प्रतिपदार्थ(Antimatter) से ऊर्जा के निर्माण का सिद्धांत अत्यंत सरल है।
पदार्थ(matter) : साधारण पदार्थ जो हर जगह है। नाभिक मे धनात्मक प्रोटान और उदासीन न्युट्रान, कक्षा मे ऋणात्मक इलेक्ट्रान से निर्मित।
प्रतिपदार्थ(Antimatter) : इसके गुणधर्म पदार्थ के जैसे ही है लेकिन इसका निर्माण करने वाले कणो का आवेश पदार्थ का निर्माण करने वाले कणो से विपरीत होता है। नाभिक मे ऋणात्मक एंटीप्रोटान और उदासीन एंटीन्युट्रान, कक्षा मे ऋणात्मक धनात्मक पाजीट्रान से निर्मित।
जब पदार्थ और प्रतिपदार्थ टकराते है तब वे एक दूसरे को विनष्ट करते हुये ऊर्जा मे परिवर्तित हो जाते है। यदि इस ऊर्जा का प्रयोग किया जाये तो यह ऊर्जा स्रोत किसी भी अन्य ऊर्जा स्रोत से अधिक सक्षम और बेहतर होगा।

प्रतिपदार्थ का प्रयोग करने वाले ऊर्जा संयत्र क्यों नही है ?
इसके पीछे तीन समस्याये है :
1. प्रतिपदार्थ का निर्माण अथवा उसे जमा करना अत्यंत कठीन है।
प्रतिपदार्थ को कण त्वरको(particle accelerators) मे अत्यंत अल्प मात्रा मे बनाया जा सकता है। अब तक निर्मित प्रतिपदार्थ से एक प्रकाश बल्ब को केवल तीन मिनट तक ही जलाया जा सकता है।
प्रतिपदार्थ प्राकृतिक रूप से सुपरनोवा के पास तथा पृथ्वी के समीप वान एलेन विकिरण पट्टे(Van Allen Radiation Belt) के समीप पाया जाता है। इन कणो को एकत्रित कर जमा करना अत्यंत दुष्कर कार्य है।
2. संग्रहण पात्र (containment)
प्रतिपदार्थ को चुंबकिय क्षेत्र की सहायता से संग्रहित करना होता है जिससे वह साधारण पदार्थ के संपर्क मे ना आ पाये। अब तक हम इस विधि से प्रति पदार्थ को केवल 16 मिनट तक ही संग्रहीत कर पाये है।
3.उत्पन्न ऊर्जा का प्रयोग
हमारे पास प्रतिपदार्थ से उत्पन्न ऊर्जा को जमाकर प्रयोग करने का कोई प्रभावी उपाय नही है। इस प्रक्रिया मे उत्पन्न अधिकतर ऊर्जा न्युट्रीनो के रूप मे मुक्त हो जाती है। न्युट्रीनो का द्रव्यमान नगण्य होता है और उन्हे पकड़ पाना अत्याधिक कठीन है।
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