भौतिक वैज्ञानिक प्रकाश को परमाणु तथा परमाणु से छोटे कणो की जांच के लिये प्रयोग नही कर सकते हैं, क्योंकि प्रकाश का

इलेक्ट्रान : जांच कण
तरंगदैर्ध्य(Wavelength) इन कणो के आकार से अधिक होता है। पिछले लेख मे हम देख चुके हैं कि किसी भी वस्तु की जांच के लिये उससे छोटे जांचयंत्र(तरंग) का प्रयोग करना आवश्यक होता है। लेकिन हम जानते हैं कि सभी कण ‘तरंग‘ गुणधर्म रखते है, इन कणो का जांचयंत्र के रूप मे प्रयोग किया जा सकता है। किसी भी कण की जांच के लिये भौतिक वैज्ञानिको को सबसे कम तरंगदैर्ध्य के कण की आवश्यकता होती है। हमारे प्राकृतिक विश्व मे अधिकतर कणो का तरंगदैर्ध्य हमारी आवश्यकता से अधिक होता है। प्रश्न उठता है कि भौतिक वैज्ञानिक किसी कण के तरंगदैर्ध्य को कम कैसे करते है कि उसे एक जांचयंत्र की तरह प्रयोग किया जा सके ?
तरंगदैर्ध्य(Wavelength) इन कणो के आकार से अधिक होता है। पिछले लेख मे हम देख चुके हैं कि किसी भी वस्तु की जांच के लिये उससे छोटे जांचयंत्र(तरंग) का प्रयोग करना आवश्यक होता है। लेकिन हम जानते हैं कि सभी कण ‘तरंग‘ गुणधर्म रखते है, इन कणो का जांचयंत्र के रूप मे प्रयोग किया जा सकता है। किसी भी कण की जांच के लिये भौतिक वैज्ञानिको को सबसे कम तरंगदैर्ध्य के कण की आवश्यकता होती है। हमारे प्राकृतिक विश्व मे अधिकतर कणो का तरंगदैर्ध्य हमारी आवश्यकता से अधिक होता है। प्रश्न उठता है कि भौतिक वैज्ञानिक किसी कण के तरंगदैर्ध्य को कम कैसे करते है कि उसे एक जांचयंत्र की तरह प्रयोग किया जा सके ?
किसी कण का संवेग(momentun) तथा तरंगदैर्ध्य(Wavelength) विलोमानुपात(Inverse Propotion) मे होते है। अर्थात जितना अधिक संवेग, उतनी कम तरंगदैर्ध्य! भौतिक वैज्ञानिक इसी नियम के प्रयोग से कण त्वरकों मे जांचकण की गति को तेज कर देते है जिससे उसकी तरंगदैर्ध्य कम हो जाती है। इस प्रक्रिया की विधि :
- अपने जांच कण को त्वरक(particle Acclerator) मे डाले।
- जांचकण की गति को प्रकाशगति के समीप तक तेज कर उसके संवेग को बढ़ा दे।
- अब जांचकण का संवेग अत्याधिक है, इसलिये उसकी तरंगदैर्ध्य लघुतम होगी।
- अब जांचकण को लक्ष्य से टकराने दे और उसके बाद की घटना को अंकित कर ले।
कण और तरंग
तरंगो का एक महत्वपूर्ण गुण होता कि जब दो तरंगे एक दूसरे से गुजरती है; तब दोनो तरंगो का प्रभाव जुड़ जा जाता है। इसे इनर्फिरन्स(interference) कहते है।
कल्पना किजीये कि एक प्रकाश श्रोत के सामने एक ’दो दरारो वाली धातु की चादर” रखी है। इसके कुछ मीटर सामने एक स्क्रिन रखी है। किसी भी समय इस स्क्रिन पर प्रकाश की दो तरंगे टकरायेंगी(एक दरार से एक तरंग)। यह दोनो प्रकाश तरंगे स्क्रिन से टकराने से पहले एक दूसरे से भिन्न दूरी तय करेंगी, जिससे यह तरंगे एक दूसरे से टकरायेंगी और इनर्फिरन्स पैटर्न का निर्माण करेंगी। अब यदि आप यही प्रयोग प्रकाश श्रोत की बजाये किसी कण की धारा से करें आपको इसी के जैसा ही इनर्फिरन्स पैटर्न मिलेगा। इसका अर्थ है कि सभी कण भी तरंग गुणधर्म रखते है। नीचे के चित्र मे इलेक्ट्रान द्वारा निर्मित इनर्फिरन्स पैटर्न चित्रित है जो कि इलेक्ट्रानो के स्वर्णझिल्ली से टकराने के पश्चात बिखरने से निर्मित है।
यह विचित्र लगता है ठोस पदार्थ कण वस्तुतः तरंग जैसा गुण रखते है और एक दूसरे से इनर्फिरन्स(छेड़्छाड़/प्रभावित) कर सकते है। नीचे दी गयी तस्वीर दस के घातमे वस्तुओं को देखने का हमारा पैमाना दर्शाती है। आप देख सकते हैं कि ब्रह्माण्ड की भिन्न वस्तुओं को देखने के लिये हम उनके आकारानुसार भिन्न विधियों का प्रयोग करते है।ऊर्जा और द्रव्यमान
अक्सर भौतिक वैज्ञानिक कुछ भारी लेकिन अस्थायी कणो का अध्यन करना चाहते है, जिनकी आयु अत्यल्प होती है; उदाहरण के लिये टाप क्वार्क। लेकिन इन वैज्ञानिको के आसपास रोजमर्रा के विश्व मे कम भार वाले स्थायी कण (उदा. अप क्वार्क/डाउन क्वार्क) ही होते है। समस्या यह है कि कम द्रव्यमान वाले इन कणो से अधिक द्रव्यमान वाले कणो का निर्माण कैसे किया जाये ?
आइंस्टाइन को याद किजीये, द्रव्यमान और ऊर्जा अलग अलग नही है, दोनो एक ही है।
E=mc2
ऊर्जा द्रव्यमान रूपांतरण
जब एक भौतिक वैज्ञानिक कम द्रव्यमान वाले कणो से अधिक द्रव्यमान वाले कणो का निर्माण करना चाहता है तब वह कम ऊर्जा वाले कणो को कण त्वरकों मे डाल कर उन्हे अत्यधिक ’गतिज ऊर्जा(Kinetic Energy)‘ प्रदान करता है। अब वह इन अत्याधिक गतिज ऊर्जा वाले कणो को एक दूसरे से टकराता है। इस टकराव मे कणो की गतिज ऊर्जा नये भारी कणो मे परिवर्तित हो जाती है। इस प्रक्रिया के द्वारा हम भारी लेकिन अस्थायी कणोका निर्माण करते हैं और उनके गुणधर्मो का अध्यन करते है। लेकिन यह प्रक्रिया कुछ ऐसी है कि आप दो स्ट्राबेरी को अत्याधिक गति से टकराये और परिणाम मे आपको बहुत सी नयी स्ट्राबेरी, ढेर सारे छोटे अंगुर, एक केला, कुछ नाशपाती, एक सेब, एक अखरोट और एक आलुबुखारा मिले! याद रखें क्वांटम भौतिकी की प्रक्रिया को समझने के लिये हमारे रोजमर्रा के विश्व मे उदाहरण नही है!









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