अंतरिक्ष मे एक खौफ़नाक सन्नाटा छाया रहता है क्योंकि ध्वनि अंतरिक्ष मे यात्रा नही कर पाती है लेकिन अंतरिक्ष शांत नही है। लगभग सभी अंतरिक्ष के पिंड ऐसे रेडीयो संकेतो का उत्सर्जन करते है जिन्हे मानव के कान सुन नही पाते है जिन्हे विशेष उपकरणो से ग्रहण किया जाता है। रेडीयो संकेतो की खोज के पश्चात से अंतरिक्ष से आने वाले कई संकेत और ध्वनियों को इन उपकरणो ने ग्रहण किया है। पिछली अर्ध सदी मे मानव द्वारा पृथ्वी बाह्य बुद्धिमत्ता की खोज(SETI) के प्रयास मे इन संकेतो के ग्रहण करने की घटना मे बढ़ोत्तरी ही हुयी है। हम इनमे से कुछ महत्वपूर्ण और अनसुलझी घटनाओं को देखेंगे।
Wow! सिगनल
15 अगस्त 1977 को ओहाइओ राज्य विश्वविद्यालय के बिग एअर(Big EAR) दूरबीन ने लगभग 200 प्रकाश वर्ष दूर से आते हुये 72 सेकंड लंबे संकेत को ग्र्हण किया था। खगोल वैज्ञानिक जेरी एहमन ने इस संकेत मे 6EQUJ5 को लाल रंग से घेरा बनाया था जोकि विद्युत चुंबकीय वर्णक्रम मे एक कृत्रिम विचलन को दर्शाता रहा था, उन्होने इस संकेत के प्रिटाआउट पर Wow! लिख दिया। इस संकेत की व्याख्या के लिये कई अवधारणाये प्रस्तुत की गई। यह संकेत केवल एक ही बार मिला और अब तक का यह किसी एलियन सभ्यता द्वारा भेजे गये संकेत का सबसे बेहतरीन उम्मीदवार है।
रेडीयो स्रोत SHGB02+14A
पृथ्वी बाह्य बुद्धिमान सभ्यता का दूसरा सबसे बड़ा उम्मीदवार मार्च 2003 मे पाया गया जब एक विचित्र रेडीयो संकेत एक मिनट के लिये 1420MHz आवृत्ति पर तीन गुणा तीव्रता पर पाया गया। कुछ वैज्ञानिको के अनुसार यह संकेत एलियन संकेत नही है क्योंकि यह कमजोर संकेत है और मीन तथा मेष राशि के मध्य से उत्पन्न हुआ है जिसमे कोई भी दृश्य तारा नही है तथा इस संकेत की आवृत्ति ऐसे ग्रह की है जिसकी घूर्णन गति पृथ्वी से 40 गुणा अधिक होगी।
तीव्र रेडियो विस्फोट(Fast Radio Bursts)
इन्हे FRBs भी कहते है जोकि अंतरिक्ष के ऐसे रहस्यमय संकेत है जो कि रेडीयो दूरबीनो द्वारा कुछ मिलिसेकंड के लिये ही ग्रहण किये जाते है, उन्हे खगोलीय सीटी भी कहते है। ये संकेत कुछ मिलीसेकंड के होने के बावजूद सूर्य द्वारा पूरे दिन मे निर्मित ऊर्जा के तुल्य ऊर्जा वाले होते है। ऐसा माना जाता है कि हर दिन 2000 FRBs होते है लेकिन 2007 मे पाये गये पहले FRB के पश्चात अब तक केवल 17 FRBs ही देखे गये है। इन शक्तिशाली रेडीयो संकेतो का स्रोत अज्ञात है लेकिन यह माना जा रहा है कि ये मेग्नेटार या दो टकराकर विलय होते ब्लैक होल द्वारा उत्पन्न हो सकते है। मेग्नेटार अत्याधिक चुंबकीय क्षेत्र वाले न्युट्रान तारे होते है।
गाते हुये धूमकेतु
2004 मे प्रक्षेपित युरोपिय अंतरिक्ष संस्था के अंतरिक्ष शोधयान रोजेटा(Rosetta) 6.4 अरब किमी की यात्रा कर अगस्त 2014 मे एक विशाल धुमकेतु 67P/चुर्युमोव-गेरासिमेन्को तक पहुंचा था। इस धुमकेतु से 100 किमी की दूरी पर पहुंचने पर रोजेटा ने इस धूमकेतु की सतह से आते हुये एक “विचित्र गाने” को सुना था। एक अवधारणा के अनुसार यह ध्वनि धूमकेतु द्वारा उत्सर्जित अनावेशित कणो के उत्सर्जन और इन कणो के धुमकेतु के चुंबकीय क्षेत्र द्वारा आयन मे परिवर्तन से उत्पन्न होती है।
शनि की ध्वनि
शनि की कक्षा मे 13 वर्षो से परिक्रमा रत कासीनी अंतरिक्ष यान ने 2002 मे एरी(eeri) ध्वनि के जैसे परिवर्तित होती आवृत्ति और समय की रेडीयो तरंगे पाई थी। सभी ग्रहो से रेडीयो संकेत उत्पन्न होते है और वैज्ञानिक मानते है कि ये विचित्र ध्वनि शनि के ध्रुवो के समीप की ध्रुवियज्योति से उत्पन्न होती है, जो कि पृथ्वी की ध्रुविय ज्योति से उत्पन्न रेडीयो संकेतो के जैसे ही है।
पृथ्वी का कोरस
पृथ्वी का कोरस चिडियों की चहचहाट के जैसे है , इसे सुबह सुबह रेडीयो उपकरणो द्वारा सुना जा सकता है। पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के अंदर की रेडीयो तरंगो की आवृत्ति को मानव सुनने मे समर्थ है और इन्हे पृथ्वी की कक्षा मे स्थित उपग्रहो ने रिकार्ड भी किया है। हम जानते है कि ये संकेत कहाँ से आते है लेकिन इनके निर्माण की प्रक्रिया अभी एक रहस्य है।
अंतरिक्ष की दहाड़
2006 मे नासा का एक गुब्बारा 120,000 फ़ीट की उंचाई पर पहली पिढी के तारो की उष्मा के अध्ययन के लिये कुछ उपकरण लेकर गया था। 2009 मे वैज्ञानिको ने बताया कि इस गुब्बारे मे उपकरणॊ ने अपेक्षा से 6 गुणा अधिक शक्तिशाली रेडीयो संकेत पाये। हमारी आकाशगंगा के बाह्य सीमा पर के तारे और गैस इस ध्वनि के स्रोत नही हो सकते है, अंतरिक्ष की इस दहाड़ का वास्तविक स्रोत अभी तक रहस्य बना हुआ है।
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