परमाणु का केन्द्र प्रोटान और न्यूट्रॉन के समूहों की एक घनी गेंद जैसे होता है। न्यूट्रॉन में आवेश नहीं होता है तथा धनात्मक प्रोटान एक दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं, परमाणु केन्द्रक बिखरता क्यों नहीं है?
स्पष्ट है कि विद्युत-चुंबक बल परमाणु केन्द्रक को बांधे नही रख सकता है। तब दूसरा कौन सा बल हो सकता है ?
गुरुत्वाकर्षण ? ना जी ना! गुरुत्वाकर्षण बल इतना कमजोर है कि विद्युत चुंबक बल पर भारी हो कर परमाणु केन्द्रक को बांधे नहीं रख सकता है।
तब परमाणु केन्द्रक को बांधे कौन रखता है ?

मजबूत नाभिकीय बल(Strong Nuclear Force)

मजबूत नाभिकिय बल
मजबूत नाभिकिय बल
परमाणु केन्द्र के अंदर क्या चल रहा है समझने के लिए हमें केन्द्र के प्रोटान और न्यूट्रॉन का निर्माण करने वाले क्वार्क के बारे में और जानना होगा। क्वार्क के पास विद्युत-चुंबकीय आवेश होता है साथ ही उनमें एक और आवेश “रंग आवेश(colour charge)” होता है। रंग-आवेशित कणों के मध्य का बल अत्यधिक मजबूत होता है इसलिए इसे मजबूत नाभिकीय बल कहा जाता है।
ग्लुआन
ग्लुआन
मजबूत नाभिकीय बल क्वार्कों को बांध कर हेड्रान बनाता है, इसलिए इसके बलवाहक कणों को ग्लुआन कहते हैं क्योंकि वे क्वार्कों को गोंद के जैसे एकसाथ चिपका कर रखते हैं। (इनके नाम के लिए अन्य उम्मीदवार हो सकते “होल्ड-आन“, “टेप-इट-आन” या “टाई-इट-आन“!)
ध्यान दें कि रंग-आवेश विद्युत-चुंबक आवेश से अलग है। फोटान विद्युत-चुंबकिय बल-वाहक कण है लेकिन फोटान का विद्युत आवेश नहीं होता है।  ग्लुआन फोटान से भिन्न होते है क्योंकि फोटान मे किसी भी तरह का आवेश नही होता है लेकिन ग्लुआन का रंग-आवेश होता है। यह थोड़ा विचित्र है कि क्वार्क का रंग आवेश होता है लेकिन क्वार्क से बने यौगिक कणों का रंग-आवेश नहीं होता है, वे रंग उदासीन(colour-charge neutral) होते हैं। इसी कारण से मजबूत नाभिकीय बल केवल अत्यंत सूक्ष्म स्तर के क्वार्क प्रतिक्रियाओं में भाग लेता है। यह एक कारण है कि रोजाना के जीवन में हम इस बल का प्रभाव नहीं देखते हैं।

रंग आवेश(Colour Charge)

रंग-आवेश
रंग-आवेश
क्वार्क और ग्लुआन दोनों रंग-आवेशित कण है। विद्युत आवेशित कणों द्वारा फोटान कणों द्वारा आदान प्रदान की प्रतिक्रिया के जैसे ही रंग-आवेशित कण ग्लुआन के आदान प्रदान से मजबूत नाभिकीय प्रतिक्रिया करते हैं। जब दो क्वार्क एक दूसरे के पास आते हैं तब वे ग्लुआन का आदान प्रदान कर एक मजबूत रंग-बल का निर्माण करते हैं जो क्वार्कों को बांधे रखता है। यह बल क्वार्कों के एक दूसरे से दूर जाने पर और ज्यादा शक्तिशाली होते जाता है। क्वार्क एक दूसरे से जितना दूर जाने का प्रयास करेंगे, यह बल उन्हे उतनी ज्यादा शक्ति से बांधे रखेगा। क्वार्क आपस में ग्लुआन के आदान प्रदान से निरंतर अपने रंग-आवेश बदलते रहते हैं।

  रंग आवेश कैसे कार्य करता है?
रंग आवेश तथा प्रति-रंग आवेश
रंग आवेश तथा प्रति-रंग आवेश
कण और रंग आवेश
कण और रंग आवेश
रंग आवेश तीन तरह का होता है और इनसे संबंधित तीन प्रतिरंग होते हैं। हर क्वार्क का इन तीन में से एक रंग-आवेश होता है, जबकि प्रतिक्वार्क का तीन प्रतिरंगों में से एक प्रतिरंग होता है। जैसे लाल, हरे और नीले प्रकाश का मिश्रण सफेद रंग का निर्माण करता है; उसी तरह किसी बारयान में “लाल”, “हरे” और “नीले” रंग-आवेश का मिश्रण रंग-उदासीन होता है। प्रति-बारयान में “प्रति-लाल”, “प्रति-हरे” और “प्रति-नीले” रंग-आवेश का मिश्रण रंग-उदासीन होता है। इसलिए बारयान और प्रतिबारयान रंग उदासीन होते हैं। मेसान भी रंग उदासीन होते हैं क्योंकि वे “लाल” और “प्रति-लाल”, “हरा” और “प्रति-हरा , “नीला” और “प्रति-नीला” जैसे मिश्रण रखते हैं।
ग्लुआन का उत्सर्जन और अवशोषण हमेशा रंग परिवर्तन करता है, इसके अतिरिक्त रंग हमेशा संरक्षित (conserved)रहता है। इससे यह माना जा सकता है कि ग्लुआन हमेशा एक रंग और प्रति-रंग आवेश रखते हैं। रंग और प्रति-रंग के नौ मिश्रण  संभव है, इससे लगता है कि नौ तरह के ग्लुआन आवेश होना चाहिये लेकिन गणितीय गणना के अनुसार ऐसे केवल आठ मिश्रण है। दुर्भाग्य से एक कम क्यों है ,इसकी कोई सहज व्याख्या नहीं है।
महत्वपूर्ण अस्वीकरण:
“रंग आवेश” का दृश्य वास्तविक रंगों से दूर दूर तक कोई रिश्ता नहीं है, ये केवल भौतिक शास्त्रियों द्वारा क्वार्क के निरीक्षित गुणों के नामकरण के लिए एक गणितीय सुविधाजनक प्रणाली मात्र है। वे रंग की बजाये किसी और नाम का प्रयोग कर सकते थे लेकिन यह उन्हे ज्यादा सुविधाजनक लगा और साधारण लोगों को भ्रमित करने वाला।

क्वार्क परिरोध (Quark confinement)

क्वार्क परिरोध
क्वार्क परिरोध
रंग-आवेश वाले कण एकल नहीं पाये जाते हैं। इस कारण से रंग-आवेश वाले क्वार्क समूहों (हेड्रान) में अन्य क्वार्क के साथ परिरोधित (बंधे) होते हैं। यह यौगिक कण रंग उदासीन होते हैं।
स्टैंडर्ड मॉडल सिद्धांत अंतर्गत मजबूत नाभिकीय प्रतिक्रिया के विकास के साथ यह ज्ञात हुआ कि क्वार्क हमेशा बारयान (तीन क्वार्क) तथा मेसान (क्वार्क-प्रतिक्वार्क) में ही बंधते हैं। वे कभी 4 क्वार्क में नहीं बंधते हैं। अब हम जानते हैं कि सिर्फ बारयान (तीन अलग रंग) तथा मेसान(रंग और प्रतिरंग) ही रंग-उदासीन होते हैं। ud(एक अप क्वार्क एक डाउन क्वार्क) या uddd(एक अप और तीन डाउन क्वार्क) जैसे कण जो रंग उदासीन नहीं हो सकते हैं, अब तक खोजे नहीं गये हैं।
 रंग बल क्षेत्र (Colour Force Field)
किसी हेड्रान के क्वार्क सतत ग्लुआन का आदान-प्रदान करते हैं। इस कारण से भौतिकशास्त्री इसे ग्लुआन से बने रंगबल क्षेत्र द्वारा क्वार्कों को बांधा जाना कहते हैं।
यदि किसी हेड्रान में से एक क्वार्क किसी पड़ोसी द्वारा खींच लिया जाता है, तब रंग बल क्षेत्र उस क्वार्क और उसके पड़ोसियों में खिंच जाता है। इस प्रक्रिया में रंग बल क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा ऊर्जा जुड़ जाती है क्योंकि क्वार्क एक दूसरे से दूर खिंचे जा रहे हैं। इस प्रक्रिया में एक बिंदु पर रंग आवेश क्षेत्र द्वारा क्वार्क-प्रतिक्वार्क युग्म बनाना कम ऊर्जा लेता है। ऐसा होने पर ऊर्जा का संरक्षण होता है क्योंकि रंगबलक्षेत्र की ऊर्जा नये क्वार्क के द्रव्यमान में परिवर्तित हो जाती है जिससे रंग-बल-क्षेत्र अपनी पूर्वावस्था में आ सकता है।
क्वार्क एकल अवस्था में नहीं रह सकते क्योंकि रंगबल क्वार्कों के दूर जाने पर बढता है।
क्वार्क एकल अवस्था में नहीं रह सकते क्योंकि रंगबल क्वार्कों के दूर जाने पर बढता है।
क्वार्क एकल अवस्था में नहीं रह सकते क्योंकि रंगबल क्वार्कों के दूर जाने पर बढता है।

क्वार्क द्वारा ग्लुआन का उत्सर्जन

रंग आवेश हमेशा संरक्षित होता है।
जब एक क्वार्क किसी ग्लुआन का उत्सर्जन या अवशोषण करता है, रंग आवेश के संरक्षण के लिये उस क्वार्क का रंग परिवर्तित होता है। उदाहरण के लिए एक लाल क्वार्क एक लाल/प्रतिनीले ग्लुआन के उत्सर्जन के पश्चात नीले क्वार्क में परिवर्तित हो जाता है।(चित्र में प्रति-नीले को पीले रंग में दर्शाया गया है।)  इस प्रक्रिया का कुल रंग लाल है क्योंकि ग्लुआन के उत्सर्जन के पश्चात क्वार्क का नीला रंग ग्लुआन के प्रतिनीले रंग को रद्द कर देता है। शेष रंग ग्लुआन का लाल रंग है।
क्वार्क : रंग-आवेश का उत्सर्जन
क्वार्क : रंग-आवेश का उत्सर्जन
क्वार्क किसी हेड्रान के अंदर ग्लुआन का उत्सर्जन और अवशोषण करते रहते हैं, इसलिए किसी विशेष क्वार्क का रंग ज्ञात करना असंभव है। किसी हेड्रान के अंदर किसी दो क्वार्क का ग्लुआन का आदान-प्रदान उन क्वार्कों के रंग को इस तरह से परिवर्तित करता है कि वह हेड्रान रंग उदासीन ही रहता है।

अवशिष्ट मजबूत नाभिकीय बल(Residual Strong Nuclear Force)

अब हम जानते हैं कि मजबूत नाभिकीय बल क्वार्कों को एकसाथ बांधता है क्योंकि क्वार्कों के पास रंग आवेश होता है। यह तो समझ मे आया कि न्युट्रान और प्रोटान के अंदर क्वार्क कैसे बंधे रहते है।  लेकिन यह अभी भी नहीं बताता कि परमाणु नाभिक कैसे बंधा रहता है, क्योंकि धनात्मक प्रोटानों में  विद्युत-चुंबकीय बल से प्रतिकर्षण होना चाहिये। प्रोटान और न्यूट्रॉन दोनो रंग उदासीन है अर्थात रंग बल क्षेत्र उन्हे बांध नही सकता!
तो परमाणु नाभिक को एक साथ कौन बांधे रखता है ? ह्म्म…?
इसका उत्तर यह है कि मजबूत नाभिकीय बल को यूँ ही मजबूत नहीं कहा जाता है! एक प्रोटान के क्वार्कों और दूसरे प्रोटान के क्वार्कों के मध्य मजबूत नाभिकीय बल इतना होता है कि वह प्रतिकर्षण वाले विद्युत-चुंबकीय बल पर भी भारी पड़ जाता है। यह बल परमाणु केन्द्रक(नाभिक) को भी बांधे रखता है।
अवशिष्ट मजबूत नाभिकीय बल
अवशिष्ट मजबूत नाभिकीय बल
इसे अवशिष्ट मजबूत नाभिकीय प्रक्रिया कहते हैं और यह केन्द्रक को बांधे रखता है।

यह तो समझ मे आया कि परमाणु केंद्रक कैसे बंधे रहते है, लेकिन रेडीयो सक्रिय तत्वो के परमाणु केन्द्रक कैसे टूटते है ?

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